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अमेरिका ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए आर्थिक मदद रोकी

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वाशिंगटन, 1 सितम्बर (आईएएनएस)| अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी को दी जाने वाली आर्थिक मदद को पूरी तरह से समाप्त करने का घोषणा की है। साथ ही, फिलिस्तीनी शरणार्थियों की संख्या में भारी कमी करने का भी आह्वान किया है। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने शुक्रवार देर रात ‘सीएनएन’ को बताया कि फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के संबंध में यह घोषणा अगले कुछ हफ्तों में हो सकती है।

विदेश विभाग ने शुक्रवार को इस एजेंसी को ‘सुधार न होने वाली त्रुटि’ करार दिया और कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने मामले की ‘सावधानी पूर्वक समीक्षा’ की है और ‘यूएनआरडब्ल्यू को कोई अतिरिक्त सहायता उपलब्ध नहीं कराई जाएगी।’

अमेरिका यूएनआरडब्ल्यूए में अब तक सबसे ज्यादा सहायता करने वाला देश रहा है। इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने 1948 में अरब-इजरायल युद्ध के बाद विस्थापित फिलिस्तीनियों की देखभाल के लिए की थी।

अमेरिका ने 2017 में एजेंसी को 35 करोड़ डॉलर दिए थे।

अधिकारी ने सीएनएन को बताया कि यह निर्णय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दामाद व व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार जेराड कुशनर और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के बीच बैठक में लिया।

यूएनआरडब्ल्यूए वेस्ट बैंक, गाजा, जार्डन, सीरिया और लेबनान में पंजीकृत फिलिस्तीनी शरणार्थियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और समाजिक सेवा मुहैया कराती है।

फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास के प्रवक्ता ने अमेरिका के इस कदम को फिलीस्तीन के लोगों के खिलाफ ‘हमला’ बताया है।

यूएनआरडब्ल्यूए के प्रवक्ता क्रिस गुनेस ने अमेरिका के इस कदम की सिलसिलेवार ट्वीट कर आलोचना की।

यूएनआरडब्ल्यूए के प्रवक्ता क्रिस गुनेस ने ट्वीट कर कहा, हम इस बात को कड़े शब्दों में नकारते हैं कि यूएनआरडब्ल्यूए के स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और आपात सहायता कार्यक्रम सुधार न होने वाली त्रुटि हैं।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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