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प्रादेशिक

उप्र : सैफई महोत्सवों में सरकार के 3 करोड़ रुपये खर्च

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लखनऊ | उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के तीन वर्षो के कार्यकाल में राज्य के संस्कृति निदेशालय ने सैफई महोत्सव पर खास मेहरबानी दिखाई है। संस्कृति विभाग ने सैफई महोत्सव पर तीन साल में तीन करोड़ रुपये से ज्यादा धन खर्च किया है। सामाजिक कार्यकर्ता संजय शर्मा द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में संस्कृति निदेशालय की मेहरबानी का खुलासा हुआ है। शर्मा ने आईएएनएस से कहा, “दरअसल, मैंने साल 2009 से 2014 तक के सैफई महोत्सवों में यूपी की सरकार द्वारा खर्च की गई राशि की सूचना मांगी थी। जनवरी 2014 में मांगी गई सूचना 16 महीने के बाद मई 2015 में दी गई है, जबकि आरटीआई एक्ट के मुताबिक यह सूचना एक माह के बाद ही मिल जानी चाहिए थी।”

शर्मा ने बताया कि संस्कृति निदेशालय द्वारा दी गई सूचना के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वर्ष 2009, 2010 और 2011 में सैफई महोत्सव के आयोजन के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं दी गई थी, लेकिन वर्ष 2012 में 138़ 52 लाख, वर्ष 2013 में 96़ 59 लाख और वर्ष 2014 में 95़ 29 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी गई। गौरतलब है कि उप्र में वर्ष 2009 से 2011 तक मायावती की सरकार थी। विधानसभा चुनाव के बाद वर्ष 2012, 2013 और 2014 में अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सरकार बनी थी। शर्मा ने कहा, “मायावती के कार्यकाल में सैफई महोत्सव को कोई आर्थिक मदद नही देने और अखिलेश के कार्यकाल में करोड़ों की मदद देने से यह स्वत: सिद्ध हो रहा है कि सैफई महोत्सव को आर्थिक मदद देने का निर्णय सत्ताधारी राजनैतिक दलों की मंशा के अनुसार लिया जाता है, न कि किसी नीति के अंतर्गत।”

उल्लेखनीय है कि उप्र में जब-जब समाजवादी पार्टी की सरकार बनती है, पार्टी प्रमुख की जन्मभूमि पर सैफई महोत्सव हर वर्ष बड़े तामझाम के साथ मनाया जाता है। सपा नेताओं की कृपा से मंत्रियों से लेकर गांव-देहात तक के लोग बॉलीवुड की बड़ी हस्तियों के ठुमके प्रत्यक्ष देखकर अपने नयन जुड़ाते हैं। सरकार के लिए सैफई महोत्सव कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भी यह धूमधाम से मनाया गया था। सैफई महोत्सव को लेकर अखिलेश सरकार को बार-बार सफाई देनी पड़ी थी।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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