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मोदी सरकार का 1 वर्ष देश के चौतरफा विकास और जनहित को समर्पित
-आजादी के बाद की सफलतम सरकार है केंद्र सरकार
केंद्र की मोदी सरकार गरीबों के साथ-साथ मानवीय संवेदना की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली सरकार को एक वर्ष बीतने को है। सरकार के रीति-नीति, कार्यशैली, जन अपेक्षाएं और आकांक्षाओं को लेकर मीडिया जगत से लेकर विभिन्न राजनैतिक दल तथा समाजिक और राजनैतिक ऐजेंडे पर बात करने वाले लोग अपनी-अपनी तरह की सरकार की तस्वीर पेश कर रहे है। कुछ सही कुछ गलत, कुछ भ्रामक और कुछ नितांत स्वार्थ प्रेरित झूठ। इलेक्ट्रानिक चैनलों की बहस का ऐजेंडा और निष्कर्ष दोनों वही तय कर रहे हैं। केंद्र सरकार के प्रति जनता को भ्रमित करने वाला ऐजेंडा आज मीडिया जगत में जोरो पर है। केंद्र सरकार द्वारा पिछले एक वर्ष में किए गए कार्य और निर्णय तथा प्रयास अत्यन्त उत्साहजनक व देश के 125 करोड़ लोगों के समृद्धि और विकास का मार्ग प्रशस्त करने वाले हैं।
तथ्यों तथा सच्चाई के आधार पर निष्पक्ष दृष्टि से यदि हम केंद्र सरकार के कार्य को देखें तो उससे स्पष्ट है कि सरकार में इच्छाशक्ति भी है और साहस भी है। यह एक ऐसी संवेदनशील सरकार है जो अपने लोगों के साथ हमेशा हर संकट में खड़ी रही। संकट चाहे जम्मू-कश्मीर में बाढ़ का रहा हो या यमन, इराक, सोमालिया आदि देशों में फंसे हुए अपने नागरिकों को संकट से उबारने का। सरकार ने अफगानिस्तान और श्रीलंका ने अपने लोगों की जान-माल की रक्षा की है। नेपाल में आई भूकम्प त्रासदी रही हो या फिर मालद्वीप में पीने का पानी का संकट रहा हो, भारत सरकार की तत्पर मदद की आज पूरा विश्व प्रशंसा कर रहा है। यह सरकार प्रत्येक मौके पर उपलब्ध दिखी।
सरकारी कार्यों ने गति पकड़ी
पिछले 10 वर्षों में यूपीए शासन के दौरान अनिर्णय में फंसी सारी परियोजनाओं को अनिर्णय से निकालकर विकास को गति दी गई। वह परियोजनाएं चाहे रक्षा क्षेत्र से जुड़ी रही हों या फिर राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचे के विकास की हों। युवाओं के रोजगार, विज्ञान और तकनीकी विकास की परियोजनाएं रहीं हो, जन स्वास्थ्य या किसानों की बेहतरी की बात हो, रेल और जल परिवहन में नई परियोजनाओं और नई दिशा और विकास की बात हो, देश के संघीय ढ़ाचे को मजबूत करने की बात हो और प्रत्येक राज्य में आईआईटी, आईआईएम और आर्युविज्ञान संस्थान की स्थापना की बात हो, व्यापार नीति की बात हो, सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा जैसे विषय हो, शिक्षा और बुनियादी सुविधाएं हों, सरकार पूरी ताकत के साथ सभी क्षेत्रों में तेजी से काम कर रही है। मोदी सरकार ने पिछली यूपीए सरकार की धीमी गति से बाहर निकाल कर भारत के विकास को तीव्र गति प्रदान की जिसका नतीजा है कि आज हम दुनिया के पहली पंक्ति के देशों में खड़े हैं।
सरकार के विकास के मॉडल के आंकलन की दृष्टि से देखें तो हम यह पाएंगे कि मनमोहन सरकार के दौरान देश की जीडीपी 4.4 प्रतिशत रह गई थी। जो एक वर्ष के अंदर 5.7 पर पहुंच गई, आर्थिक विकास दर 7.5 प्रतिशत से अधिक हुआ, विदेशी मुद्रा कोष में रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गयी। देश में आर्थिक जगत और औद्योगिक क्षेत्र में मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद निराशा का वातावरण दूर हुआ। आर्थिक मानदण्डों पर हम आगे बढ़ रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति जो यूपीए के शासन में 2.5 किमी. प्रतिदिन थी आज एक साल के अंदर 12 किमी. प्रतिदिन की गति को प्राप्त कर लिया है। बीएसएनएल जैसी 1 लाख करोड़ की सरकारी कम्पनी जो अटल जी के शासनकाल में 10 हजार करोड़ प्रतिवर्ष लाभ कमा रही थी। यूपीए शासन में षड़यंत्र के तहत 7.50 हजार करोड़ घाटे में चली गई। कारण प्राइवेट टेलीकाम कम्पनियों को फायदा पहुंचाना था। मोदी सरकार ने इसे उबारने का निर्णय लेकर 25 हजार टावर जिसमें से 3000 हजार टावर केवल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं। ताकि वहां के लोगों को इंटरनेट सुविधाओं से जोड़ा जा सके। देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों में ब्रांडबैंड से जोड़ने का काम पिछली सरकार से 30 गुना तेजी के साथ चल रहा है ताकि ई-शिक्षा, ई-स्वास्थ्य, ई-कार्मश से देश के आम आदमी को जोड़ा जा सके।
पेंशनार्थियों की सुविधा के लिए जीवन-प्रमाणन पत्र को डिजिटल किया जा रहा है। अकेले ही दूरसंचार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं में डेढ़ से दो लाख लोगो को रोजगार प्राप्त हो रहा है। बीएसएनएल और एमटीएनएल जैसी सरकारी कम्पनियों को घाटे से उबारकर पटरी पर लाया जा रहा है। ताकि लाखों कर्मचरियों की सेवा सुरक्षित हो सके। इसी तरह समाजिक क्षेत्र में नमामि गंगे परियोजना के लिए केन्द्र सरकार ने 20 हजार करोड़ की योजना को मंजूरी देकर, बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, सांसद आदर्श ग्राम योजना, अटल पेंशन योजना, जीवन ज्योति योजना, प्रधानमंत्री दुर्घटना बीमा योजना, 20 हजार करोड़ से शुरू किए गए मुद्रा बैंक के माध्यम से छोटे खुदरा व्यापारियों को लोन की सुविधा प्रदान की है। क्या यह सब देश के कारपोरेट और उद्योगपतियों के लिए है?
मोदी सरकार पारदर्शी, संवेदनशील, भ्रष्टाचार मुक्त, जवाबदेह और निर्णयक सरकार है। मोदी जी ने देश के अर्थतंत्र को पटरी पर लाने का सफल प्रयास किया। आज भारत विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जो कार्य मनमोहन सिंह की सरकार ने 10 वर्षों में नहीं हुआ। महंगाई 6 से 7 प्रतिशत थी जो मोदी सरकार ने मार्च में (-)2.33 प्रतिशत करके दिखा दिया। आज सूट-बूट और उद्योगपतियों की सरकार का तंज कसने वाले राहुल बाबा यह भूल गए कि जिस यूपीए शासन का रिमोट कंट्रोल उनकी मां के हाथ में था, उसमें 73 घोटाले हुए। 12 लाख करोड़ की जन-धन की लूट हुई, यह जन-धन की लूट सरकार में बैठे लोगों और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं थी तो क्या थी? आज राहुल बाबा किसानों के बड़े भारी हितैषी बनने का स्वांग कर रहे हैं। जबकि यूपीए शासन के दौरान किसानों को यूरिया ब्लैक में खरीदनी पड़ी, कांग्रेस सरकार ने सेज के लिए हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि की लूट उद्योगपतियों के लिए की गई। जिसमें आज भी अनेकों जगह पर आज भी कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ। मनमोहन सरकार में औद्योगिक उत्पादन (-)12 प्रतिशत पहुंच गया था। जो मोदी सरकार में 5 प्रतिशत पर पहुंच गया। 17 प्रतिशत ग्रोथ दर्ज हुई। विदेशी निवेश में यूपीए कार्यकाल की अपेक्षा 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई तथा सर्विस सेक्टर 48 से 53 प्रतिशत तक पहुंचा।
आजाद भारत पर यदि हम दृष्टि डालें तो 68 वर्ष में लगभग 60 वर्ष काग्रेस सरकार में रही जिसमें देश में 60 प्रतिशत आबादी के पास बैक एकाउंट तक नहीं था। जन धन योजना के माध्यम से 14 करोड़ लोग बैंक से जुड़कर देश की अर्थव्यवस्था से सीधे तौर पर जुड़े। क्या यह सब उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार कर रही है? मोदी सरकार के खिलाफ, उसे बदनाम करने का उद्योगपतियों की सरकार बताने का, गरीब किसान विरोधी सरकार बताने का एक नियोजित षडयंत्र इस देश में चलाया जा रहा है। वास्तविकता यह है कि जितने निर्णय इस सरकार ने लिए, उससे देश समृद्ध हुआ। केवल 20 कोयला खदानो से 2 लाख करोड़ सरकार कोष में आया। पारदर्शी स्पेक्ट्रम की थोड़ी सी नीलामी से 1 लाख 9 हजार करोड़ सरकारी कोष में आए। सडक परिवहन मंत्री श्री नितिन गड़करी द्वारा सरकारी कार्यों के लिए सीमेंट की दर 350 से 120 रुपए प्रति बोरी तय कर सरकार के कोष में लाखों करोड़ की बचत की गई। ईरान में पोर्ट बनाकर यूरिया की कीमत आधी करने की योजना क्या उद्योगपतियों के फायदे के लिए है?
भूमि अधिग्रहण बिल को किसान विरोधी बताकर सरकार की छवि को बिगाडने की एक बड़ी साजिश हो रही है। जो ऐसा कर रहे हैं, वे नहीं चाहते कि किसान समृद्ध हो और उनका विकास हो। इसीलिए वे इस प्रकार के दुष्प्रचार में निरंतर लगे हैं और इसमें मीडिया भी पूरी तरह उनका साथ दे रही है। जिन दो मुद्दों पर सर्वाधिक प्रोपोगैंडा किया जा रहा है। उनमें सोशल इम्पैक्ट असेमेन्ट जिसके तहत कांग्रेस ने अपने बिल में 13 विषयों को इसके दायरे के बाहर रखा था। जबकि वर्तमान बिल में कुल 5 विषय रक्षा, रेल, परिवहन, उर्जा और इन्फ्रास्ट्रकचर जैसे विषय हैं। इनके बिना देश का विकास सम्भव नहीं है। दूसरा इंड्रस्ट्ररियल करीडोर के दोनो तरफ एक किलोमीटर भूमि अधिग्रहण की बात को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है जबकि वास्तविकता ये है कि जमीन वहीं अधिग्रहीत की जाएगी जहां व्यवसयायिक क्लस्टर विकसित करना होगा न कि पूरे कॉरीडोर के साथ। कांग्रेस के भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन हेतु 32 राज्य सरकारों ने केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था जिसमें उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारें शामिल थीं। इन सब से विचार-विमर्श के बाद यह बिल लाया गया और जहां तक मुआवजे की बात है। 13 क्षेत्रों के भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा डीएम सर्किल रेट के हिसाब से कांग्रेस के बिल में प्रविधान था जबकि वर्तमान बिल में उन सभी क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों में दो गुना तथा ग्रामीणों क्षेत्रों में चार गुना मुआवजा देने का प्रावधान है। इसी तरह इनमें अनेक प्रावधान ऐसे हैं जो किसानों को स्थायी समृद्धि देने का प्रयास है। इस प्रावधान के तहत ही आज उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार आगरा से लखनऊ एक्सप्रेस वे के लिए जमीन ले सकी और केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए 2 हजार करोड़ की राशि का भुगतान किसानों को किया। क्या देश के विकास हेतु रेल, सडक, विद्युत परियोजनाएं व गरीबों के लिए घर नहीं चाहिए? क्या ये सब कारपोरेट व उद्योगपतियों के लिए है?
मोदी सरकार ने देश-विदेश में ये लोकप्रियता बहुत कम समय में हासिल की है और भारत व भारतीयता का परचम पूरी दुनिया में फहराया है। 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ के 177 देशों द्वारा योग दिवस मनाने पर स्वीकृति वास्तव में भारतीय संस्कृति पर एक मुहर है। जो लोग मोदी सरकार से ईष्यालु है। जो ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार नहीं चाहते, वे सारी ताकतें मोदी के खिलाफ गोलबंद होकर काम कर रहे हैं। उन्हें लगता है जिस रफ्तार से सरकार काम कर रही है यदि इसी तरह से काम करती रही तो भारत दुनिया की अगुवाई करने के लिए शीघ्र ही खड़ा हो जाएगा। यह कांग्रेस और उनके पिछल्लगुओं को मंजूर नहीं। शायद यही कारण है कि वे सब मोदी सरकार की एक वर्ष की अतुलनीय सफलता को देखकर सदमे में हैं और झूठे प्रलाप कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। सम्भवतः उनको यह पता नहीं कि भारत की जनता जागरुक है वह इनके बहकावे में आने वाली नहीं। केंद्र सरकार की सफलता का परिणाम है कि 10 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और 36 देशों के विदेश मंत्री भारत आए, 40 से अधिक देशों में हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री गए, 102 देशो से सीधा सम्बन्ध कायम हुआ जो हमारी वैदेशिक और कूटनीतिक सफलता का प्रमाण है। मोदी जी के नेतृत्व में देश में नये उत्साह और आशा का संचार हुआ है और पूरी दुनिया के लोग भारत की तरफ देख रहे हैं। इसलिए जो लोग मोदी सरकार की आलोचना कर रहे हैं, उनके अन्दर या तो निष्पक्ष दृष्टि का भाव है या सरकार के कामकाज की सच्चाई से वह अवगत नहीं हैं।
(लेखक हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हैं)
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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत
पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।
AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.
शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव
अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।
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