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असम की नागरिकता सूची से 40 लाख से ज्यादा लोग बाहर

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गुवाहाटी, 30 जुलाई (आईएएनएस)| असम में सोमवार को जारी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसौदे से कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर किए जाने से उनके भविष्य को लेकर चिंता पैदा हो गई है और साथ ही एक राष्ट्रव्यापी राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है।

नागरिकों की मसौदा सूची में 2.89 करोड़ आवेदकों को मंजूरी दी गई है। यह मसौदा असम में रह रहे बांग्लादेशी आव्रजकों को अलग करने का लंबे समय से चल रहे अभियान का हिस्सा है।

10 लाख आवेदकों को नागरिकता देने से इंकार किए जाने के बाद पैदा हुए विवाद पर केंद्र सरकार ने लोगों से भयभीत न होने और विपक्ष से इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने का आग्रह किया है।

मसौदे को जारी करने वाले भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश ने कहा कि उन आवेदकों को प्र्याप्त अवसर दिए जाएंगे, जो दावे और आपत्ति करना चाहते हैं। वे 30 अगस्त से 28 सितंबर तक अंतिम सूची तैयार किए जाने से पहले अपने दावे और आपित्त दाखिल कर सकते हैं।

सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया 31 दिसंबर, 2018 तक पूरी हो जानी चाहिए।

शैलेश ने इस दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा, यह एनआरसी का मसौदा है, यह अंतिम एनआरसी नहीं है। सभी वास्तविक भारतीय नागरिकों को अंतिम एनआरसी में अपने नाम दाखिल कराने के लिए पर्याप्त अवसर दिए जाएंगे।

एनआरसी के राज्य समन्वयक प्रतीक हजेला ने कहा कि 40,07,707 लोग, जिनके नाम सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें खामियों के बारे में अलग-अलग पत्रों के माध्यम से सूचित किया जाएगा और उनके विवरण का खुलासा नहीं किया जाएगा।

दिल्ली के केंद्रीय गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वोत्तर) सत्येंद्र गर्ग ने चिंताओं के बीच कहा कि जिनके नाम इस सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें किसी भी हिरासत शिविर या विदेशी न्यायाधिकरण में नहीं ले जाया जाएगा।

एनआरसी मसौदे के प्रकाशन के बाद तनाव फैलने की आशंका के मद्देनजर असम में सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

नागरिकता रजिस्टर के आलोचकों का कहना है कि यह कदम असम से आव्रजक मुस्लिमों को बाहर निकालने के लिए उठाया गया है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसका समर्थन कर रही है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम और मोदी सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि जिनलोगों के पास आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज थे, उनको भी छोड़ दिया गया, क्योंकि अधिकारी उन कागजात से संतुष्ट नहीं थे।

बनर्जी ने कहा, 40 लाख लोगों को छोड़ दिया गया है, जिनमें हिंदू और मुस्लिम शामिल हैं। उनके इंटरनेट समेत संपर्क के सभी साधन काट दिए गए हैं, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण हैं। हम उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। क्या यह उनको भयभीत करने की कोशिश है? हमें संदेह है।

तृणमूल और समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने राज्यसभा में हंगामा किया और कार्यवाही में बार-बार बाधा उत्पन्न की, जिसके परिणामस्वरूप सदन को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

कांग्रेस ने सरकार से एक सर्वदलीय बैठक आयोजित करने के लिए कहा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी भारतीय नागरिक को सूची से बाहर नहीं छोड़ा जाएगा।

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा, सरकार को तुरंत सभी पार्टियों के नेताओं की एक बैठक बुलानी चाहिए और उन कदमों के बारे में सूचित करना चाहिए, जिन्हें लेने का प्रस्ताव है।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि एनआरसी का मसौदा कोई अंतिम सूची नहीं है और उन्होंने विपक्ष से इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करने की अपील की।

राजनाथ ने कहा, एनआरसी में जो भी कार्य चल रहा है, वह सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में हो रहा है। ऐसा कहना कि सरकार ने यह किया है और यह अमानवीय व क्रूर है..इस तरह के आरोप निराधार हैं। किसी के खिलाफ किसी दंडात्मक कार्रवाई का कोई सवाल नहीं है।

उन्होंने कहा, कुछ लोग अनावश्यक डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ गलत सूचनाएं भी फैलाई जा रही हैं। हो सकता है कि कुछ लोग जरूरी दस्तावेज जमा करने में सक्षम नहीं हो सके हों। उन्हें दावों व आपत्ति प्रक्रिया के जरिए पूरा अवसर दिया जाएगा।

असम सरकार ने दिसंबर 2013 में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू की थी। राज्य के सभी निवासियों को अपने दस्तावेजों को पेश करने के लिए कहा गया था, ताकि यह साबित हो सके कि उनके परिवार 24 मार्च, 1971 से पहले भारत में रह रहे थे।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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