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लाइफ स्टाइल

सर्दियों की समस्याओं से छुटकारा दिलाएंगे ये ‘सुपर फूड्स’

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नई दिल्ली| सर्दियों के मौसम में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन प्रकृति ने इन मौसमी समस्याओं से लड़ने के लिए कई प्रकार के खाद्य पदार्थ भी दिए हैं, जो इनसे मुकाबला में आपकी मदद कर सकते हैं। ऑरीफ्लेम इंडिया की आहार विशेषज्ञ सोनिया नारंग के मुताबिक, सर्दियों की समस्याओं से निपटने के लिए कुछ सुपरफूड्स बेहद मददगार हो सकते हैं।

अश्वगंधा की जड़ : अश्वगंधा की जड़ पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धति में कारगार आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग की जाती है। इसे एक ‘एडप्टोजन’ माना जाता है, यानी कि यह एक ऐसी जड़ीबूटी है जो शारीरिक ऊर्जा सुधारने में, खिलाड़ियों की क्षमता बढ़ाने में, रोग प्रतिरोधक क्षमता सुधारने और यौन और प्रजनन क्षमता बढ़ाने में काफी कारगर मानी जाती है।

हल्दी : रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए हल्दी का प्रयोग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व भर में प्रसद्ध है। एंटी-बैक्टिरियल, एंटी-फंगल और एंटी-वायरल के तौर पर यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मददगार है। ज्यादा लाभ के लिए इसे गर्म दूध के साथ लें।

चिया के बीज : ये बीज प्रोटीन, ओमेगा 3 फैटी एसिड्स और महत्वूपर्ण खनिज का अद्भुत स्रोत हैं। बेहतर लाभ के लिए इन्हें रात भर पानी में भिगो कर सुबह लें।

गाजर : सर्दियों में मिलने वाली गाजर में बीटा कैरोटीन होता है। शरीर इसे विटामिन ए में तब्दील कर देता है। विटामिन ए प्रतिरोधक प्रणाली के लिए, संकम्रण से बचाने के लिए और फेफड़ों को स्वस्थ रखकर सांस की बिमारियों के खतरे को कम करने में मददगार होता है। साथ ही यह त्वचा पर उम्र के असर को कम करने के लिए भी एक बेहतरीन खाद्य पदार्थ है।

लहसुन : लहसुन खाने के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही कई स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर है। यह कम कैलोरी युक्त होने के साथ ही फाइटोन्यूट्रिएंट एनिथोल से भरपूर होता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है।

चुकंदर : चुकंदर में लाभवर्धक फाइटोकेमिकल्स और एंटीऑक्सिडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं जो स्वस्थ कोशिकाओं और उनके डीएनए को नुकासन पहुंचाने वाले मुक्त कणों से लड़ने में मदद करता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करता है।

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साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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