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सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अधिकारियों की मानसिकता बदली : मंत्री
नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उप राज्यपाल अनिल बैजल की शक्तियों में कटौती किए जाने के 10 दिन बाद समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का कहना है कि लोगों में दिल्ली सरकार के प्रति धारणा में बदलाव आया है।
गौतम ने आईएएनएस से कहा, आम आदमी पार्टी के विधायक और मंत्री अधिक आश्वस्त महसूस कर रहे हैं।
गौतम ने कहा, चार जुलाई से आधिकारिक फाइलें बैजल के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजी जा रही हैं। इसलिए विकास कार्य को गति मिली है। हमें अब केवल उन्हें सूचित करना होता और उनकी मंजूरी का इंतजार नहीं करना होता।
दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून स्नातक गौतम ने कहा, आदेश ने दिल्ली सरकार की शक्तियों का बहाल कर दिया है। अगर मैं बतौर वकील आदेश को देखता हूं तो मैं कहूंगा कि सेवा (मुख्य रूप से अधिकारियों के तबादले की शक्ति) दिल्ली सरकार के अधीन है। कई अधिकारी भी ऐसा ही मानते हैं। वे जानते हैं कि यह लड़ाई व्यर्थ है।
उन्होंने कहा, वे अधिकारी, जो पहले बहाने बनाया करते थे, अब हमारी सभी बैठकों में उपस्थित हो रहे हैं और हमारे साथ कार्य कर रहे हैं। वे विभिन्न परियोजनाओं में तेजी से मदद कर रहे हैं।
जबकि, आप के प्रमुख प्रवक्ता और विधायक सौरभ भारद्वाज का कहना है कि अधिकारियों के रवैये में बदलाव आया, लेकिन ‘यह केवल एक दिन के लिए ही महसूस किया गया।’
उन्होंने कहा, जिस दिन सर्वोच्च न्यायालय का आदेश आया, अधिकारियों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया। वे अधिकारी जो पिछले महीने तक हमारे फोन नहीं उठाते थे, खुद से फोन करने लगे। लेकिन, स्थिति फिर दोबारा से तब बदल गई जब उपराज्यपाल ने सेवा विभाग पर अपने पद का अधिकार जताया। अधिकारियों ने फिर से अपना रवैया दिखाना शुरू कर दिया।
सौरभ ने कहा, अधिकतर अधिकारी कार्य करना चाहते हैं। यह मुख्य सचिव हैं, जो उन्हें कार्य नहीं करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। वह उन्हें बाधाएं पैदा करने के निर्देश दे रहे हैं और मैं यह नहीं कहना चाहूंगा कि उन्हें (मुख्य सचिव को) कौन ऐसा करने का आदेश दे रहा है।
पिछले महीने केजरीवाल ने अपने तीन मंत्रियों के साथ अधिकारियों के असहयोग को लेकर बैजल के आवास पर नौ दिनों तक धरना दिया था। मुख्यमंत्री ने दिल्ली के आईएएस अधिकारियों पर हड़ताल करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वह मंत्रियों द्वारा बुलाई बैठकों का बहिष्कार कर रहे हैं।
भारद्वाज ने कहा कि सरकार अपनी सीमित शक्तियों के साथ जो कर सकती है वह कर रही है। चाहे वह सीसीटीवी लगाने का मामला हो, घरों तक राशन पहुंचाने की बात हो या फिर सिग्नेचर ब्रिज निमार्ण का कार्य हो।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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