Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

हेल्थ

युवाओं में दिल की बीमारियों का मुख्य कारण धूम्रपान

Published

on

Loading

नई दिल्ली | विश्व स्वस्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) के मुताबिक, एक ही उम्र वर्ग के युवा धूम्रपान करने वालों के दिल की धड़कन धूम्रपान न करने वालों से 2-3 बार ज्यादा धड़कती है। तंबाकू में मौजूद निकोटीन में लत लगाने की क्षमता होती है और धूम्रपान से कुछ समय बाद व्यक्ति का रक्तचाप और धड़कन की रफ्तार बढ़ जाती है। इससे दिल और धमनियों पर दबाव पड़ता है और दिल का दौरा पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। शोधों से पता चलता है कि दुनियाभर की दिल की कुल बीमारियों का दसवां हिस्सा धूम्रपान की वजह से है। जब कोई धुम्रपान करता है या तंबाकू अंदर खींचता है तो कार्बन मोनोऑक्साईड पैदा होता है, जो खून की ऑक्सीजन प्रवाह करने की क्षमता को कम करता है, जिससे शरीर के अहम अंगों और तंतुओं में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। इस तरह पैदा हुई कार्बन मोनोऑक्साइड प्लेटलेट्स में चिपचिपापन और एथरोस्लेरोसिस भी पैदा करती है, जिससे अचानक मौत हो सकती है।

दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स बालाजी सुपर स्पेशिलटी हस्पताल के कार्डियक कैथ लैब के एसोसिएट डायरेक्टर और प्रमुख डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि दिल के साथ-साथ तंबाकू सेवन से शरीर के अन्य अंगों की कार्यप्रणाली पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे ही कोई सिगरेट का धुआं अपने अंदर खींचता है, तो शरीर में 4000 जहरीले खून में रसायन पैदा होते हैं, जो शरीर के कोने-कोने में फैल जाते हैं। सिगरेट में कार्बन मोनोआक्साइड, आर्सेनिक, फोरमलडायहड, हाइड्रोजन, सिनानाइड, अमोनिया, लेड और एक्टेलडेहाइड आदि शामिल होते हैं।

शोध में पता चला है कि युवाओं में धूम्रपान की वजह से दिमाग, फेफड़े, गुर्दे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और मुंह की सेहत खराब हो जाती है व कैंसर की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। हम धूम्रपान और तंबाकू के सेवन से होने वाली सभी बीमारियों को टोबोकॉसिस कहते हैं। वल्र्ड नो टोबैको डे के मौके पर हम लोगों से अपील करना चाहेंगे कि वह धूम्रपान छोड़ें और रोग मुक्त सेहतमंद जीवन जिएं।

कैलाश हॉस्पिटल एंड हार्ट इंस्टीट्यूट, नोएडा के सीनियर इंटरवेन्शनल कार्डियॉलॉजिस्ट डॉ. संतोष कुमार अग्रवाल कहा कि आज की युवा पीढ़ी में सिगरेट पीना एक फैशन सा हो गया है। यह माना जाने लगा है कि इससे दोस्त आसानी से बन जाते हैं, कॉलेज और दफ्तरो में साथियों के साथ जल्दी घुलमिल जाते हैं और लोगों में एक खास पहचान बनती है, लेकिन वह धूम्रपान से सेहत पर पड़ने वाले गंभीर प्रभावों और दिल को लगने वाले उम्रभर के रोगों के बारे में नहीं जानते।

यह प्रमाणित तथ्य है कि जो लोग एक दिन में एक पैकेट या उससे ज्यादा सिगरेट पीते हैं, वे धूम्रपान न करने वालों के मुकाबले 7 साल कम जीते हैं।

तंबाकू का सेवन दिल के लिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि इसका निकोटीन धूम्रपान करने वाले का बल्ड प्रेशर बढ़ा देता है, जिससे धमनियों में रक्त के थक्के बनते हैं और शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड जमा हो जाते हैं, जिससे लहू धमनियों की दीवारों पर कॉलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है। इससे रक्त का प्रवाह रुक जाता है।

धुम्रपान कैसे छोड़ें :

* निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी तंबाकू की इच्छा से लड़ने का बेहतर रास्ता है। अपने फिजीशियन से जानें कि आपके लिए कौन सी थैरेपी सबसे बेहतर रहेगी।

* निकोटीन नोजल स्प्रे, निकोटीन इनहेल्र्ज, और कुछ अन्य दवाइयां भी मदद कर सकती हैं।

* नियमित तौर पर 30 मिनट तक हल्का व्यायाम करने से निकोटीन की इच्छा कम की जा सकती है।

* आम तौर पर देखा गया है कि तनाव की वजह से धूम्रपान करने का मन होता है, इसलिए तनाव मुक्त रहने की गतिविधियां जैसे कि योग, मेडिटेशन, मसल रिलैक्सेशन और ब्रीदिंग टेक्निक्स काफी मददगार साबित हो सकती हैं।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

Published

on

By

high cholesterol symptoms

Loading

नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Continue Reading

Trending