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लाइफ स्टाइल

सर्दियों में कोको, शहतूत से त्वचा बनेगी खूबसूरत

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नई दिल्ली| सर्दियों की ठंडी हवा के कारण त्वचा खुश्क और बेजान हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए कोको, केला और शहतूत के जादुई गुण बेहद कारगर हैं। यह कहना है विशेषज्ञों का।

वेसलीन की त्वचा विशेषज्ञ अपर्णा संथनम ने एक बयान में कहा, “कोको बटर में मौजूद वसायुक्त अम्ल (फैटी एसिड) त्वचा के लचीलेपन और नमी को बनाए रखने के गुण को सुधारता है। यह हर प्रकार की त्वचा पर दैनिक उपयोग के लिए और साथ ही एक्जीमा जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए बेहद प्रभावशाली है।”

संथनम ने कहा, “दैनिक रूप से प्रयोग किए जाने पर कोको बटर एक मॉयश्चराइजर के तौर पर काम करता है। यह त्वचा के टेक्सचर को सुधारता है और उसे मुलायम बनाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, ओमेगा 3 और ओमेगा 6 मौजूद हैं। ये सभी त्वचा पर बढ़ती उम्र के प्रभाव को कम करने और त्वचा पर मौजूद स्ट्रेच मार्क्‍स और दाग-धब्बों को दूर करने के गुणों से भरपूर हैं।”

लक्मे सेलोन की राष्ट्रीय विशेषज्ञ दिशा मेहर ने कहा कि स्वस्थ त्वचा के लिए फल आधारित उत्पादों का प्रयोग करना चाहिए। खासतौर पर विटामिनों, पोटेशियम और आयरन से भरपूर सेब, केला और संतरा जैसे फल बेहद लाभदायक हैं।

मेहर ने कहा, “केला एक सर्वश्रेष्ठ मॉयश्चराइजर है और यह त्वचा को पोषण देने के लिए काफी फायदेमंद है।”

काया लिमिटेड की चिकित्सा सेवा, अनुसंधान और विकास की उपाध्यक्ष और प्रमुख संगीता वेलस्कर शहतूत के गुणों को त्वचा के लिए बेहद असरदार मानती हैं।

वेलस्कर ने कहा, “शहतूत का सत्व सर्दियों के लिए बेहद असरदार है। यह त्वचा में नमी के संतुलन को बनाए रखता है और त्वचा के रूखेपन को दूर करता है। शहतूत में आयरन, कैल्शियम, विटामिन ए, सी, ई और के, फोलेट, थाइमिन जैसे कई पोषक तत्व समाए हैं। इसमें मौजूद एंटिऑक्सिडेंट्स त्वचा में मौजूद मुक्त कणों को दूर करते हैं और उसे जवां बनाए रखते हैं।”

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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