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उत्तराखंड

भीमलाल व रेखा आर्य की सदस्यता समाप्त

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उत्तराखंड, भाजपा विधायक भीमलाल आर्य, कांग्रेस विधायक रेखा आर्य, सदस्यता समाप्त, 10 मई को विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट

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उत्तराखंड, भाजपा विधायक भीमलाल आर्य, कांग्रेस विधायक रेखा आर्य, सदस्यता समाप्त, 10 मई को विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट

Rekha Arya

भीमलाल ने कहा, फैसला स्वीकार नहीं जाएंगे हाईकोर्ट

देहरादून। उत्तराखंड की मौजूदा विधानसभा के दो और विधायकों की सदस्यता पर दलबदल कानून की गाज गिर गई। बीती 10 मई को विधानसभा में हुए फ्लोर टेस्ट में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए क्रास वोटिंग करने वाले भाजपा के विधायक भीमलाल आर्य व सोमेश्वर विधानसभा क्षेत्र से कांगे्रस की विधायक रेखा आर्य की सदस्यता समाप्त हो गई है। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने दोनों पक्षों के मुख्य सचेतक की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। स्पीकर के इस फैसले के बाद अब उक्त दोनों राज्यसभा सीट के चुनाव में मतदान में भाग नहीं ले सकेंगे।

अब विधानसभा में सदस्यों की संख्या 61 से घटकर 59 हो गई है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत नौ सदस्यों के खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्रवाई हो चुकी है। गुरुवार को दोनों याचिकाओं पर स्पीकर के फैसलों की अधिसूचनाएं जारी की गई। साथ ही, इस फैसले के बाद प्रदेश की दो विधानसभा सीटें घनसाली व सोमेश्वर के रिक्त होने की सूचना भी निर्वाचन आयोग को भेज दी गई है।

भाजपा के मुख्य सचेतक विधायक मदन कौशिक की ओर से विधायक भीमलाल आर्य के खिलाफ और कांग्रेस की मुख्य सचेतक डॉ. इंदिरा हृदयेश की ओर से विधायक रेखा आर्य के खिलाफ दलबदल कानून के तहत याचिका दायर की गई थी। विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने दोनों विधायकों के अधिवक्ताओं और याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद दोनों विधायकों को पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वोटिंग करने का दोषी पाया। विधानसभा अध्यक्ष ने दोनों सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का आदेश सुनाया।

फैसले के बाद भीमलाल आर्य ने कहा कि जो फैसला सुनाया गया है, वह स्वीकार है। इस फैसले को न ही हाईकोर्ट और न ही सुप्रीमकोर्ट में चुनौती देंगे। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, विधायकगण सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह ‘चैंपियन’, अमृता रावत, शैलारानी रावत, शैलेंद्र मोहन सिंघल, उमेश शर्मा काऊ को दलबदल करने पर अपनी विधायकी गंवानी पड़ी थी।

राज्य गठन के बाद यह पहली बार है जब 70 सदस्यीय सदन में 11 सदस्यों को दलबदल कानून के तहत अपनी विधायकी छोड़नी पड़ी है।

विधायी एवं संसदीय कार्य प्रमुख सचिव जयदेव सिंह ने भीमलाल आर्य और रेखा आर्य की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल के फैसले को ऐतिहासिक करार दिया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से दलबदल के जरिए अस्थिरता पैदा करने वालों को कड़ा सबक मिलेगा।

प्रमुख सचिव ने कहा कि स्पीकर ने दलबदल कानून पर सख्ती दिखाकर संविधान और संसदीय प्रणाली की रक्षा की है। भीमलाल आर्य भाजपा और रेखा आर्य कांगे्रस के टिकट पर विधायक बने थे। स्पीकर ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णय लिया। राज्यसभा चुनाव से पहले जिस तरह उन्होंने यह कदम उठाया, उससे देशभर में संदेश जाएगा। लोकतंत्र की छवि को बिगाड़ना अब किसी के लिए भी मुमकिन नहीं होगा।

उत्तराखंड

शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद

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उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।

बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.

उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।

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