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बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले : नीतीश
नई दिल्ली, 17 जून (आईएएनएस)| बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को यहां कहा कि राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से जहां एक ओर केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के केन्द्रांश में वृद्धि होगी, वहीं दूसरी ओर विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों के अनुरूप केन्द्रीय जीएसटी में अनुमान्य प्रतिपूर्ति मिलने से निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा, कारखाने लगेंगे, रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे तथा लोगों के जीवन स्तर में सुधार आएगा। नीति आयोग की शासी परिषद की चौथी बैठक में नीतीश कुमार ने कहा कि यदि अंतर-क्षेत्रीय एवं अंतर्राज्यीय विकास के स्तर में भिन्नता से संबंधित आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो पाया जाएगा कि कई राज्य विकास के विभिन्न मापदंडों यथा- प्रति व्यक्ति आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, वित्त एवं मानव विकास के सूचकांकों पर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं।
उन्होंने कहा कि तर्कसंगत आर्थिक रणनीति वही होगी जो ऐसे निवेश और अन्तरण पद्धति को प्रोत्साहित करे, जिससे पिछड़े राज्यों को एक निर्धारित समय सीमा में विकास के राष्ट्रीय औसत तक पहुंचाने में मदद मिले। हमारी विशेष राज्य के दर्जे की मांग इसी अवधारणा पर आधारित है।
नीतीश ने नीति आयोग से आग्रह किया कि पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के माध्यम से विशेष योजना के तहत लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए अवशेष राशि 1651.29 करोड़ रुपये शीघ्र उपलब्ध कराई जाए, ताकि योजनाओं का काम समय पर पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए स्वीकृत राशि में से अवशेष 902.08 करोड़ रुपये के मुकाबले पूर्व में भेजे गए दो प्रस्तावों की स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर दी जाए।
उन्होंने कहा, पिछले चार वित्त आयोगों की अनुसंशाओं में कुल देय कर राजस्व में बिहार की हिस्सेदारी लगातार कम हुई है- 11वें वित्त आयोग में 11.589 प्रतिशत से घटकर 12वें वित्त आयोग में 11.028 प्रतिशत, 13वें वित्त आयोग में 10.917 प्रतिशत और 14वें वित्त आयोग में 9.665 प्रतिशत हुई। अत: नीति आयोग द्वारा बिहार जैसे पिछड़े राज्यों की विशेष एवं विशिष्ट समस्याओं को देखा जाना चाहिए।
नीतीश ने कहा, 14वें वित्त आयोग ने जहां कुल क्षेत्रफल और कुल वनाच्छादित क्षेत्रफल को ज्यादा महत्व दिया, वहीं जनसंख्या घनत्व एवं प्राकृतिक संसाधनों की अनुपलब्धता के साथ-साथ बिहार जैसे थलरूद्ध राज्यों की विशिष्ट समस्याओं की अनदेखी की। यहां तक कि हरित आवरण को बढ़ाने हेतु राज्य सरकार के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की जगह उसकी उपेक्षा की गई।
उन्होंने कहा, नेपाल एवं अन्य राज्यों से निकलने वाली नदियों से प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण भौतिक एवं सामाजिक आधारभूत संरचना में हुए नुकसान की भरपाई हेतु बिहार को अतिरिक्त वित्तीय भार उठाना पड़ता है। राज्य को प्रत्येक वर्ष बाढ़ का दंश झेलना पड़ता है और बाढ़-राहत, पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण कार्यो पर काफी राशि व्यय होती है। गंगा बेसिन के उपरी राज्यों में निर्मित बांधों, बराजों एवं अन्य संरचनाओं के चलते नदी के प्रवाह में कमी आई है। ऐसे में राज्यों की हिस्सेदारी से संबंधित मानदंडों के निर्धारण के दौरान इन बाह्य कारणों का समावेशन किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 13वें वित्त आयोग ने राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए सहायता अनुदान की सिफारिश की थी, जिस पर 15वें वित्त आयोग को भी विचार करना चाहिए। 14वें वित्त आयोग ने अपनी सिफारिशों में सुझाव दिया था कि यदि सूत्र आधारित अंतरण राज्य विशेष की विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति न कर सकें तो उसे निष्पक्ष ढंग से एवं सुनिश्चित रूप से विशेष सहायता अनुदान से पूरा किया जाना चाहिए। इस सुझाव को लागू नहीं किया गया है।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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