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लाइफ स्टाइल

सेल्फी के जुनून से बचना जरूरी : विशेषज्ञ

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निशांत आरोड़ा 

नई दिल्ली| हाल ही में जम्मू और मुंबई में सेल्फी क्रेज के कारण हु़ई दो मौतों ने अगर आपको सोचने पर मजबूर कर दिया है तो ध्यान रखना जरूरी है कि आपके बच्चे भी अपने दोस्तों को प्रभावित करने के लिए किसी ऐसे ही खतरनाक पोज में सेल्फी न खींचें।

गुड़गांव के कोलंबिया एशिया अस्पताल में मनोचिकित्सा विभाग के परामर्शदाता डॉ आशीष मित्तल के मुताबिक, “ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें एक अच्छी तस्वीर लेने के लिए युवा जान जोखिम में डाल लेते हैं। इसे देखते हुए आदत और जुनून में फर्क करना जरूरी है।”

पिछले साल मुंबई में नवंबर में एक 14 वर्षीय स्कूली छात्र की एक खड़ी ट्रेन के डिब्बे के ऊपर सेल्फी लेने की कोशिश में बिजली का झटका लगने से मौत हो गई।

मित्तल ने कहा, “माता-पिता को इस मामले में सावधान रहना चाहिए, क्योंकि यह एक गंभीर मसला बन चुका है। हो सकता है कि सेल्फी के क्रेज में डूबे उनके बच्चों को विशेषज्ञ की सहायता की जरूरत हो।”

एक अच्छी सेल्फी लेने की कोशिश में पिछले साल विश्वभर में कई लोगों की जान जा चुकी है।

पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक चलती ट्रेन के सामने सेल्फी लेने की कोशिश में एक 22 वर्षीय युवक की जान चली गई, तो वहीं पिछले साल सितंबर में रूस में एक 17 वर्षीय किशोर ने एक नौ मंजिला इमारत की छत से एक बिल्कुल अलग सेल्फी पोज लेने की कोशिश में जान गवां दी।

सेल्फी के कारण होने वाली मौतों से चिंतित रूसी पुलिस ने सेल्फी लेते समय सावधान रहने के निर्देश देने के लिए हाल ही में ‘सेफ सेल्फीज’ अभियान की शुरुआत की थी।

नई दिल्ली स्थित फोर्टिस अस्पताल के मेंटल हेल्थ एंड बिहेवियराल साइंस विभाग के निदेशक डॉ समीर पारिख के मुताबिक, “सेल्फी के क्रेज से कोई भी अनजान नहीं है, लेकिन किसी खतरनाक स्थिति में सेल्फी लेना किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकता है।”

डॉ. पारिख ने कहा, “सोशल मीडिया पर दोस्तों द्वारा सेल्फी पसंद न किए जाने पर भी तनाव बढ़ा सकता है। इसे गंभीरता से लेना जरूरी है अन्यथा यह शौक जुनून में तब्दील हो सकता है।”

विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते सेल्फी के जुनून पर काबू पाना जरूरी है।

राजधानी स्थित बी एल के सुपर स्पेशियेलिटी अस्पताल के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ एस सुदर्शन के मुताबिक, “सेल्फी को जुनून की तरह नहीं, केवल एक शौक के तौर पर लेना चाहिए।”

डॉ. मित्तल सलाह देते हैं, “हम उम्र दोस्तों के दबाव में न आएं और शौक और जुनून के फर्क को समझें, क्योंकि आखिरकार यह केवल एक तस्वीर ही है।”

जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की सलाह लेने से न हिचकें।

लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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