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बिजनेस

एसआईटी रपट पर जल्दबाजी में कार्रवाई नहीं : जेटली

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नई दिल्ली। धन की हेराफेरी पर पार्टिसिपेटरी नोट (पी-नोट) के दुरुपयोग पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा नजर रखे जाने की सलाह देने वाले एक विशेष जांच दल (एसआईटी) की रपट पर सरकार ने सोमवार को कहा कि वह ऐसा कोई फैसला लेने से बचेगी, जिसका निवेशक माहौल पर बुरा असर पड़े। सरकार ने कहा कि वह रपट का अध्ययन करेगी।

पी-नोट पर नियंत्रण लगाने की आशंका में सोमवार को शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई। बंबई स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 551 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 161 अंक लुढ़क गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने संसदीय कार्यालय में संवाददाताओं से कहा, “ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाएगा, जिसका देश के निवेशक माहौल पर बुरा असर पड़े।”

उन्होंने कहा, “सरकार देश के निवेशक माहौल को और एसआईटी सिफारिश के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए आने वाले समय में इस पर विचार कर कोई फैसला करेगी।” राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने यहां संवाददाताओं से कहा, “सरकार सिफारिशों पर गौर करेगी और सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद ही फैसला करेगी।” उन्होंने कहा, “अभी फिलहाल बाजार को इस विषय पर अचानक किसी भी दिशा में प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए।” काला धन पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी ने शुक्रवार को कहा कि शेयरों की कीमत में असामान्य वृद्धि पर नजर रखने के लिए निश्चित रूप से सेबी की अपनी एक प्रणाली होनी चाहिए और धन की हेराफेरी में उसे पी-नोट के दुरुपयोग का अध्ययन करना चाहिए।

एसआईटी ने अपनी रपट ‘दीर्घकालिक पूंजी लाभ कर के छूट का धन की हेराफेरी में दुरुपयोग’ में कहा है, “सेबी के पास किसी कंपनी के शेयरों में असामान्य वृद्धि के समय इस वृद्धि का अध्ययन करने की कोई प्रणाली होनी चाहिए।” रपट में कहा गया है, “ऐसी स्थिति का पता चलने पर सेबी को इसकी सूचना केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) को देनी चाहिए।”
रपट के मुताबिक, “इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय को इसकी सूचना दी जानी चाहिए, ताकि उस विशेष अपराध मामले में वह प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत कार्रवाई कर सके।” सेबी को पी-नोट के लाभार्थियों पर नजर रखने की प्रणाली का विकास करने के लिए भी कहा गया है। एसआईटी ने कहा, “दुरुपयोग रोकने के लिए पी-नोट लाभार्थी स्वामित्व की सूचना हासिल करना जरूरी है। सेबी को इस मुद्दे पर गौर करना चाहिए और ऐसी नियामकीय व्यवस्था करनी चाहिए, जिसमें पी-नोट के आखिरी लाभार्थी मालिक की जानकारी मिल सके।”

रपट ने कहा कि सेबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में हुए कुल ऑफशोर डेरीवेटिव इंस्ट्रमेंट (ओडीआई) निवेश में से 31 फीसदी से अधिक निवेश कैमेन द्वीप समूह से हुआ है। रपट में कहा गया है, “यह निवेश करीब 85,006 करोड़ रुपये का है। वीकीपीडिया के मुताबिक कैमेन द्वीप समूह की जनसंख्या 2010 में मात्र 54,397 थी। 55 हजार से कम जनसंख्या वाले किसी क्षेत्र द्वारा किसी देश में 85 हजार करोड़ रुपये निवेश करना, विश्वसनीय नहीं है।”

ठीक सात साल, नौ महीने और 10 दिन पहले इसकी तरह के एक घटनाक्रम में शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई थी। 16 अक्टूबर 2007 को शेयर बाजार बंद होने के बाद सेबी ने पी-नोट के नियमन का मुद्दा उठाया था। अगले दिन ऐसा हुआ जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। सेंसेक्स में उस दिन 9.15 फीसदी या 1,743.96 अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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