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हड़ताल से न्याय पाने वाला प्रभावित होता है, न कि जज और अधिवक्ता: CJI

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CJI DY Chandrachud

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने कहा कि जब अधिवक्ता हड़ताल पर होते हैं तो न्याय पाने वाला प्रभावित होता है न कि जज और अधिवक्ता। हाल ही में गुजरात, मद्रास और तेलंगाना हाई कोर्ट के वकीलों ने न्यायाधीशों के स्थानांतरण के लिए सुप्रीम कोर्ट कालेजियम द्वारा किए गए प्रस्ताव का विरोध करते हुए हड़ताल की थी।

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बार काउंसिल आफ इंडिया द्वारा उन्हें सम्मानित करने के लिए आयोजित एक समारोह में अपने संबोधन में सीजेआइ ने कहा कि सद्भाव और संतुलन हमारे समाज और अदालतों की शांति बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि डा. बीआर आंबेडकर ने जब संविधान को अपनाने की पूर्व संध्या पर संविधान सभा से बात की तब कहा था कि हम अब तक औपनिवेशिक शासन के अधीन थे और तब सत्याग्रह और हड़ताल एक साधन था लेकिन अब हम स्वराज हासिल कर चुके हैं। इसलिए सत्याग्रह और हड़ताल को सहयोग, स्थिरता, शांति और संतुलन के लिए रास्ता देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यही वह शांति और सामाजिक स्थिरता है, जिसके बारे में मैं बात करता हूं। बहुत सारी चीजें बातचीत से हल की जा सकती हैं और बार के सदस्यों के लिए यह महसूस करना महत्वपूर्ण है।

सीजेआइ ने कहा कि जिला न्यायपालिका पर भरोसा करना सीखना होगा। यह वास्तव में न्याय पाने की आस वाले आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करेगी। जिला न्यायालय देश की न्यायिक प्रणाली के मामलों में उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितने कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट। जिला न्यायपालिका न्यायपालिका और आम नागरिक के बीच इंटरफेस का पहला बिंदु है।

क्या बोले कानून मंत्री किरेन रिजिजू

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भी उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों के तबादले की सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की सिफारिशों के खिलाफ कुछ बार एसोसिएशन द्वारा विरोध प्रदर्शन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अगर कोलेजियम द्वारा लिए गए हर निर्णय के लिए बार-बार हड़तालें होंगी तो यह हमें कहां तक ले जाएगी। वकीलों को ऐसा नहीं करना चाहिए।

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सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए बनेगा कानून – केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव

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नई दिल्ली। लोकसभा में हगामे के बीच बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने प्रश्नकाल के दौरान सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट का मुद्दा उठाया। अरुण गोविल के सवाल का जवाब में देते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्मों पर अश्लील कंटेंट को रोकने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए मौजूदा कानूनों को मजबूत करने की आवश्यकता है। हमारे देश की संस्कृति और उन देशों की संस्कृति के बीच बहुत अंतर है जहां पर ओटीटी पर अश्लील कंटेंट आते है।

केंद्रीय मंत्री ने आम सहमति बनाने का किया अनुरोध

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मैं चाहूंगा कि स्थायी समिति इस मुद्दे को उठाए। मौजूदा कानून को मजबूत करने की जरूरत है और मैं इस पर आम सहमति का अनुरोध करता हूं। मंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर अश्लील सामग्री भी चलाई जाती है।

नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है सरकार

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि पहले कोई चीज पब्लिश करने के लिए संपादकीय टीम होती थी। इसकी वजह से कोई अश्लील कंटेंट पब्लिश नहीं होता था। जो अब नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने यह बयान उनके डिप्टी एल मुरुगन द्वारा यह पुष्टि किए जाने के एक महीने बाद आया है कि सरकार ओटीटी सामग्री को विनियमित करने के लिए एक नई नीति का मसौदा तैयार कर रही है।

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