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केंद्रीय योजनाएं कुछ लोगों तक सीमित नहीं : मोदी

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नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मुख्यमंत्रियों से गरीबों के कल्याण के लिए बनी केंद्रीय योजनाओं को 100 फीसदी लागू करने में अपने-अपने प्रयास करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि ये कुछ लोगों के लिए सीमित नहीं हैं और ये सभी तक बिना भेदभाव के पहुंच रही हैं। उन्होंने राज्यों को प्रोत्साहित किया कि वे वित्त आयोग को परिणाम आधारित आवंटनों व खर्च सुधार पर नए विचार मुहैया कराएं। साथ ही उन्होंने संसदीय और विधानसभा चुनावों को एकसाथ कराने के लिए व्यापक बहस और विचार-विमर्श का आह्वान किया, ताकि वित्तीय बचत हो और संसाधनों का बेहतर तरीके से उपयोग हो सके।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि नीति आयोग की शासी परिषद की चौथी बैठक में मोदी ने अपनी समापन टिप्पणी में विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा की गई तर्कसाध्य चर्चा और सुझावों का स्वागत करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि निर्णय लेने के दौरान इन पर गंभीरता से ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने नीति आयोग को तीन महीने के भीतर राज्यों द्वारा सुझाए गए क्रियात्मक बिंदुओं का पालन करने को कहा है।

मोदी ने इसे पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति की पहचान करने के लिए महत्वपूर्ण’ करार दिया, ताकि शासन का लाभ उनतक पहुंचे। इसी प्रकार सामाजिक न्याय भी एक महत्वपूर्ण शासन उद्देश्य है। इन कारणों को करीबी समन्वय और निरंतर निगरानी की आवश्यकता होती है।

अपनी सरकार के मार्गदर्शक सिद्धांत ‘सबका साथ, सबका विकास’ पर प्रधानमंत्री ने कहा, केंद्र सरकार की योजनाएं कुछ लोगों या कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये संतुलित तरीके से बिना किसी भेदभाव के सभी तक पहुंच रही हैं।

देश के सभी गांवों के अब विद्युतीकृत हो जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सौभाग्य योजना के तहत चार करोड़ घरों को बिजली कनेक्शन प्रदान किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा, चार वर्षों में ग्रामीण स्वच्छता की पहुंच 40 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत हो गई है। जन धन योजना के कार्यान्वयन के बाद सभी लोग बैंकिंग प्रणाली से जुड़ जाएंगे।

उन्होंने कहा, उज्जवला योजना के तहत खाना पकाने की गैस मुहैया कराई जा रही है और मिशन इंद्रधनुष सार्वभौमिक बचाव की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार 2022 तक सभी के लिए आवास उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रही है।

उन्होंने कहा, इन कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन से लोगों के जीवन में एक व्यवहारिक परिवर्तन भी आ रहा है। उन्होंने कहा कि यूरिया की नीम कोटिंग, उज्जवला योजना, जन धन खातों और रुपे डेबिट कार्ड से लोगों के जीवन में सुधार हो रहा है, जबकि दुनिया भर में स्वच्छ भारत मिशन पर चर्चा की जा रही है।

उन्होंने कहा, पिछले चार वर्षों में 7.70 करोड़ शौचालयों का निर्माण किया गया है। उन्होंने दो अक्टूबर, 2019 यानी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक मुख्यमंत्रियों से 100 प्रतिशत स्वच्छता पहुंच की ओर काम करने का आग्रह किया है।

उन्होंने 15 अगस्त तक 115 आकांक्षी जिलों के 45,000 अतिरिक्त गांवों में सात प्रमुख योजनाओं को पूरी तरह से पहुंचाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

कुछ मुख्यमंत्रियों द्वारा उठाए गए पर्यावरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने उनसे सरकारी इमारतों, आधिकारिक आवासों और स्ट्रीटलाइट्स में ‘निश्चित समय सीमा के भीतर’ एलईडी बल्बों का उपयोग करने का आग्रह किया।

मोदी ने जल संरक्षण, कृषि, ग्रामीण नौकरियों की योजना आदि जैसे मुद्दों पर विभिन्न मुख्यमंत्रियों द्वारा दिए गए कई अन्य सुझावों की भी सराहना की।

उन्होंने मध्य प्रदेश, बिहार, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्रियों से कृषि एवं ग्रामीण रोजगार योजनाओं के विषय पर समेकित नीति ष्टिकोण के लिए साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया।

राज्यों को परिणाम आधारित आवंटन व व्यय सुधार पर वित्त आयोग को नए विचार देने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा, दुनिया को उम्मीद है कि भारत जल्द ही 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

राज्यों को निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने को कहते हुए उन्होंने उन्हें ‘व्यवसाय करने में आसानी’ को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया।

उन्होंने कहा, व्यापार को आसान बनाने के लिए नीति आयोग को सभी राज्यों के साथ बैठक करनी चाहिए।

कृषि क्षेत्र में कम कॉर्पोरेट निवेश पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि राज्यों को ऐसी नीतियां तैयार करनी चाहिए जो भंडार, परिवहन, मूल्यवर्धन और खाद्य प्रसंस्करण आदि जैसे क्षेत्रों में कॉर्पोरेट निवेश को बढ़ावा दें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सफलतापूर्वक नीलाम हुई खदानों को जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करना चाहिए और उन्होंने राज्यों से इस संबंध में कदम उठाने का आग्रह किया।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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