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प्रादेशिक

बिहार : सरकारी दफ्तरों में होगा ‘गौरैया घर’

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पटना | बिहार के राजकीय पक्षी गौरैया के संरक्षण और प्रजनन के लिए शांत माहौल देने के लिए राज्य वन पर्यावरण विभाग ने एक अनोखी पहल की है। इस पहल के तहत विभाग राज्य के सभी सरकारी दफ्तरों और आवासों में लकड़ी के ‘गौरैया घर’ रखने जा रहा है। वन एवं पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में इसकी शुरुआत पटना से की जाएगी, जहां करीब 10 हजार सरकारी कार्यालयों और आवासों में काठ के गौरैया हट रखे जाएंगे। सरकार का मानना है कि अब घरों में आंगन का चलन समाप्त हो गया है। ऐसे में गौरैया को रहने के लिए सही जगह नहीं मिल पा रही है।

प्रधान मुख्य वन संरक्षक बशीर अहमद खां ने आईएएनएस को बताया, “पहले चरण में पटना में सरकारी दफ्तरों और आवासों में गौरैया संरक्षण के लिए काठ के छोटे-छोटे घर लगाए जाएंगे। दूसरे चरण में राज्य के अन्य जिलों में इस योजना को धरातल पर उतारा जाएगा।” उन्होंने बताया कि गौरैया हट का डिजाइन गौरैया संरक्षण में लगे अर्जुन सिंह तैयार कर रहे हैं। वन एवं पर्यावरण विभाग के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि बिहार का राजकीय पक्षी धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। शहरों में कुछ जगहों पर ही गौरैया दिखती हैं। आकड़ों के मुताबिक, गौरैयाओं की संख्या सिमटकर 20 हजार तक रह गई है, ऐसे में उनके संरक्षण की जरूरत है। बशीर अहमद ने बताया कि वन्य प्राणी परिषद की 10 दिन पहले हुई बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को गौरैया संरक्षण और प्रजनन के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया था।

इसके अलावा विभाग राज्यभर में गौरैया संरक्षण के लिए जन जागृति अभियान भी चलाएगा तथा नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से गौरैया संरक्षण के लिए प्रेरित करेगा। राज्य के सरकारी विद्यालयों में भी सेमिनार आयोजित कर गौरैया संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाएगा। गौरैया संरक्षण अभियान में जुटे ‘गौरैया मैन’ उर्फ अर्जुन सिंह नीतीश सरकार की इस पहल का स्वागत करते हैं। वह कहते हैं कि गौरैया को राजकीय पक्षी का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन कोई विशेष पहल नहीं की गई। वह कहते हैं कि मौजूदा हालात को देखते हुए गोरैया के संरक्षण की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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