Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

यूक्रेन तनाव के बीच राष्ट्रपति जेलेंस्की ने मिलाया पीएम मोदी को फ़ोन, लगाई मदद की गुहार

Published

on

Loading

रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया है और आज इस हमले का चौथा दिन है। इसी बीच यूक्रेन के राष्ट्रपति लोदिमिर जेलेंस्की ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फ़ोन पर बात की है। उन्होंने इस युद्ध की स्थिति में भारत से मदद की गुहार लगाई है। जेलेंस्की ने बताया कि ‘इस समय हमारी धरती पर एक लाख से अधिक आक्रमणकारी ने घुसपैठ कर रखी है। उन्होंने आवासीय भवनों पर घातक रूप से गोलियां चलाईं।’ बातचीत के दौरान उन्होंने पीएम मोदी से राजनितिक समर्थन की अपील की है।

हाल ही में इस युद्ध के बीच भारत के रुख को लेकर यूक्रेन ने आपत्ति ज़ाहिर की थी, ऐसे में दोनों को बीच हुई ये बातचीत काफी अहम है। इस पुरे मामले में भारत ने एक नूट्रल स्टैंड रखा है और अब तक रूस और यूक्रेन में से किसी का साथ नहीं दिया है। रूस द्वारा संयुक्त राष्ट्र में अपने आक्रमण की निंदा करने के लिए एक वोट से दूर रहने के भारत के फैसले की प्रशंसा करने के तुरंत बाद उन्होंने मोदी से बात करने का खुलासा किया।

जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से बात की और यूक्रेन द्वारा रूस की आक्रामकता को माकूल जवाब दिए जाने की जानकारी दी। उन्होंने भारत से यूएनएससी में राजनीतिक समर्थन प्रदान करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘आक्रामक को एक साथ रोकें।’ भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया- ‘राष्ट्रपति जेलेंस्की ने प्रधानमंत्री को यूक्रेन में जारी संघर्ष की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी दी।’

बता दें कि भारत ने यूएनएससी के प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया था, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की गई थी, यह कहते हुए कि बातचीत ही मतभेदों और विवादों को निपटाने का एकमात्र जवाब है। भारत में रूसी दूतावास ने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, ’25 फरवरी, 2022 को यूएनएससी में मतदान में भारत की स्वतंत्र और संतुलित स्थिति की हम सराहना करते हैं।’ इसने आगे कहा, ‘विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी की भावना में रूस यूक्रेन के आसपास की स्थिति पर भारत के साथ घनिष्ठ संवाद बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।’

अन्तर्राष्ट्रीय

इस देश में नहीं मिलेगा किसी को मृत्युदंड, जानें क्या है वजह

Published

on

Loading

नई दिल्ली। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपराधियों को मौत की सजा देने को लेकर बहस का दौर जारी है। एक ओर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृत्युदंड की सजा को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की बात कही है। तो वहीं, अब एक ऐसा देश सामने आया है जिसने अपने यहां मौत की सजा के प्रावधान को खत्म ही कर दिया है। यानी कि अब इस देश में किसी भी शख्स को मृत्युदंड नहीं मिलेगा। आपको बता दें किमौत की सजा खत्म करने वाले इस देश का नाम जिम्बाब्वे है।

कानून को राष्ट्रपति से मिली मंजूरी

अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में मृत्युदंड की सजा के प्रावधान को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मनंगाग्वा ने इस सप्ताह मृत्युदंड को खत्म करने के कानून के प्रावधान को मंजूरी दे दी है। जिम्बाब्वे में आखिरी बार किसी कैदी को लगभग दो दशक पहले मौत की सजा दी गई थी। इस कारण से ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिम्बाब्वे मौत की सजा खत्म करने का कदम उठा सकता है।कभी

राष्ट्रपति एमर्सन को भी सुनाई गई थी मौत की सजा

आपको एक खास बात बता दें कि जिम्बाब्वे के वर्तमान राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा को भी कभी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1960 के दशक में उन्हें ये सजा दी गई थी। एमर्सन मनांगाग्वा का जन्म साल 1942 में हुआ था। उन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया था जिस कारण उन्हें दस साल जेल में भी रहना पड़ा था। वर्तमान में वह 2017 से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं।

जिम्बाब्वे में ऐसे कितने कैदी हैं?

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1960 के दशक में मनंगाग्वा को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे में करीब 60 कैदी ऐसे हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, अब इस नए कानून के आने के बाद सभी की सजा को माफ कर दिया जाएगा। बता दें कि जिम्बाब्वे में अंतिम बार किसी को साल 2005 में मौत की सजा दी गई थी।

Continue Reading

Trending