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लाइफ स्टाइल

Condom पहन कर संबंध बनाने से Girlfriend को होती है ये तकलीफ, बढ़ जाती…

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Condom

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Condom का इस्तेमाल अक्सर लोग तब करते हैं जब उन्हें बच्चे की चाह नहीं होती। इतना ही नहीं AIDS के खतरे से बच सकें इसलिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। बहुत से मौकों पर ऐसा होता है कि हम इसे पहनने का सही तरीका नहीं अपना पाते जो हमारे जीवनसाथी और या गर्लफ्रेंड के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
गलत तरीके से कंडोम पहनने से आपके पार्टनर को नुकसान हो सकता है, लेकिन हम ध्यान नहीं देते। इसलिए जल्दी में गलत तरीके से इसे पहनने से गर्लफ्रंड या जीवनसाथी को तकलीफों से गुजरना पड़ सकता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत देश में ज्यादातर लोग इसे पहनने का सही तरीका नहीं जानते हैं, जिसके कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। क्या आप जानते हैं इससे महिलाओं पर भी काफी बुरा असर पड़ता है इसीलिए आज हम आप सभी को बताने जा रहे हैं कि इसे पहनने का सही तरीका क्या है।

कंडोम पहनने का सही तरीका-

1.ऐसे देखा जाता है कि लोग कंडोम के पैकेट को तुरंत ही फाड़कर इसे पहन लेते हैं जोकि ग़लत है, क्योंकि इसके पैकेट में आगे की तरफ हवा भरी होती है इसलिए ज़रूरी है कि पहनने से पहले इसकी हवा जरूर निकाल दें अगर आप ऐसा करेंगे तो आप कंडोम को सही तरीके से पहन पाएंगे।

2.कंडोम पहनने से पहले इसे एक बार अच्छे तरीके से चेक जरूर करें। क्योंकि कई बार पैकेट से फटे हुए भी निकल आते हैं जिसकी वजह से अनचाहे गर्भ का खतरा 30% तक बड़ जाता है। इसीलिए हमेशा इस चीज पर ध्यान दें और कभी भी फटे कंडोम का इस्तेमाल ना करें।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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