अन्तर्राष्ट्रीय
पठानकोट हमला : अमेरिका को पाकिस्तान से कार्रवाई की उम्मीद
वाशिंगटन| अमेरिका ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि पाकिस्तान भारतीय वायुसेना अड्डे पर हुए आतंकवादी हमले की जांच कर दोषियों को कानून के कटघरे में खड़े करेगा, लेकिन वह इसमें गति लाने का दबाव नहीं बना सकता। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “पाकिस्तान ने कहा है कि वह मामले की जांच करेगा। इसलिए हमें जांच के नतीजे का इंतजार करना होगा।” उन्होंने कहा, “लेकिन यह जांच कब तक चलेगी और किस प्रकार की जांच होगी, इसके लिए आप को पाकिस्तान के लोगों से बात करनी चाहिए।”
यह पूछे जाने पर कि भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद और उसके सरगना मौलाना मसूद अजहर का हाथ बताया है, तो क्या अमेरिका इस बारे में पाकिस्तान से बात करेगा? किर्बी ने कहा, “निसंदेह, हम पाकिस्तान से इस बारे में बात करेंगे।” लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि अमेरिका कब इस बारे में बात करेगा। इसके बजाए उन्होंने जोर दिया कि पाकिस्तान ने खुद इन हमलों की निंदा की है और स्पष्ट किया है कि वे इसकी जांच करेंगे।
किर्बी ने कहा, “उन्हें जांच करने दें और देखते हैं कि कब तक यह जांच चलती है। हम निश्चित रूप से इस मामले की सही जांच चाहते हैं, ताकि सच्चाई सामने आए।”
किर्बी ने पाकिस्तान के रुख पर भरोसा जताते हुए कहा, “पाकिस्तानी सरकार ने कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई करेगी। पाकिस्तान आतंकवाद के खतरे को अच्छी तरह समझ चुका है। यह एक क्षेत्रीय समस्या है और इसका समाधान भी क्षेत्रीय स्तर पर होना चाहिए। हम चाहते हैं कि पाकिस्तान भी इस समाधान का हिस्सा बने।”
यह याद दिलाने पर कि 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले में छह अमेरिकी नागरिक मारे गए थे और उस वक्त भी अमेरिका ने पाकिस्तान से कार्रवाई करने को कहा था। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इस पर किर्बी ने बचाव करते हुए कहा कि अमेरिका का आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का पिछले दशक और उससे पहले का रिकार्ड देखें और तब कहें कि हम कुछ नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र के देशों को इस दिशा में काम करना चाहिए। इसलिए हम बार-बार उस क्षेत्र में इस खतरे से निपटने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयास को प्रोत्साहित करते हैं।
उन्होंने कहा कि जैसा कि हमने पहले भी मुंबई हमले के दोषियों के बारे में कहा था और आज भी कहते हैं कि हम उन्हें कानून के कठघरे में देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि इसमें लंबा समय लग सकता है। हमें भी ओसामा को पकड़ने में काफी वक्त लगा था और हमने ऐसा कर दिखाया। यह पूछे जाने पर कि क्या वे समझते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही शांति प्रक्रिया को रास्ते से भटकाने के लिए पठानकोट हमला किया गया, किर्बी ने कहा, “इस बारे में मुझे कोई अंदाजा नहीं है कि हमले के पीछे क्या इरादा था।”
अन्तर्राष्ट्रीय
पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन
डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।
डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।
बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।
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