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लॉजिस्टिक्स में 2025 तक होगा 500 अरब डॉलर का निवेश : प्रभु

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नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)| वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार को कहा कि लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में 2025 तक 500 अरब डॉलर का निवेश होगा क्योंकि भारत विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में आकर्षक ठिकाना बन गया है।

सुरेश प्रभु ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, लॉजिस्टिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निवेश 2025 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। इससे रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे और भारत के आंतरिक व वैश्विक व्यापार की बाधाएं भी दूर होंगी।

प्रभु ने कहा कि डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल इंडिया जैसी पहलों को लेकर विदेशी कंपनियां भारत को विनिर्माण और सेवा के क्षेत्र उचित ठिकाने के रूप में देख रही हैं।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी समेत मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क के विकास की नीति बनाने की दिशा में काम कर रहा है, जिसकी घोषणा जल्द होने वाली है।

उन्होंने कहा कि हाल के वर्षो में भारत सरकार ने प्रभावी लॉजिस्टिक्स सेवाओं के जरिए व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें सीमा तथा सीमा पार क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों के प्रमाणिक दस्तावेज तैयार करना, समर्पित माल वाहन गलियारे बनाना, बंदरगाहों तथा अन्य आधारभूत संरचनाओं में निवेश और व्यापार की समस्त गतिविधियों को परस्पर जोड़ने के कार्य शामिल हैं। इन गतिविधियों से देश के लॉजिस्टिक्स सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन सुधरेगा। लॉजिस्टिक्स सेवाओं के सक्षम और प्रभावी प्रबंधन से विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र पर सकारात्मक असर दिखेगा।

कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग की लॉस्टिक्स शाखा और भारतीय विदेश व्यापार संस्थान ने व्यापार सुगमता और लॉजिस्टिक्स विशिष्टता केंद्र की स्थापना के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि अगले चार वर्षों के दौरान इस केंद्र को विभिन्न चरणों में कुल 339.90 लाख रुपये दिए जाएंगे। सीटीएफएल व्यापार और लॉजिस्टिक्स गतिविधियों की निगरानी करेगा और इस बारे में तैयार रिपोर्ट के आधार पर लॉजिस्टिक्स सेवाओं में सुधार के सुझाव देगा।

प्रभु ने इस अवसर पर लॉजिस्टिक्स विभाग के लिए अलग से एक प्रतीक चिन्ह भी जारी किया, जो हंसों के एक जोड़े का ग्राफिक चित्र है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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