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अन्तर्राष्ट्रीय

बयान को लेकर आलोचानओं से घिरे बॉबी जिंदल

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वाशिंगटन | अमेरिका में लुसियाना राज्य के गवर्नर बॉबी जिंदल राष्ट्रपति चुनाव के अभियान में खुद को भारत से अलग रखने वाली अपनी टिप्पणियों को लेकर ट्विटर पर आलोचनाओं से घिर गए हैं। जिंदल के यह कहने पर कि वह भारतवंशी अमेरिकी नहीं, बल्कि अमेरिकी कहलाना पसंद करते हैं, अमेरिका तथा भारत में लोग उनका मजाक उड़ा रहे हैं। वे ट्विटर पर ‘बॉबी जिंदल सो व्हाइट’ हैश टैग के साथ पोस्ट डाल रहे हैं। भारतवंशी स्टैंड अप कॉमेडियन हरी कोंडाबोलु और आसिफ मांडवी उन्हें लेकर चुटकुले बना रहे हैं।

कोंडाबोलु ने हैशटैग ‘बॉबी जिंदल सो व्हाइट’ के साथ लिखा कि वह अपना नाम ही गलत बुलाते हैं। वह अपना नाम ठीक से नहीं बोल पाते। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि जब बॉबी जिंदल ब्राउन यूनिवर्सिटी पहुंचे, तो वह बहुत असहज महसूस करने लगे। इधर, भारतवंशी प्रवासियों की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए मांडवी ने ट्वीट किया कि बॉबी जिंदल को हाई स्कूल में बहुत कम अंक मिले थे। हालांकि ट्विटर उपयोगकर्ता प्रियंका मंथा ने कहा कि बॉबी ने इतिहास बनाया कि क्योंकि वह पहले पूर्व भारतीय अमेरिकी हैं, जो राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया रिवरसाइड पब्लिक पॉलिसी में प्राध्यापक कार्तिक रामकृष्णन ने एनबीसी से कहा, “बॉबी ने हर मुद्दे पर यह दिखाने की कोशिश की कि उनकी राय एशियाई अमेरिकियों से अलग है।”

हफिंग्टन पोस्ट के लेव राफेल ने जिंदल के बयान पर आश्चर्य व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने कहा था, “मैं भारतवंशी अमेरिकी सुन कर थक गया हूं। मैं अफ्रीकी-अमेरिकी नहीं, न ही भारतवंशी-अमेरिकी हूं। न ही एशियाई-अमेरिकी हूं। मैं सिर्फ अमेरिकी हूं।” हालांकि, न्यूयार्क पोस्ट के एक लेखक जिंदल के बचाव में आ गए। उन्होंने लिखा, “जिंदल इस तरह का रवैया इसलिए अपना रहे हैं, क्योंकि वह अमेरिका की एकजुटता और वादे की वकालत करते हैं।”

अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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