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व्यावसायिक सरोगेसी प्रतिबंधित करने वाला विधेयक लोकसभा में पारित
नई दिल्ली, 19 दिसम्बर (आईएएनएस)| लोकसभा में बुधवार को सरोगेसी (नियामक) विधेयक, 2016 ध्वनिमत से पारित हो गया। यह विधेयक सरोगेसी (किराए की कोख) के प्रभावी नियमन को सुनिश्चित करेगा, व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करेगा और बांझपन से जूझ रहे भारतीय दंपतियों की जरूरतों के लिए सरोगेसी की इजाजत देगा। विधेयक के प्रावधानों पर बहस की शुरुआत करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने कहा कि व्यावसायिक सरोगेसी को प्रतिबंधित करने की विधि आयोग की सिफारिश के बाद यह विधेयक लाया गया है।
उन्होंने कहा, “एनजीओ और सिविल सोसायटी की भी राय थी कि व्यावसायिक सरोगेसी को बंद किया जाना चाहिए। सरोगेट माताओं का उत्पीड़न भी एक मुद्दा था। सरकार ने भारतीय लोकाचार को ध्यान में रखते हुए विधेयक लाने का फैसला किया, ताकि सरोगेट माताओं के उत्पीड़न को रोका जा सके।”
इसे ऐतिहासिक विधेयक करार देते हुए नड्डा ने विधेयक को पारित कराने के लिए सभी दलों से समर्थन की मांग की।
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की काकोली घोष ने हालांकि विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इसे जल्दबाजी में तैयार किया गया है। उन्होंने समलैंगिकों और समान लिंग के दंपतियों के लिए विकल्पों की इजाजत देकर इसकी सीमा बढ़ाने की मांग की।
उन्होंने अपने शरीर को आकार में रखने के मकसद से सरोगेसी का इस्तेमाल करने वालों पर भी रोक लगाने की मांग की।
उन्होंने कहा, “हमें हमारे देश में चल रही फैशन सरोगेसी को रोकना चाहिए। मैं नाम नहीं लेना चाहती, लेकिन फिल्म स्टार और उनके रिश्तेदार केवल इस लिए सरोगेट माताओं का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि वे अपनी काया को बिगड़ने देना नहीं चाहते। इस तरह की फैशन सरोगेसी को रोका जाना चाहिए।”
उन्होंने एआरटी(सहायक प्रजनन तकनीक) मसौदा विधेयक की तर्ज पर विधेयक पर सार्वजनिक बहस की भी मांग की और कहा कि सरोगेसी विधेयक को एआरटी विधेयक के साथ आना चाहिए।
उन्होंने कहा, “बिना एक आईवीएफ लैबोरेटरी के, बिना टेस्टट्यूब बेबी के हम सरोगेट नहीं कर सकते। इसलिए इन दोनों विधेयकों को साथ लाना चाहिए।”
विधेयक का समर्थन करते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले ने अकेले परिजनों के लिए प्रावधानों की मांग की और कहा कि उन्हें भी कानून में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
विधेयक उन्हीं दंपतियों को सरोगेसी की इजाजत देता है, जो गर्भधारण नहीं कर सकते।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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