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हेल्थ

याददाश्त दुरुस्त रखता है व्यायाम

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लंदन। शारीरिक व्यायाम से मस्तिष्क की नई कोशिकाओं का विकास होता है, जो वयस्कों में याददाश्त को दुरुस्त करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं। एक नए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है। वैज्ञानिकों ने बताया कि वयस्कों में मस्तिष्क की नई कोशिकाओं को विकसित करने की इस प्रक्रिया को ‘अडल्ट न्यूरोजेनेसिस’ कहा जाता है।

इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता स्विट्जरलैंड की बेसेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोसेफ बिशोफबर्जर के अनुसार, “हमारा अध्ययन साबितकरता है कि व्यायाम से न्यूरोजेनेसिस में वृद्धि होती है, जो पैटर्न सेपरेशन (तंत्रिका गतिविधियों के समान पैटर्न को अधिक विशिष्ट बनाने की प्रक्रिया)को बेहतर बनाते हैं। पैटर्न सेपरेशन आमजीवन के कई कार्यो में शामिल है। उदाहरण के तौर पर शतरंज के खेल को सीखने के लिए मोहरे और प्यादों की अलग-अलग आकृतियों को याद करना बेहद जरूरी है और यह पैटर्न सेपरेशन से ही संभव होता है।”

इस परीक्षण में वैज्ञानिकों ने चूहों के दो समूहों पर अध्ययन किया। इनमें से एक समूह को गतिशील पहियों वाले घर और दूसरे समूह को गतिहीन पहियों वाले घर में रखा गया। इसके बाद इनकी सीखने और याद करने की क्षमता का परीक्षण किया गया।

वैज्ञानिकों ने पाया कि दोनों समूहों के चूहे अलग-अलग वस्तुओं की पहचानने करने में कामयाब रहे, लेकिन गतिशील घरों में रहने वाले चूहे ही ठीक तरह से समान दिखने वाली वस्तुओं की पहचान करने में कामयाब हो पाए। शोधार्थियों का कहना था कि स्थिर रहने वाले चूहों की तुलना में गतिशील चूहों में पैटर्न सेपरेशन क्षमताओं का बेहतर विकास हुआ।

आगे के परीक्षण में शोधकर्ताओं ने चूहों के मस्तिष्क में कई बदलाव देखे। उन्होंने चूहों में कई नई मस्तिष्क कोशिकाओं की पहचान की, जिससे साबित हुआ कि गतिशील चूहों में नई मस्तिष्क कोशिकाओं का दोगुना विकास हुआ है।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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