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लोकसभा चुनाव 2019: आडवाणी के टिकट कटने की बड़ी वजह आई सामने, जानकर चौंक जाएंगे आप

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नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आखिरकार लंबे इंतजार के बाद गुरूवार शाम उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी। इस सूची में 184 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा हुई है। बीजेपी चुनाव समिति के सचिव जे.पी नड्डा ने मीडिया को संबोधित करते हुए होली के दिन इन नामों की घोषणा की।

उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी से चुनाव लड़ेगें। इस लिस्ट की सबसे हैरान कर देने वाली बात बीजेपी के लौहपुरुष कहलाने वाले लालकृष्ण आडवाणी का टिकट कटना था। जी हां आपने बिल्कुल सही सुना गांधीनगर सीट से 6 बार सांसद रह चुके आडवाणी का टिकट इस बार काट दिया गया है। उनकी जगह इस सीट से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ेंगे। लिस्ट जारी होने के बाद आडवाणी का टिकट कटने की बड़ी वजह सामने आई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गांधीनगर से सांसद आडवाणी 91 साल के हो चुके हैं। बीजेपी में पहले से ही यह संकेत मिलने लगे थे कि वरिष्ठ नेता जिनकी उम्र 75 साल से ज्यादा है उनका टिकट कट सकता है। यही वजह से है कि पार्टी ने उनकी जगह अमित शाह को टिकट देने का फैसला किया।

इसके अलावा बीजेपी की प्रदेश इकाई की तरफ से भी मांग उठने लगी थी कि आडवाणी की जगह अमित शाह को गांधीनगर से टिकट दिया जाए। पार्टी पर्यवेक्षक निमाबेन आचार्य ने बताया था कि बीजेपी ने 16 मार्च को पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की राय जानने के लिए गांधीनगर में पर्यवेक्षकों को भेजा था और इनमें से अधिकतर ने शाह का पक्ष लिया।

आपको बता दें कि लालकृष्ण आडवाणी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बीजेपी के उन नेताओं में शुमार हैं जिन्होंने पार्टी को 2 सीटों की पार्टी को आज मुख्य पार्टी बना दिया। बीजेपी को मौजूदा स्वरूप में खड़ा करने में इन दोनों नेताओं की अहम भूमिका रही है।

आडवाणी ने 1992 की अयोध्या रथ यात्रा निकाल कर बीजेपी की राजनीति में धार दी थी। एक वक्त रहा है जब लालकृष्ण आडवाणी भारत की राजनीति की दिशा को तय करते थे और उन्हें प्रधानमंत्री पद का प्रबल दावेदार तक माना जाता था। ये वही आडवाणी हैं जिन्होंने 1984 में दो सीटों पर सिमटी बीजेपी को 1998 में पहली बार सत्ता का स्वाद चखाया।

मगर लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी को 2004 और 2009 के चुनावों में मिली लगातार दो हार ने उन्हें पीछे ढकेल दिया। संसदीय राजनीति में वह गांधीनगर की सीट पर पहली 1991 में चुनाव लड़े थे। फिर 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में जीते।

हालांकि बाबरी केस की वजह से आडवाणी 1996 के चुनाव में मैदान में नहीं उतर पाए थे। 2009 में आडवाणी के नेतृत्व में बीजेपी कांग्रेस से हार गई थी और यहीं से उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई। 2014 में बीजेपी मोदी के नेतृत्व में जीती जिसके बाद आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया।

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केरल के कन्नूर जिले में चोरों ने व्यवसायी के घर से उड़ाए एक करोड़ रुपये, सोने के 300 सिक्के

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कन्नूर। केरल के कन्नूर जिले में चोरों के एक गिरोह ने वालापट्टनम में एक व्यवसायी के घर से एक करोड़ रुपये की नकदी और सोने की 300 गिन्नियां चुरा लिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।पुलिस के मुताबिक चोरी की यह घटना उस समय हुई जब व्यवसायी और उसका परिवार एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के मदुरै गए हुए थे। उन्होंने बताया कि चोरी का पता तब चला जब रविवार रात को व्यवसायी का परिवार घर लौटा और लॉकर में रखा कीमती सामान गायब पाया।

सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घर के सभी लोग 19 नवंबर से ही घर से बाहर थे। और संदेह है कि चोरों ने रसोई की खिड़की की ग्रिल काटकर घर में प्रवेश किया। सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा जा सकता है।

चोरों को लिए गए फिंगरप्रिंट

पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि नकदी, सोना और अन्य कीमती सामान आलमारी में बंद करके रखे गए थे। इसकी चाबी दूसरे कमरे में रखी गई थी। पुलिस और ‘फिंगरप्रिंट’ (अंगुलियों के निशान) लेने वाले विशेषज्ञों की एक टीम घर पहुंची और सुबूत एकत्र किए तथा आरोपियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है।

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