Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

उप्र में ‘ऑपरेशन-24’ के लिए भाजपा ने उतारी टॉप-21 की टीम, इन्हें मिली जिम्मेदारी

Published

on

BJP fielded top-21 team for Operation-24 in UP

Loading

लखनऊ। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में भाजपा कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। पार्टी की कोशिश है कि 2014 में मिली लोकसभा सीटों से ज्यादा 2024 के चुनावों में उनके सबसे ज्यादा सांसद यूपी से बनें। यही वजह है कि पार्टी ने उप्र में ‘ऑपरेशन-24’ के लिए टॉप-21 की बड़ी टीम सियासी मैदान में उतार दी है।

इस टीम में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत केंद्र के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री और अलग-अलग राज्यों के कद्दावर सांसदों और मंत्रियों को उप्र में लोकसभा चुनावों से पहले माहौल बनाने के लिए उतारा गया है। सियासी माहौल के लिए भाजपा ने बाकायदा उत्तर प्रदेश को अलग-अलग जोन में भी तब्दील कर दिया है।

लोकसभा क्षेत्रों का क्लस्टर बना कर दिया गया काम

भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने उप्र में जमीनी स्तर पर माहौल बनाने के लिए लोकसभा क्षेत्रों का पूरा क्लस्टर बना दिया है। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में 5 सदस्यों की टीम को एक क्लस्टर में तैनात किया जाना है। इस टीम में केंद्रीय मंत्री पूर्व मुख्यमंत्री समेत संगठन में अहम जिम्मेदारी निभाने वाले एक व्यक्ति को टीम लीडर के तौर पर तैनात करने के निर्देश मिले हैं।

भाजपा से मिली जानकारी के मुताबिक उप्र की 80 लोकसभा सीटों को तीन अलग-अलग बड़े जोन के अनुसार बांटा गया है। एक जोन में सात क्लस्टर तैयार किए गए हैं। इस तरह उत्तर प्रदेश में 21 क्लस्टर क्षेत्रवार बनाए गए हैं। हर एक क्लस्टर में तकरीबन चार लोकसभा सीटों को शामिल किया गया है।

पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता और इस पूरी रणनीति को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी कहते हैं कि वह आने वाले लोकसभा चुनावों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। यही वजह है कि 30 मई से शुरू होने वाले एक महीने तक के महाअभियान में पार्टी मजबूती से ग्राउंड वर्क करके चुनावी शंखनाद कर रही है।

मनोज तिवारी को लखनऊ, नरेंद्र तोमर को मिला रायबरेली

उप्र में लोकसभा चुनावों से पहले महाअभियान चलाकर सियासी समीकरण साधने के लिए केंद्रीय मंत्रियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, पूर्व उपमुख्यमंत्रियों और सांसदों समेत कई राज्यों के अलग-अलग मंत्रियों को जिम्मेदारियां बांट दी गई हैं।

जानकारी के मुताबिक उप्र की राजधानी लखनऊ और पड़ोस के जिले बाराबंकी की जिम्मेदारी दिल्ली के सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को दी गई है। जबकि कांग्रेस के गढ़ रहे रायबरेली की जिम्मेदारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दी गई है। पश्चिम में माहौल को देखते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को सहारनपुर और बिजनौर की जिम्मेदारी दी गई है।

ऊर्जा मंत्री आरके सिंह को जालौन झांसी कानपुर की जिम्मेदारी देकर महा संपर्क अभियान से लोकसभा चुनावों की सियासी कमान कसने को कहा गया है। जबकि दिल्ली की सांसद और विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को एटा, फतेहपुर, आगरा और फिरोजाबाद में तैनात किया गया है। राधा मोहन सिंह मथुरा, अलीगढ़ और हाथरस देखेंगे।

निशंक बुंदेलखंड, तो नितिन पटेल जाएंगे कैराना

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक फतेहपुर, कौशांबी और बुंदेलखंड के कुछ जिलों पर जाकर लोकसभा चुनावों की तैयारी का महाअभियान शुरू करेंगे। रघुवर दास को डुमरियागंज, गोरखपुर, कुशीनगर की जिम्मेदारी दी गई है। वही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पूर्वांचल के जिलों बलिया, आजमगढ़ और देवरिया की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

गुजरात के पूर्व उप मुख्यमंत्री नितिन भाई पटेल को पश्चिम के सेंसिटिव इलाके कैराना और मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी देकर लोकसभा चुनावों की कमान कसने को कहा गया है। इसी तरह मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री विश्वास नारंग को लखीमपुर खीरी, सीतापुर और हरदोई की जिम्मेदारी दी गई है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज हुसैन को अमेठी, प्रयागराज और प्रतापगढ़ में लोकसभा चुनावों को मजबूत करने के लिए भेजा जा रहा है। भाजपा में दक्षिण भारत के युवा नेता तेजस्वी सूर्या को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत और बुलंदशहर में तैनात किया गया है।

हिमाचल प्रदेश के भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप को इटावा और फर्रुखाबाद से कन्नौज की जिम्मेदारी दी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के गृह जनपद चंदौली समेत जौनपुर की जिम्मेदारी दी गई है।

केंद्र सरकार की योजनाओं को बताने के लिए चलेगा महाअभियान

भाजपा ने लोकसभा चुनावों से पहले अपने बड़े कद्दावर नेताओं को उप्र की अलग-अलग लोकसभा में उतारकर ना सिर्फ महाजनसंपर्क अभियान चलाने की शुरुआत का फैसला लिया है। बल्कि माइक्रो लेवल पर बूथ स्तर से लेकर पन्ना प्रमुख तक इन बड़े नेताओं की मीटिंग और रणनीति बनाने की पूरी तैयारी कर ली है।

जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड के धन सिंह रावत को अयोध्या सुल्तानपुर और बस्ती के लिए तैनात किया गया है। वहीं भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा वर्मा को रामपुर, पीलीभीत की जिम्मेदारी दी गई है।

जितेंद्र सिंह मुरादाबाद, अमरोहा और मैनपुरी के लिए निकलेंगे, तो अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा को बरेली, शाहजहांपुर और बदायूं की जिम्मेदारी दी गई। अन्नपूर्णा देवी को गाजीपुर और मऊ की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि केंद्र के यह नेता उत्तर प्रदेश के सियासी जमीन पर जाकर लोकसभा चुनावों से पहले स्थानीय जनता से मिलेंगे। केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में जन-जन तक एक महा अभियान चलाकर उनसे रूबरू होंगे।

इस कड़ी में उप्र भाजपा ने अपने मेगा प्लान के तहत कई और बड़ी योजनाओं को जमीन पर उतारने की तैयारी की है। उप्र भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी कहते हैं कि निकाय चुनावों के बाद उनकी पूरी टीम लोकसभा चुनावों के लिए तैयार हो चुकी है। अगले एक महीने के भीतर उनकी पार्टी प्रदेश के हर घर में, हर व्यक्ति तक पहुंचेगी।

भूपेंद्र चौधरी का कहना है कि इसके लिए व्यापक स्तर पर पूरे तैयारियां और बंदोबस्त कर लिए गए हैं। सभी जिम्मेदार नेताओं संगठन के कार्यकर्ताओं और विधायकों सांसदों को योजना अनुरूप 30 मई से 30 जून तक हर घर में दस्तक देने की कार्य योजना सौंप दी गई है।

प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी कहते हैं 30 मई से 30 जून के बीच में केंद्र के कई बड़े नेता और मंत्री उत्तर प्रदेश में आकर जनता से सीधे मुखातिब होंगे। उनका कहना है कि पूरे देश में चलने वाले इस महाअभियान के दौरान प्रधानमंत्री को अलग-अलग राज्यों में जाना है। वह कहते हैं कि संभवतया उत्तर प्रदेश में भी प्रधानमंत्री मोदी के कुछ कार्यक्रम अवश्य लगेंगे।

उत्तर प्रदेश

जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं को सशक्त करने में जुटी योगी सरकार

Published

on

Loading

लखनऊ| जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं को सशक्त करने में जुटी योगी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में त्वरित न्याय और सहायता सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर, जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं की लंबित क्षतिपूर्ति को जल्द निस्तारित करने का आदेश दिया गया है। यह निर्णय राज्य की ‘रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष योजना’ के तहत लिया गया, जिसमें चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 50 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई है। महिला कल्याण विभाग के तहत संचालित इस योजना का उद्देश्य हिंसा से पीड़ित महिलाओं और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में वापस लौट सकें और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें।

प्रदेश में 9 जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं के लिए संचालित यह योजना प्रभावी तरीके काम कर रही है, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि जघन्य अपराधों के कई मामलों में सहायता प्रक्रिया लंबित है। जिसमें 701 प्रकरण पुलिस नोडल अधिकारी स्तर पर लंबित हैं वहीं 7583 प्रकरण नोडल चिकित्साधिकारी स्तर पर और 8893 प्रकरण जिला संचालन समिति स्तर पर लंबित हैं। योगी सरकार द्वारा इन सभी 17177 लंबित प्रकरणों को इस महीने के अंत तक निस्तारित कर पीड़िताओं को राहत देने का निर्देश दिया गया है। निर्देश के बाद अब जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला संचालन समिति इन प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाएगी।

पीड़ित महिलाओं पुनर्वास में वरदान साबित हो रही है योजना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला कल्याण योजनाओं में क्रांतिकारी बदलाव किए गए हैं। रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष के माध्यम से जघन्य अपराधों की शिकार महिलाओं को 1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है। यह राशि पीड़ित महिलाओं के इलाज, पुनर्वास, बच्चों की शिक्षा, और जीवन यापन में मदद करती है।

सीएम योगी ने इस योजना में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। राज्य सरकार ने योजना के लिए न सिर्फ बजट आवंटन बढ़ाया है, बल्कि आम नागरिकों को भी इस कोष में योगदान करने के लिए प्रेरित किया है। कोष में योगदान करने वालों को आयकर अधिनियम की धारा 80जी के तहत कर में छूट दी जाती है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में नए आयाम स्थापित कर रही योगी सरकार
योगी सरकार ने महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों, जैसे एसिड अटैक, बलात्कार और घरेलू हिंसा के मामलों में आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए एक व्यापक ढांचा तैयार किया है। इसमें हिंसा की शिकार महिलाओं की तत्काल आर्थिक सहायता की जाती है, साथ ही उनके इलाज और पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है। हिंसा की शिकार महिलाओं के बच्चों की शिक्षा और भरण-पोषण की व्यवस्था भी सरकार इस कोष के माध्यम से करती है साथ ही पीड़ित महिलाओं को समाज में दोबारा सम्मानजनक जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है।

प्रदेश सरकार महिला कल्याण के प्रयासों से हिंसा पीड़ित हजारों महिलाओं को न केवल आर्थिक सहायता मिली है, बल्कि वे सामाजिक और मानसिक तौर पर भी सशक्त हो रही हैं। एसिड अटैक पीड़िताओं और बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों से पीड़ित महिलाओं को अब समाज में एक नई पहचान मिल रही है।

सीधे पीड़ित महिलाओं के खाते में पहुंचती है क्षतिपूर्ति राशि
इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए संबंधित प्रकरण जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली संचालन समिति द्वारा अनुमोदित किए जाते हैं। इसके बाद धनराशि सीधे पीड़िता के खाते में भेजी जाती है। यह प्रक्रिया पारदर्शी और त्वरित है, ताकि पीड़िता को समय पर सहायता मिल सके। महिला सम्मान कोष का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है। यह महिलाओं को मुख्यधारा में वापस लाकर समाज के सभी क्षेत्रों में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करता है।

Continue Reading

Trending