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बन गया महागठबंधन, इस दिग्गज नेता उठाया राज से पर्दा
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम का समय बचा है ऐसे में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए सभी विपक्षी दल एकजुट होने की तैयारी शुरु कर चुके हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने महागठबंधन को लेकर ऐसी बात कह दी है जिससे बीजेपी परेशान हो सकती है। 2019 के चुनाव में महागठबंधन को लेकर अखिलेश यादव ने शनिवार को अहम संकेत दिए हैं।
अखिलेश ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा (समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी) गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होगी। यह पूछे जाने पर कि अगले संसदीय चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ पार्टी के प्रस्तावित गठबंधन में कांग्रेस की स्थिति क्या होगी?
उन्होंने कहा, “आज यहां बैटरी से चलनेवाली साइकिलें हैं.. ऐसी साइकिलें हैं, जिसमें कई पहिये होते हैं, मैनहट्टन की गलियों में आप ऐसी साइकिलें देख सकते हैं। आज के समय में एक साथ एक ही साइकिल को कई लोग चला सकते हैं और मिलकर वहां पहुंच सकते हैं, जहां उन्हें पहुंचना है। यह साइकिल मिलकर चलेगी।”
साइकिल समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह है। पिछले विधानसभा चुनाव में 2017 में पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था, लेकिन इस गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद से अटकलें लगाई जा रही हैं कि कांग्रेस गैर-भाजपा गठबंधन का हिस्सा होगी या नहीं।
“इंडिया टुडे माइंड रॉक्स 2018” कॉनक्लेव में यादव ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी ‘अच्छी दोस्ती’ है और दोस्ती बरकरार है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी उनकी और राहुल की दोस्ती से भयभीत है।
यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ने की खबरें हैं, तो क्या सपा भी इसका हिस्सा बनेगी? उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि मध्य प्रदेश में कौन किसके साथ मिलकर चुनाव लड़ रहा है। लेकिन अगर दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है “तो जरूर हम (सपा) उसका हिस्सा बनेंगे।”
यह पूछे जाने पर कि अतीत की कड़वी दुश्मनी को देखते हुए सपा, बसपा के साथ किस प्रकार जा सकती है? सपा प्रमुख ने कहा कि अगर भाजपा 40 दलों के साथ गठबंधन कर सकती है “तो सपा के बसपा के साथ जाने में क्या बुराई है?”
यादव परिवार में चल रहे झगड़े के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “सभी के परिवार में लड़ाई होती है, कौन-सा ऐसा परिवार है, जिसमें लड़ाई नहीं होती है?” वहीं, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुटकी लेते हुए कहा, “हां जिस आदमी का परिवार ही नहीं हो, वहां कैसे कोई लड़ाई हो सकती है।”
भाजपा पर हमला बोलते हुए यादव ने कहा कि भाजपा विकास के नाम पर नहीं, बल्कि जाति और धर्म के नाम पर चुनाव लड़ती है। उन्होंने कहा, “भाजपा विकास के नाम पर नहीं जीतती है, बल्कि जाति और धर्म की राजनीति के जरिए जीतती है।” उन्होंने दावा किया कि देशवासी बेसब्री से प्रधानमंत्री के बदलने का इंतजार कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश
संभल में कैसे भड़की हिंसा, किस आधार पर हो रहा दावा, पढ़े पूरी रिपोर्ट
संभल। संभल में एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने और भविष्य में कल्कि अवतार के यहां होने के दावे ने हाल ही में काफी सुर्खियां बटोरी हैं. इस दावे के पीछे कई धार्मिक और ऐतिहासिक तथ्य बताए जा रहे है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और उनके मंदिर को लेकर कई दावे पहले से ही किए जा रहे हैं. इसे लेकर धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों के आधार पर गहरी चर्चा हो भी रही है. हिंदू धर्म में कल्कि अवतार को भगवान विष्णु का दसवां और अंतिम अवतार माना गया है. ऐसा माना जाता है कि कलियुग के अंत में जब अधर्म और अन्याय अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अवतार लेकर पृथ्वी पर धर्म की स्थापना करेंगे.
कैसे भड़की हिंसा?
24 नवंबर को मस्जिद में हो रहे सर्वे का स्थानीय लोगों ने विरोध किया. पुलिस भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर थी. सर्वे पूरा होने के बाद जब सर्वे टीम बाहर निकली तो तनाव बढ़ गया. भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके कारण स्थिति बिगड़ गई और हिंसा भड़क उठी.
दावा क्या है?
हिंदू पक्ष का दावा है कि संभल में स्थित एक मस्जिद के स्थान पर प्राचीन काल में एक मंदिर था. इस मंदिर को बाबर ने तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. उनका यह भी दावा है कि भविष्य में कल्कि अवतार इसी स्थान पर होंगे.
किस आधार पर हो रहा है दावा?
दावेदारों का कहना है कि उनके पास प्राचीन नक्शे हैं जिनमें इस स्थान पर मंदिर होने का उल्लेख है. स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना होती थी. कुछ धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान के बारे में उल्लेख मिलता है. हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार भविष्य में आएंगे और धर्म की स्थापना करेंगे. दावेदारों का मानना है कि यह स्थान कल्कि अवतार के लिए चुना गया है.
किस आधार पर हो रहा है विरोध?
अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस पुरातात्विक साक्ष्य नहीं मिला है. जो भी ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स उपल्बध हैं वो इस बात की पुष्टि करते हैं कि इस स्थान पर एक मस्जिद थी. धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या कई तरह से की जा सकती है और इनका उपयोग किसी भी दावे को सिद्ध करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
संभल का धार्मिक महत्व
शास्त्रों और पुराणों में यह उल्लेख है कि भगवान विष्णु का कल्कि अवतार उत्तर प्रदेश के संभल नामक स्थान पर होगा. इस आधार पर संभल को कल्कि अवतार का स्थान माना गया है. श्रीमद्भागवत पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में कल्कि अवतार का वर्णन विस्तार से मिलता है जिसमें कहा गया है कि कल्कि अवतार संभल ग्राम में विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे.
इसी मान्यता के कारण संभल को कल्कि अवतार से जोड़ा जाता है. संभल में बने कल्कि मंदिर को लेकर यह दावा किया जा रहा है कि यही वह स्थान है जहां भविष्य में भगवान कल्कि का प्रकट होना होगा. मंदिर के पुजारी और भक्तों का कहना है कि यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र है और यहां कल्कि भगवान की उपासना करने से व्यक्ति अधर्म से मुक्ति पा सकता है.
धार्मिक विश्लेषण
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कल्कि अवतार का समय तब होगा जब अधर्म, पाप और अन्याय चरम पर पहुंच जाएंगे. वर्तमान में दुनिया में मौजूद सामाजिक और नैतिक स्थितियों को देखकर कुछ लोग यह मानते हैं कि कल्कि अवतार का समय निकट है. संभल में कल्कि मंदिर को लेकर जो भी दावे किए जा रहे हैं वो सभी पूरी तरह से आस्था पर आधारित हैं. धार्मिक ग्रंथों में वर्णित समय और वर्तमान समय के बीच अभी काफी अंतर हो सकता है. उत्तर प्रदेश के संभल में कल्कि अवतार और मंदिर का दावा धार्मिक मान्यताओं और शास्त्रों पर आधारित है. हालांकि, यह दावा प्रमाणिकता के बजाय विश्वास पर आधारित है. यह भक्तों की आस्था है जो इस स्थान को विशेष बनाती है.
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