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प्रादेशिक

येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार के 3 मामले दर्ज

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बेंगलुरु | कर्नाटक के लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा के खिलाफ उनके कार्यकाल के दौरान बेंगलुरू और इसके आसपास की जमीन को कथित रूप से सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने को लेकर भ्रष्टाचार के तीन मामले दर्ज किए हैं। लोकायुक्त के एक अधिकारी ने आईएएनएस को शनिवार को बताया, “भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रपट के आधार पर एक सामाजिक कार्यकर्ता (जयकुमार हीरेमथ) की शिकायत पर येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।”

सरकार द्वारा जमीन को गैर-अधिसूचित करने तथा बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा जमीन आवंटित करने पर कैग की रपट 2012 में विधानसभा में पेश की गई थी। उस समय राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार थी। येदियुरप्पा, जो कि इस समय भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है, ने 31 जुलाई, 2011 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस्तीफा लोकपाल न्यायमूर्ति एन.संतोष हेगड़े द्वारा करोड़ों रुपये के खनन घोटाले में उनके खिलाफ अभियोग चलाए जाने के बाद दिया था। येदियुरप्पा फिलहाल शिमोगा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।

कैग की रपट के अनुसार, 40 भूखंडों को 2007-2012 के दौरान गैर-अधिसूचित किया गया था, जब जनता दल(सेक्युलर) के विधायक एच.डी.कुमारस्वामी जद (एस)-भाजपा गठबंधन के मुख्यमंत्री थे और येदियुरप्पा मई 2008 से जुलाई 2011 तक मुख्यमंत्री थे। अधिकारी ने बताया, “येदियुरप्पा राज्य के शहरी विकास विभाग के चार अधिकारियों, बीडीए और जमीन मालिकों के साथ पहले आरोपी हैं। येदियुरप्पा ने अपने कार्यकाल के दौरान शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाल रखी थी।”

जो भूखंड राज्य के नियंत्रण से मुक्त किए गए, वे शहर के उपनगरीय इलाके में स्थित हैं, जिससे राजकोष को काफी नुकसान हुआ था। अधिकारियों ने बताया, “हीरेमथ ने 2013 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और अवैध जमीन सौदे की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने उन्हें पहले लोकायुक्त से संपर्क करने का निर्देश दिया था, क्योंकि यह शिकायत और जांच के लिए उचित संस्था है।”

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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