उत्तर प्रदेश
पौधरोपण अभियान में हरियाली संग सेहत का भी ध्यान
लखनऊ। योगी सरकार हर बार की तरह इस बार भी पौधरोपण का रिकार्ड बनाने जा रही है। 20 जुलाई को एक दिन में 36.50 करोड़ पौधों के रोपण से यह रिकॉर्ड बनेगा। हर साल लगभग इसी सीजन में किए जाने वाले पौधरोपण का मकसद प्रदेश में हरितिमा बढ़ाना, पर्यावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाना, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करना है। साथ ही योगी सरकार इस अभियान के जरिये लोगों की सेहत का भी ख्याल रखती है। यही वजह है कि अपनी तमाम खूबियों के कारण पोषण का पावर हाउस और चमत्कारिक पौध कहे जाने वाले सहजन के पौधरोपण पर खास ध्यान देती है। इस बार के पौध रोपण अभियान में भी सहजन के 55 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश है कि हर आंगनवाड़ी केंद्र, प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को सहजन के पौधे दिए जाएं। यही नहीं विकास के मानकों पर पिछड़े आकांक्षात्मक जिलों में हर परिवार को सहजन के कुछ पौधे लगाने को भी प्रेरित किया जाए। गृह वाटिका के पीछे भी सीएम की यही सोच रही। दरअसल अगर लोग सहजन की खूबियों को जान जाएं और उनका सेवन करें तो यह कुपोषण के खिलाफ एक सफल जंग सरीखा होगा। अब तो केंद्र सरकार भी सहजन की खूबियों की मुरीद हो चुकी है। पिछले साल केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे पीएम पोषण योजना में स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक-भाजी एवं फलियों के साथ सहजन को भी शामिल करें।
खूबियों का खजाना है सहजन
सहजन सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि खुद में पोषण का पावरहाउस है। इसकी पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं। इनमें 92 तरह के विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं।
तुलनात्मक रूप से सहजन के पौष्टिक गुण
-विटामिन सी- संतरे से सात गुना।
-विटामिन ए- गाजर से चार गुना।
-कैल्शियम- दूध से चार गुना।
-पोटैशियम- केले से तीन गुना।
-प्रोटीन- दही से तीन गुना।
दैवीय चमत्कार भी कहा जाता है सहजन को
दुनिया में जहां-जहां कुपोषण की समस्या है, वहां सहजन का वजूद है। यही वजह है कि इसे दैवीय चमत्कार भी कहते हैं। दक्षिणी भारत के राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक में इसकी खेती होती है। साथ ही इसकी फलियों और पत्तियों का कई तरह से प्रयोग भी। तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय ने पीकेएम-1 और पीकेएम-2 नाम से दो प्रजातियां विकसित की हैं। पीकेएम-1 यहां के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल भी है। यह हर तरह की जमीन में हो सकता है। बस इसे सूरज की भरपूर रोशनी चाहिए।
पशुओं एवं खेतीबाड़ी के लिए भी उपयोगी
सहजन की खूबियां यहीं खत्म नहीं होतीं। चारे के रूप में इसकी हरी या सूखी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुने से अधिक और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है।
उत्तर प्रदेश
अपने इष्ट गणपति और नागा संन्यासियों को लेकर महाकुम्भ क्षेत्र पहुंचा श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़ा
महाकुंभ नगर। प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के केंद्र सनातन धर्म के 13 अखाड़ो का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। इसी क्रम में बुधवार को श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया। छावनी प्रवेश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
इष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में हुआ प्रवेश
आदि गुरु शंकराचार्य के प्रयास से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आये अखाड़ो की स्थापना शस्त्र और शास्त्र दोनों को आगे बढाने के लिए की गई। शास्त्र ने अगर शंकर के धार्मिक चिंतन को जन जन तक पहुचाया तो वही शस्त्र ने दूसरे धर्मो से हो रहे हमलो से इसकी रक्षा की। इन्ही अखाड़ो में शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पञ्च दशनाम अटल अखाड़ा ने कुम्भ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। अलोपी बाग स्थिति अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से यह प्रवेश यात्रा निकाली गई। प्रवेश यात्रा में परम्परा, उत्साह और अनुशासन का खूबसूरत मेल देखने को मिला। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।
नागा संन्यासियों की फौज बनी आकर्षण और आस्था का केंद्र
स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालो के बाद कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में दो दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनो तरफ दिखे।
“सूर्य प्रकाश” भाला रहा आकर्षण का केंद्र
अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे धजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था “सूर्य प्रकाश” नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है।
जगह जगह अखाड़े के संतों का प्रशासन ने किया स्वागत
पांच किमी का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महा कुम्भ प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।
-
लाइफ स्टाइल2 days ago
ठंड के मौसम में Seasonal Flu से परेशान हैं तो अपनाएं ये उपाय
-
नेशनल2 days ago
कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित बोले- आतिशी और संजय सिंह के खिलाफ करूंगा मानहानि का केस, मांगे 10 करोड़ रु
-
अन्तर्राष्ट्रीय2 days ago
यमन में भारतीय नर्स को मौत की सजा, विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
-
नेशनल2 days ago
बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: बयान से पलटा आरोपी, कहा- पुलिस ने धमकी देकर जबरदस्ती अपराध कबूल करवाया
-
नेशनल1 day ago
आम आदमी पार्टी बड़े बड़े वादे करती है लेकिन उसे कभी पूरा नहीं करती : बीजेपी
-
नेशनल1 day ago
केजरीवाल ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को लिखा पत्र, पूछे 3 सवाल, BJP पर लगाए गंभीर आरोप
-
राजनीति2 days ago
दिल्ली में पुजारियों के लिए आप सरकार ने किया नया दावा, महीने 18 हजार रुपये देने की घोषणा
-
प्रादेशिक3 days ago
बीपीएससी छात्रों के प्रदर्शन के बीच सुर्खियों में आईं आईपीएस स्वीटी सहरावत, जानें कौन हैं ये