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मुख्य समाचार

गोवा : नेतृत्व संकट पर गठबंधन सहयोगियों ने भाजपा पर दबाव बढ़ाया

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पणजी, 16 सितम्बर (आईएएनएस)| गोवा फॉरवर्ड के विधायकों और निर्दलीय विधायकों ने नेतृत्व संकट के किसी स्थायी समाधान की मांग को लेकर रविवार को भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया। इस बीच भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के अस्पताल में भर्ती होने के मद्देनजर भावी राजनीतिक कदम पर निर्णय लेने के क्रम में हाईकमान के प्रतिनिधियों से यहां मुलाकात की।

भाजपा की केंद्रीय टीम से मुलाकात से पहले संवाददाताओं से बातचीत में शहर एवं देश नियोजन मंत्री और गोवा फॉरवर्ड के अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने कहा कि उनके पास पांच अन्य विधायकों का समर्थन है और वे सभी मौजूदा संकट के किसी स्थायी समाधान की एकसुर में मांग करने जा रहे हैं।

केंद्रीय टीम में भाजपा महासचिव रामलाल, बी.एल. संतोष और विजय पौराणिक शामिल हैं।

सरदेसाई ने कहा, हम सभी छह लोग कोई स्थायी समाधान चाहते हैं। हम कोई अस्थायी बंदोबस्त नहीं चाहते। हम उनसे यही कहने जा रहे हैं।

इन छह विधायकों में गोवा फॉरवर्ड के तीन मंत्री (सरदेसाई सहित) मत्स्यपालन मंत्री विनोद पालीनकर और आवास मंत्री जयेश सलगांवकर, दो निर्दलीय मंत्री रोहन खुंटे और गोविंद गौडे तथा एक अन्य निर्दलीय विधायक प्रसाद गावकर शामिल हैं।

40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में तीन विधायकों वाली महाराष्ट्र गोमांतक पार्टी के प्रतिनिधि देर शाम को भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मिल सकते हैं।

एमजीपी नेता और लोक निर्माण विभाग मंत्री सुदिन धवलीकर को एक उपमुख्यमंत्री बनाकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के प्रस्ताव का गोवा फॉरवर्ड ने विरोध किया है।

तीनों केंद्रीय नेता नेतृत्व संकट का कोई समाधान निकालने राज्य में हैं। यह संकट पर्रिकर के शनिवार को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराए जाने के बाद पैदा हुआ है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 40 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल 14 विधायक हैं। इनमें से तीन गंभीर रूप से बीमार हैं। और इसलिए सरकार बचाने के लिए गठबंधन सहयोगियों का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय पर्यवेक्षकों से रविवार अपराह्न् मुलाकात करने वाले भाजपा विधायकों ने फिलहाल पर्रिकर के नेतृत्व में भरोसा जताया है और कहा है कि जरूरत पड़ने पर कोई नया नेता भाजपा से ही आना चाहिए।

भाजपा विधायक निलेश कबराल ने संवाददाताओं से कहा, भाजपा के अंदर ही किसी की तलाश करनी चाहिए और पर्रिकर को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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