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एक गांव को मलाल, नेता भूल गए 23 बच्चों की मौत

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मनोज पाठक 
छपरा (बिहार) | बिहार के सारण जिले के मशरख प्रखंड के धर्मसती गंडामन गांव में विधानसभा चुनाव की कोई हलचल नहीं दिखती। लोकतंत्र के इस पर्व में भागीदारी के लिए लोग तैयार जरूर हैं, लेकिन यह भी कहते हैं कि हंसते-खेलते 23 बच्चों को एक साथ खो देने वाले इस गांव के लिए सरकार क्या और विधायक क्या|

यह वही गांव है, जहां दो साल पहले 16 जुलाई को मध्याह्न भोजन (मिडडे मील) खाते ही बच्चों की हालत बिगड़ गई और इनमें से 23 मासूमों को कोई अस्पताल भी न बचा सका। इस घटना से यह गांव ही नहीं, समूचा देश दहल उठा। देश के बाहर भी लोग मर्माहत हुए, लेकिन एक बार दौरे के बाद नेताओं ने इतने बड़े हादसे को भुला दिया। बनियापुर विधानसभा क्षेत्र के गंडामन गांव में लगभग 1,500 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे, लेकिन उन्हें मलाल है कि जो घटना देश-विदेश की मीडिया में सुर्खियों में रही, वह जनप्रतिनिधि बनने के लिए लालायित नेताओं के लिए चुनावी मुद्दा नहीं बना। वे सत्ताधारी नेताओं और अधिकारियों की बेरुखी से नाराज हैं।

जिला मुख्यालय छपरा से 35 किलोमीटर दूर मशरख के निकट धर्मासती गंडामन गांव आज शांत है। जिस प्राथमिक विद्यालय (सामुदायिक भवन) में हादसा हुआ था, उसके सामने खुले प्रांगण में कुछ बच्चे खेल रहे हैं। इससे कुछ ही दूरी पर 23 बच्चे दफनाए गए थे। आज भी जो कोई यहां से गुजरता है, उसकी रूह कांप जाती है। यहां एक स्मारक भी बना है, जिस पर काल के गाल में समाए बच्चों और उनके अभिभावकों के नाम खुदे हुए हैं।

ग्रामीण कहते हैं कि उस समय किया गया वादा कहां पूरा हो पाया, धर्मसती बाजार में एक छोटी-सी दुकान चला रहे अखिलानंद मिश्रा इस हादसे में अपने इकलौते बेटे आशीष को खो चुके हैं। चुनाव का जिक्र करते ही उनकी आंखें डबडबा गईं। रुआंसे अखिलानंद ने कहा आखिर दोष किसको दें, सुनने वाला कौन है, खोया तो हम गांव वालों ने ही है, नेताओं और सरकार का क्या गया| इसी गांव के हरेंद्र मिश्र के एक नहीं, दो बेटों की जान स्कूल के जहरीले भोजन ने ले ली। वह कहते हैं,हादसे के बाद तो सरकार ने नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन कोई बताए, किस पीड़ित परिवार के सदस्य को नौकरी मिल गई, मुआवजे के तौर पर दो-दो लाख रुपये मिलने के अलावा कुछ नहीं मिला। पास ही खड़ी उनकी पत्नी रोते हुए कहती हैं, हमारी खेती-बाड़ी नहीं है। हम लोग सब कुछ खरीदकर खाते हैं। कोई सहारा नहीं है। सरकार ने दो-दो लाख रुपये दिए, लेकिन क्या मेरे दो बच्चे दो-दो लाख रुपये के ही थे|

चुनाव की चर्चा करने पर इस गांव के लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति नाराजगी जताते हैं। कहते हैं कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी इस गांव में मुख्यमंत्री आज तक नहीं आए। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पीड़ित बच्चे कई दिनों तक भर्ती रहे, लेकिन मुख्यमंत्री वहां भी नहीं गए। बनियापुर में मुख्यमंत्री ने एक चुनावी सभा को संबोधित किया, लेकिन उन्हें इस गांव की याद नहीं आई। अपना बच्चा गंवाने वाले राज कुमार शाह कहते हैं, हम तो अपने बच्चों की याद में मर रहे हैं। मतदान तो करना ही है, लेकिन किसी सरकार, सांसद या विधायक से कोई उम्मीद नहीं है। ये हमारे लाल को लौट देंगे क्या| बनियापुर विधानसभ क्षेत्र में मुख्य मुकाबला सत्ताधारी महागठबंधन और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के बीच माना जा रहा है। महागठबंधन ने जहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पूर्व सांसद और दिग्गज नेता प्रभुनाथ सिंह के भाई केदारनाथ सिंह को प्रत्याशी बनाया है, वहीं राजग ने तारकेश्वर सिंह को मैदान में उतारा है।

सारण के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी अवधेश बिहारी से जब इस गांव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने नाराजगी भरे लहजे में कहा विकास तो हुआ है। इंदिरा आवास के लिए जो प्रक्रिया तय की गई थी, उसके तहत लोगों को मकान दिए गए, पक्की सड़कें बन गईं,अस्पताल बना, स्कूल का भवन बना..और क्या चाहिए|

धर्मसती गंडामन गांव के प्राथमिक विद्यालय में 16 जुलाई, 2013 को मध्याह्न भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत की जिम्मेदार प्रधानाध्यापिका मीना देवी जेल में हैं। उन्हें 24 जुलाई, 2013 को गिरफ्तार किया गया था। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, तेल में मिलावट पाया गया था। यह बात भी सामने आई कि उस दिन भोजन में चावल और सोयाबीन-आलू की सब्जी बनी थी। रसोई बनाने वाली पन्ना देवी ने मीना मैडम से कहा था कि तेल से अजीब किस्म का बदबू आ रही है। मैडम ने कहा था, अरे कल ही तो मैंने तेल मंगाया है, ठीक है..डाल दो। इस हादसे में पन्ना के बेटे की भी मौत हो गई। बनियापुर विधानसभा क्षेत्र में तीसरे चरण के तहत 28 अक्टूबर को मतदान होना है। ‘उदासीन’ मतदाताओं के मतदान प्रतिशत को लेकर सभी उत्सुक हैं।

 

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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