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ARTICLE 370 हटाने के बाद अब PoK पर भी कड़ा रुख, राजनाथ के सख्त तेवर

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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से ARTICLE 370 हटाने और राज्य को दो हिस्सों में पुनगर्ठित करने के बाद अब भारत सरकार ने पाकिस्तान के कब्जे में गए क्षेत्र (PoK) को लेकर भी सख्त रुख अपनाना शुरू किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को इसको लेकर कड़े तेवर दिखाए।

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उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान मानवाधिकारों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाता है, लेकिन वह खुद पीओके में लोगों पर अत्याचार कर रहा है। यही नहीं उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान अब पीओके के लोगों का उत्पीड़न करता है तो उसका अंजाम भुगतना पड़ेगा।

रक्षा मंत्री ने इन्फैन्ट्री डे प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कहा, ‘इस मौके पर देश के सभी जांबाजों को नमन करता हूं, जिन्होंने देश की एकता और अखंडता को कायम करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ बलिदान दे दिया।’

राजनाथ सिंह ने कहा कि शौर्य दिवस हमें प्रेरणा देता है कि हर बाधा को पार करके हम देश को नई ऊंचाइयों को ले जाएंगे। रक्षा मंत्री ने कहा कि हर कोई जानता है कि पाकिस्तान कैसे मानवाधिकारों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाता है, जबकि पीओके में लोगों का उत्पीड़न कर रहा है।

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मैं पाकिस्तान से पूछना चाहता हूं कि उसने भारत को जो हिस्सा अवैध रूप से कब्जाया है, वहां रहने वाले लोगों को उसने कितने अधिकार दिए हैं। पाकिस्तान वहां होने वाली अमानवीय घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। आज पाकिस्तान वहां लोगों पर अत्याचार कर रहा है, लेकिन आने वाले वक्त में उसे इसका नुकसान उठाना होगा।’

1947 में उजड़े लोग वापस बसेंगे

रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारे विकास की यात्रा तब पूरी होगी, जब 1947 में भारत आए शरणार्थियों के साथ न्याय होगा। उन्हें जब अपने पूर्वजों की जमीन पर सम्मान के साथ रहने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मैं अपनी सेना और लोगों की ताकत से वाकिफ हूं। वह दिन दूर नहीं हैं, जब हम पीओके को वापस लेंगे और अपने सारे मकसद हासिल करेंगे।

इस दौरान उन्होंने उन लोगों पर भी अटैक किया, जो आतंकवादियों के मानवाधिकार की बात करते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र में जब भी सेना या पुलिस कोई ऐक्शन लेती है तो कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे उस वक्त हैरानी होती है कि जब यही आतंकी सुरक्षा बलों या फिर आम लोगों पर अटैक करते हैं तो ये लोग मानवाधिकार की बात क्यों नहीं करते हैं? राजनाथ ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है, लेकिन कश्मीरियत के नाम पर यहां असंख्य लोगों की जान गई और उनके घरों को भी तबाह कर दिया गया था।

लेकर रहेंगे PoK

इस मौके पर राजनाथ सिंह ने 1993 में संसद में पारित प्रस्ताव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारी संसद ने गिलगित-बाल्टिस्तान समेत पूरे पीओके को वापस लेने का संकल्प लिया था और उसे पूरा किए बिना विकास की हमारी यात्रा पूरी नहीं होगी।

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राजधानी दिल्ली में जल्द ही स्वतंत्रता सेनानी सावरकर के नाम पर नया कॉलेज स्थापित होने की संभावना

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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में जल्द ही स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर के नाम पर नया कॉलेज स्थापित होने की संभावना है। संभावना जताई जा रही है कि आगामी 3 जनवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इस कॉलेज की आधारशिला रख सकते हैं। आपको बता दें कि पूर्वी और पश्चिमी दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के दो नए परिसरों का निर्माण होने वाला है। इसके साथ ही एक कॉलेज की आधारशिला रखे जाने की भी संभावनाहै जिसका नाम वीर सावरकर के ऊपर रखा जा सकता है।

140 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत

दिल्ली विश्वविद्यालय के सूत्रों की ओर से वीर सावरकर के नाम पर नए कॉलेज के बारे में जानकारी दी गई है। बता दें कि इससे पहले साल 2021 में दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की ओर से नजफगढ़ में 140 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सावरकर कॉलेज बनाने का अनुमोदन किया गया था। डीयू के सूत्रों ने बताया है कि कॉलेज की आधारशिला रखने के लिए पीएम मोदी को निमंत्रण दिया गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) से इस बारे में पुष्टि मिलने का इंतजार किया जा रहा है।

कहां बनेंगे पूर्वी और पश्चिमी परिसर?

दिल्ली विश्वविद्यालय के सूत्रों ने बताया है कि यूनिवर्सिटी के पूर्वी परिसर की स्थापना सूरजमल विहार में प्रस्तावित है और इसमें 373 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी। वहीं, विश्विद्यालय के पश्चिमी परिसर की स्थापना द्वारका में होगी।

इन नामों के भी प्रस्ताव

दिल्ली यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद ने साल 2021 में भाजपा की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज के नाम पर कॉलेज के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी थी। इसके अलावा डीयू को कुलपति को दो प्रस्तावित कॉलेजों के लिए नामों के चयन का अधिकार दिया गया था। इन नामों की लिस्ट में स्वामी विवेकानंद, वल्लभभाई पटेल, अटल बिहारी वाजपेयी और सावित्रीबाई फुले जैसे नाम शामिल थे।

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