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ऑनर किलिंग बंद हो : शरमीन ओबैद

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राधिका भिरानी 

नई दिल्ली| पाकिस्तान की पहली अकादमी पुरस्कार विजेता शरमीन ओबेद-चिनॉय का कहना है कि उनके देश में हजारों महिलाएं ‘ऑनर किलिंग’ का शिकार हुई हैं।

अपने एक वृतचित्र के लिए ऑस्कर में नामित शरमीन ने कहा कि ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर कई महिलाओं को जलाकर, गोली मारकर और गला घोंटकर मार दिया जाता है।

शरमीन ने कराची से ई-मेल के जरिए एक साक्षात्कार में आईएएनएस से कहा, “मैं विश्व को यह संदेश देना चाहती हूं कि ‘ऑनर किलिंग’ पाकिस्तान में प्रचलित है, लेकिन यह हमारी संस्कृति या धर्म का हिस्सा नहीं है। मुझे लगता है कि हमारे लिए यह एक बड़ी जीत होगी, अगर हम इसके खिलाफ एकजुट होकर विरोध करें और एक ‘एंटी ऑनर किलिंग लॉ’ पास कराएं।”

‘एंटी ऑनर किलिंग लॉ (आपराधिक कानून संशोधन )’ विधेयक को मार्च, 2015 में सीनेट में पास किया गया था, लेकिन बाद में यह 2014 को संसद में पारित नहीं हो सका।

पाकिस्तान की जानी-मानी फिल्मकार का कहना है कि एक स्वर्ण प्रतिमा बनाए जाने के बजाए उनके लिए इस जघन्य अपराध के खिलाफ एक सख्त कानून पारित किया जाना सबसे बड़ी जीत होगी।

शरमीन की फिल्म ‘ए गर्ल इन रीवर : द प्राइस ऑफ फोरगिवनेस’ एक लड़की सबा मकसूद की कहानी है, जिसका एक ही कसूर होता है अपने पसंद के लड़के से प्यार करना। जिसके लिए उसका परिवार उसे गोली मारकर नदी में फेंक देते हैं, लेकिन वह बच जाती है।

इस फिल्म को ऑस्कर 2016 के वृतचित्र वर्ग में शामिल किया गया था, जिसने पाकिस्तानी सरकार की आंखे खोल दी।

शरमीन को बधाई देते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने एक ‘उचित कानून’ के साथ इस सामाजिक बुराई को देश से बाहर निकालने के लिए सरकार की ओर से प्रतिबद्धता व्यक्त की।

इसके लिए शरमीन ने एक ऑनलाइन याचिका की शुरुआत की है, जिसमें उनका लक्ष्य इस याचिका को शरीफ के पास भेजने से पहले इस पर 5,000 हस्ताक्षर हासिल करना है।

शरमीन ने कहा कि पाकिस्तान में 2015 में ‘ऑनर किलिंग’ की कोई व्यापक सूची नहीं है, लेकिन 2015 में ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर करीब 1,005 लोगों की हत्या की गई थी। इसमें पुरुषों भी शामिल हैं, लेकिन महिलाएं इसकी सबसे अधिक शिकार होती हैं।

शरमीन ने 2012 में अपने वृतचित्र ‘सेव फेस’ के लिए ऑस्कर जीता था। इसमें उन्होंने पाकिस्तान की ‘एसिड अटैक’ पीड़िता की कहानी को दर्शाया था।

फिल्मकार का कहना है कि फिल्म के जरिए इस प्रकार के मुद्दों पर काफी गहरा प्रभाव पड़ता है और उनकी फिल्म ‘अ गर्ल इन रिवर..’ में उस दबाव को भी दर्शाया गया है, जिसे ‘ऑनर किलिंग’ से बचने वाला पीड़ित झेलता है।

शरमीन का कहना है कि उनके लिए यह महत्वपूर्ण था कि वह सबा की कहानी सच्चे और अलग ढंग से बताएं।

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‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना से 82,120 बालिकाओं को खेल में निपुण बनाएगी योगी सरकार

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में पढ़ने वाली 82,120 बालिकाओं की खेल प्रतिभाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का प्रयास तेज कर दिया है। सरकार इस उद्देश्य को ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू कर साकार करेगी।

बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह के नेतृत्व में इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को विशेषज्ञ प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस योजना से बालिकाएं खेल में निपुण होने के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास भी प्राप्त करेंगी, जिससे वे समाज में एक सशक्त पहचान बना सकेंगी।

उत्तर प्रदेश के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में बालिकाओं की खेल प्रतिभा को निखारने और उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर उभारने के उद्देश्य से ‘एक केजीबीवी, एक खेल’ योजना लागू की गई है। इस योजना का उद्देश्य पिछड़े और वंचित समुदायों की बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में विशेष कौशल प्रदान करना है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विद्यालय में एक विशेष खेल का चयन किया जाएगा, जिसमें छात्राओं को खेल विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रत्येक जनपद के दो केजीबीवी में आरंभ की जाएगी और सफल होने पर इसे अन्य विद्यालयों में भी विस्तार दिया जाएगा।

राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है उद्देश्य इस योजना का मुख्य उद्देश्य केजीबीवी में अध्ययनरत 82,120 छात्राओं को खेलों में प्रशिक्षित कर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। यह योजना छात्राओं को न केवल खेल किट और आधारभूत प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि विभिन्न प्रतियोगिताओं में जनपद और राज्य स्तर पर चयनित करने की प्रक्रिया भी सुनिश्चित करेगी।

विद्यालय में खेल का चयन ऐसे होगा

प्रत्येक विद्यालय में एक खेल समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें वार्डन, व्यायाम शिक्षिका, खेल प्रभारी और दो खिलाड़ी छात्राएं होंगी। यह समिति छात्राओं की रुचि और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर एक खेल का चयन करेगी। चयनित खेल में प्रशिक्षण देने के लिए योग्य महिला प्रशिक्षक नियुक्त की जाएगी। आवश्यकतानुसार, बाहरी खेल प्रशिक्षकों की सहायता भी ली जा सकेगी।

विशेष प्रशिक्षण और स्वास्थ्य पर रहेगा विशेष ध्यान

योजना के अंतर्गत, खेल गतिविधियों के संचालन के लिए एक निर्धारित समय सारिणी होगी, जिसमें प्रशिक्षक छात्राओं को खेल की बारीकियां सिखाएंगे। बेहतर स्वास्थ्य के लिए पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिसमें छात्राओं को आहार, पोषण और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाएगा। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण भी समय-समय पर किया जाएगा।

समाज और विभागीय सहयोग लिया जाएगा

पूर्व राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को भी बुलाकर छात्राओं को प्रेरित किया जाएगा। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली बालिकाओं को स्थानीय स्तर पर पुरस्कृत भी किया जाएगा। इसके अलावा, विद्यालयों में खेल प्रतियोगिताओं के दौरान सम्मानित नागरिकों और विभागीय अधिकारियों को आमंत्रित कर छात्राओं का उत्साहवर्धन किया जाएगा।

खेल संघों और कॉर्पोरेट समूहों से भी लिया जाएगा सहयोग

योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर के खेल संघों के साथ कॉर्पोरेट समूहों से भी सहयोग लिया जाएगा। कॉर्पोरेट समूहों की मदद से छात्राओं के लिए आवश्यक खेल सामग्री और अन्य सुविधाएं बेहतर तरीके से उपलब्ध कराई जाएंगी।

बालिकाओं का विशेष स्थानांतरण और अभिभावकों की ली जाएगी सहमति

चयनित छात्राओं को विशेष खेल प्रशिक्षण देने के लिए तीन महीने तक नोडल केजीबीवी में रखा जाएगा। इस दौरान उनके रहने, खाने और प्रशिक्षण की पूरी व्यवस्था होगी। इसके बाद, छात्राओं को उनके मूल केजीबीवी में वापस भेज दिया जाएगा। छात्राओं के स्थानांतरण से पूर्व उनके अभिभावकों से सहमति ली जाएगी।

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