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प्रादेशिक

भोपाल के रासायनिक कचरे की फिक्र किसे?

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संदीप पौराणिक

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 31 वर्ष पहले हुई गैस त्रासदी के बाद से यूनियन कार्बाइड संयंत्र परिसर में जमा हजारों टन रासायनिक कचरे से पर्यावरण प्रदूषण का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है, पर फिक्र किसे है? सरकारें पर्यावरणीय नुकसान का वैज्ञानिक आकलन कराने तक को तैयार नहीं हैं।

भोपाल गैस हादसे को लोग अब तक भूले नहीं हैं। दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से मिथाइल आइसो साइनाइड (मिक) गैस रिसी थी, इस गैस से हजारों लोगों की मौत हो गई थी। मौत का सिलसिला अब भी जारी है, जिसकी वजह बीमारियां और पर्यावरणीय प्रदूषण है।

भोपाल गैस हादसे को 31 साल हो गए हैं, मगर अब तक एक भी ऐसा सार्थक शोध नहीं हुआ, जो पर्यावरण के नुकसान का सही आकलन कर सका हो। आकलन होने पर ही पीड़ितों की नई पीढ़ी का बेहतर उपचार संभव है, आने वाले समय में फैलने वाली बीमारियों पर काबू पाया जा सकेगा और प्रदूषण फैलने की रफ्तार को रोकने के कारगर प्रयास हो सकेंगे। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के पर्यावरण कार्यक्रम (यूईएनपी) से पर्यावरणीय नुकसान का वैज्ञानिक आकलन कराने की मांग उठी, लेकिन उसे केंद्र सरकार ने नकार दिया है।

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षडंगी ने आईएएनएस से कहा कि संयंत्र परिसर में वर्षो से हजारों टन रासायनिक कचरा जमा हुआ है। इससे साल दर साल भूजल और मिट्टी के प्रदूषित हेाने का दायरा बढ़ता जा रहा है। वर्ष 1990 से 2013 तक सरकारी और गैर सरकारी संस्थाएं 17 शोध करवा चुकी हैं। शोधों में पाया गया है कि संयंत्र इलाके की लगभग साढ़े तीन किलोमीटर की परिधि में 100 फुट तक की गहराई पर जल प्रदूषित है और मिट्टी में भी कीटनाशक, भारी धातुओं का असर है, जो इंसान के लिए घातक है।

यूनियन कार्बाइड संयंत्र हादसे के बाद से बंद पड़ा है और इसके परिसर में लगभग 18 हजार टन से ज्यादा रासायनिक कचरा जमा है।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि खुले में पड़े 350 टन रासायनिक कचरे मंे से 10 टन कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू हुई है।

यूनियन कार्बाइड ने 1969 में भोपाल में कीटनाशक कारखाना स्थापित किया था। इस कारखाने की शुरुआत के समय परिसर में घातक कचरे को डालने के लिए 21 गड्ढे बनाए गए थे। 1969 से 77 तक इन्हीं गड्ढों में घातक कचरा डाला गया।

कचरे की मात्रा में इजाफा होने पर 32 एकड़ क्षेत्र में एक सौर वाष्पीकरण तालाब (सोलर इवोपोरेशन पॉड) बनाया गया। इस तालाब में घातक रसायन जाता था, जिसका पानी तो उड़ जाता था। मगर रसायन नीचे जमा हो जाता था। इसके बाद दो और सौर वाष्पीकरण तालाब बनाए गए। हादसे के बाद सौर वाष्पीकरण के दो तालाबों का रासायनिक कचरा 1996 में तीसरे तालाब में डालकर उसे मिट्टी से ढक दिया गया। यह कचरा 18 हजार टन से कहीं ज्यादा है।

यूनियन कार्बाइड परिसर में जमा कचरे को लेकर सबसे बड़ा और महंगा शोध वर्ष 2009 में नेशनल इंजीनियरिंग एन्वायरमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट, (नीरी) नागपुर और नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई), हैदराबाद ने किया था। इसके लिए उसने सिर्फ नौ प्रतिशत हिस्से के ही नमूने लिए।

षडंगी का दावा है कि नीरी व एनजीआरआई के शोध को 38 विशेषज्ञों को भेजा गया था, जिनमें से 31 ने उसे अविश्वसनीय करार दिया था। इसे पुनर्विचार समिति (प्री रिव्यू) को भेजा, तो उसने भी यही राय जाहिर की।

इस रिपोर्ट में कहा गया था कि तमाम जहरीले कचरे को एक नया बड़ा गड्ढा खोदकर उसमें दबा दिया जाए। उनका कहना है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ के पर्यावरण कार्यक्रम (यूईएनपी) से पर्यावरणीय नुकसान का वैज्ञानिक आकलन करने में सक्षम है और यूईएनपी इसके लिए तैयार भी है, सिर्फ केंद्र सरकार को इसकी अनुमति देना है।

षडंगी ने बताया कि गैस पीड़ितों के हक की लड़ाई लड़ रहे पांच संगठनों ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को इसी साल जनवरी में पत्र लिखकर सारे हालात से अवगत कराया था और यूईएनपी से पर्यावरण नुकसान के वैज्ञानिक आकलन का अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा कि उसके तीन माह बाद उनकी जावड़ेकर से मुलाकात भी हुई, लेकिन बाद में यूईएनपी से वैज्ञानिक आकलन कराने से इंकार कर दिया गया।

षडंगी का कहना है कि पर्यावरणीय नुकसान के वैज्ञानिक आकलन से यह पता लगाना आसान होगा कि घातक रासायनिकों का असर कितनी गहराई, कितनी दूरी तक है और किस तरह यह बढ़ रहा है, मगर सरकार को यह पता लगाना मंजूर नहीं है।

गैस पीड़ितों की 22 बस्तियों का भूजल प्रदूषित होने की कई शोध रिपोर्ट आने के बाद 10 हजार परिवारों को अब जलापूर्ति की जा रही है। मगर जहरीले कचरे के चलते कितने दायरे तक भूजल प्रदूषित हो चुका है, यह कोई नहीं जानता।

IANS News

सीएम योगी ने देखी ‘द साबरमती रिपोर्ट’, यूपी में टैक्स फ्री हुई फिल्म

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को बहुचर्चित फ़िल्म ‘ द साबरमती रिपोर्ट’ देखी। फिल्म देखने के बाद सीएम योगी ने कहा कि मैं “द साबरमती रिपोर्ट” की पूरी टीम को बधाई देता हूं जिन्होंने इस वास्तविक सच को देश की जनता के सामने फिल्म के माध्यम से बाहर लाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि हर भारतवासी को “द साबरमती रिपोर्ट” फिल्म को देखनी चाहिए और गोधरा का सच के नजदीक जाने का प्रयास करना चाहिए। सीएम योगी ने फिल्म को उत्तर प्रदेश में टैक्स फ्री करने की घोषणा की।

सीएम योगी ने कहा देश के खिलाफ और सरकारों के खिलाफ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने के लिए समाज में वैमनस्यता पैदा करने के लिए देश में जो कृत्य हुए हैं उसे देश की जनता को जानने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जो राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं उन चेहरों को पहचानने के साथ-साथ उनका पर्दाफाश करने की भी आवश्यकता है। सीएम योगी ने कहा कि फिल्म की टीम ने सत्य उजाकर करने के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। फिल्म के माध्यम से वास्तविक सच को एक बड़े रूप में देश के सामने लाने का प्रयास किया गया है।

सीएम योगी ने कहा कि मामला अयोध्या से जुड़ा है, मैं घटना में मारे गए सभी राम भक्तों को श्रद्धांजलि देता हूं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के साहसिक कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए लोग इस सत्य को अधिक से अधिक देखें। सीएम योगी राज्य सरकार की ओर से ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म को टैक्स फ्री करने की घोषणा की।

इसके पहले सीएम योगी ने लखनऊ के प्लासियो मॉल के सिनेमाहॉल के ऑडी-07 में पूर्वाह्न 11:30 बजे के शो में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, महापौर सुषमा खर्कवाल, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सहित अनेक अनेक जनप्रतिनिधियों और शासन-प्रशासन के अधिकारियों के साथ फ़िल्म देखी। खास मौके पर फ़िल्म के मुख्य अभिनेता विक्रांत मैसी और फ़िल्म यूनिट से जुड़े लोगों की मौजूदगी रही। इससे पहले, बीते मंगलवार को विक्रांत मैसी ने सीएम योगी से भेंट की थी।

बता दें कि ‘द साबरमती रिपोर्ट’ एक सत्य घटना पर आधारित एक बॉलीवुड ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन रंजन चांडेल द्वारा किया गया है। फिल्म में विक्रांत मैसी, राशि खन्ना और रिद्धि डोगरा लीड रोल में हैं। यह फिल्म साल 2002 में हुई साबरमती एक्सप्रेस की दिल दहला देने वाली घटना से प्रेरित है। एकता कपूर इस फिल्म की निर्माता है। 15 नवंबर को रिलीज हुई इस फिल्म की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी तारीफ की है।

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