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प्रादेशिक

मप्र के राज्यपाल के खिलाफ प्राथमिकी पर लगी रोक

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जबलपुर | मध्य प्रदेश के जबलपुर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ वन रक्षक भर्ती मामले में विशेष कार्य बल (एसटीएफ) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआईआर) पर स्थगन आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर व न्यायाधीश रोहित आर्या की खंडपीठ ने विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा है।

बहुचर्चित व्यापमं घोटाला मामले में एसटीएफ द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने को चुनौती देते हुए राज्यपाल रामनरेश यादव की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। दायर याचिका में संविधान की धारा 361(2)व(3)का हवाला देते हुए कहा गया कि राष्ट्रपति व राज्यपाल के खिलाफ अपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है और उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता है। इस याचिका पर सोमवार को हुई लंबी सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने फैसला 17 अप्रैल तक सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया ने बताया कि युगलपीठ ने विस्तृत फैसला सुरक्षित रखते हुए एसटीएफ द्वारा दर्ज एफआईआर पर स्थगनादेश जारी किया है। युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि राज्यपाल के संवैधानिक अधिकार का हनन किसी स्थिति में नहीं होना चाहिए।

राज्यपाल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि वन रक्षक भर्ती 2013 के मामले में एसटीएफ ने पहले से अपराध दर्ज कर रखा है। एसटीएफ ने इसी मामले में हाल ही में एक और प्रकरण दर्ज किया है, जिसमें राज्यपाल, पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, खनन कारोबारी सुधीर शर्मा सहित व्यापमं के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी व सीनियर सिस्टम एनालिस्ट नितिन महिंद्रा सहित 101 नामजद सहित अन्य को आरोपी बनाया गया है। यह एफआईआर पंकज त्रिवेदी व नितिन महिंद्रा के बयान व महिंद्रा के कार्यालय में लगे कंप्यूटर से जब्त सेकेंड हार्ड डिस्क में मिले दस्तावेज के आधार पर की गई है। खंडपीठ को बताया गया था कि जिस एक्सल सीट के आधार पर राज्यपाल राम नरेश यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उसमें सिर्फ गवर्नर लिखा हुआ है।

सवाल उठाया गया है कि अभियुक्त पंकज त्रिवेदी व नितिन महिंद्रा द्वारा दी गई जानकारी को एसटीएफ ने आधार बनाकर एफआईआर कैसे दर्ज कर ली। वहीं संविधान की धारा 361(2) में राष्ट्रपति व राज्यपाल को प्राप्त संरक्षण, उनके विरुद्ध किसी भी आपराधिक प्रक्रिया को शुरू करने के संबंध में प्रतिबंध लागू करता है। उसमें एफआईआर व शिकायत दर्ज करना भी आपराधिक प्रकिया को शुरू करना माना जाएगा। राज्यपाल को प्राप्त संरक्षण संवैधानिक रूप से पूर्व संरक्षण है। जैसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के संबंध में अमेरिका के संघीय न्यायालय ने निर्णीत किया है। याचिका में यह भी कहा गया था कि जांच की मॉनिटरिंग कर रही एसआईटी के समक्ष कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने साक्ष्यों के साथ एक शिकायत प्रस्तुत की है। इसमें कहा गया है कि ओरिजनल एक्सेल सीट में 45 जगह सिफारिशकर्ता के रूप में मुख्यमंत्री लिखा गया है, जबकि तैयार की गई एक्सेल सीट में एक जगह राजभवन, सात जगह उमा भारती के नाम का प्रयोग किया गया है।

इसके अलावा प्रकाश पांडे नामक एक व्यक्ति ने भी दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर असली एक्सेल सीट उसके पास होने का दावा किया है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनि त्रिवेदी व महेंद्र पटेरिया ने भी पक्ष रखा था। पटेरिया के अनुसार न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्यपाल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी पर रोक लगाई है, अभी विस्तृत आदेश सुरक्षित रखा है। उसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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