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प्रादेशिक

मप्र : सांसदों-विधायकों को आवंटित आवास की सूची हाईकोर्ट को सौंपी

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जबलपुर| मध्य प्रदेश में सांसदों और विधायकों के कोटे से गृह निर्माण मंडल द्वारा आवंटित किए गए आवासों की सूची बंद लिफाफे में सरकार ने उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति संजय यादव की युगलपीठ को सोमवार को सौंप दी है। प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक अरुण गुर्टू व उपेन्द्र वर्मा की ओर से वर्ष 2010 में दायर याचिका में गृह निर्माण मंडल द्वारा भोपाल में निर्मित की जा रहीं आवासीय कॉलोनियों में विधायकों व सांसदों को 20 प्रतिशत कोटे की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। उक्त मामले में पूर्व में शासन ने अपना जवाब पेश करते हुए कहा था कि उक्त कोटे का आवंटन उन्हीं विधायकों एवं सांसदों को किया जा रहा है, जिनके स्वयं, पत्नी व पुत्र के नाम प्रदेश में कहीं पर भी आवासीय भवन नहीं है।

शासन के उक्त जवाब पर आवेदकों की ओर से कहा गया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा जो भूखंड व मकानों के आवंटन किए गए हैं, उनमें सभी विधायकों व सांसदों ने गलत जानकारी देकर स्वयं के लिए भवन आवंटित करा लिए। आवेदकों का कहना है कि जिन सांसदों व विधायकों को आवास आवंटित हुए, उन सभी के दो से तीन आवास प्रदेश में पहले से ही हैं।

मामले की पिछली सुनवाई के दौरान आवेदकों की ओर से कहा गया कि विधायक व सांसद कोटा मूलत: केवल कार्यरत सांसदों और विधायकों के लिए है। भूतपूर्व सांसदों व विधायकों हेतु यह आरक्षण नहीं किया जा सकता। उक्त मामले में न्यायालय ने दो दशकों (1994 से 2014) तक विधायकों व सांसदों के कोटे से हुए आवास आवंटन के मामले की सूची पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले में सोमवार को शासन की ओर से सील बंद लिफाफे में सूची पेश की गई, जिसके बाद युगलपीठ ने मामले की सुनवाई पांच जनवरी को नियत की है।

उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर रोक के फैसले का मौलाना अरशद मदनी ने किया स्वागत

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नई दिल्ली। बुलडोजर एक्शन को लेकर सुप्रीम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने यह भी बताया है कि अगर कोई अनधिकृत निर्माण किया गया है तो ऐसे केस में यह फैसला लागू नहीं होगा। कोर्ट ने कहा, घर बनाना संवैधानिक अधिकार है। राइट टू शेल्टर मौलिक अधिकार है।

मौलाना अरशद मदनी ने किया फैसले का स्वागत

कोर्ट के इस फैसले का जमीयत उलेमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने स्वागत किया है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा, कोर्ट ने बिल्कुल सही स्टैंड अपनाया है। यह जमीयत उलेमा हिंद की बड़ी उपलब्धि है। हम मुबारकबाद देते हैं उन जजों को जिन्होंने लोगों की दिल की बात को सुना है, उनकी परेशानियां अपनी परेशानी समझी है। खुदा करें हमारे देश में इसी तरह गरीबों को सही हक देने के फैसले होते रहे। हम तो यह समझते हैं कि फैसला बहुत अच्छा आया है।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि, “कोई चीज वैध हो या अवैध “इसका फैसला न्यायपालिका करेगी। यहां फैसला आज सुप्रीम कोर्ट ने जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से गैरकानूनी बुलडोजर कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनाया है। मौलाना अरशद मदनी ने गैरकानूनी बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के इस फैसला का स्वागत करते हुए कहा कि उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों से बुलडोजर कार्रवाई पर लगाम लगेगी।

बता दें कि इससे पहले इसी मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी ने बयान देते हुए कहा था कि बुलडोजर कार्रवाई करने वाले आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का जानी चाहिए।

 

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