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अन्तर्राष्ट्रीय

कोरोना को लेकर आई एक बड़ी राहत की खबर, वैज्ञानिकों की भी दूर होगी चिंता

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नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पूरी तरह ठीक हो चुके कई मरीज दोबारा पॉजिटिव पाए गए थे। इन लोगों में कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे लेकिन जांच करने पर इन्हें पॉजिटिव पाया गया।

जिससे लोगों में यह चिंता बढ़ गई कि ऐसे लोग अनजाने में कई लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। दुनिया भर के हेल्थ एक्सपर्ट्स और वैज्ञानिकों के लिए ये सबसे बड़ी चिंता बनती जा रही थी लेकिन अब इसको लेकर एक राहत देने वाली खबर आई है। ये अच्छी खबर दी है दक्षिण कोरिया के सीडीसी (Centers for Disease Control and Prevention) के शोधकर्ताओं ने।

शोधकर्ताओं ताजा स्टडी में पाया है कि जो मरीज कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद टेस्ट में दोबारा पॉजिटिव आ रहे हैं वो संक्रामक नहीं हैं यानी  वह दूसरों में कोरोना वायरस नहीं फैला सकते। इसके अलावा शरीर में बने एंटीबॉडी की वजह से ठीक हो चुके कोरोना के मरीज फिर से बीमार नहीं पड़ सकते हैं।

वैज्ञानिकों ने यह स्टडी Covid-19 के उन 285 मरीजों पर की जो ठीक होने के बाद कोरोना वायरस के टेस्ट में पॉजिटिव आए थे। स्टडी में पाया गया कि इन मरीजों से किसी भी तरह का संक्रमण नहीं फैला और इनके वायरस सैंपल में भी जीवाणुओं की वृद्धि नहीं हुई। इससे पता चलता है कि ये मरीज गैर- संक्रामक थे या इनके अंदर मृत वायरस के कण थे।

ये रिपोर्ट उन देशों के लिए एक सकारात्मक संकेत है जहां कोरोना वायरस के मरीज ठीक हो रहे हैं और वो लॉकडाउन खोलने की तरफ बढ़ रहे हैं। दक्षिण कोरिया की इस स्टडी से पता चलता है कि जो लोग  Covid-19 से ठीक चुके हैं, सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपायों के नरम पड़ने के बाद भी उनसे कोरोना वायरस फैलने का कोई खतरा नहीं है।

स्टडी के अनुसार, दक्षिण कोरिया में स्वास्थ्य अधिकारी अब ठीक हो चुके कोरोना के मरीजों के दोबारा टेस्ट में पॉजिटिव आने के बाद भी उन्हें संक्रामक नहीं समझेंगे। पिछले महीने आए एक शोध में कहा गया था कि कोरोना वायरस के न्यूक्लिक एसिड के पीसीआर टेस्ट मरे और जिंदा वायरस के कणों के बीच अंतर नहीं कर सकते हैं। संभवतः इसलिए वो शोध गलत धारणा दे रहे हों कि दोबारा टेस्ट में पॉजिटीव आने वाला व्यक्ति संक्रामक बना रहता है।

एंटीबॉडी टेस्ट पर चल रही बहस में भी दक्षिण कोरिया का शोध मददगार साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एंटीबॉडी शायद वायरस के खिलाफ कुछ स्तर की सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन उनके पास अभी तक इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं है और न ही वे जानते हैं कि कोई भी इम्यूनिटी कितने समय तक शरीर में रह सकती है।

अन्तर्राष्ट्रीय

लाहौर में प्रदूषण ने तोड़े सारे रिकार्ड, 1900 तक पहुंचा AQI, स्कूल बंद

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नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में प्रदूषण ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं। पाकिस्तान के लाहौर शहर का AQI 1900 पहुंच गया है जो शहर में अब तक का सबसे ज्यादा एक्यूआई है। प्रांतीय सरकार और स्विस समूह IQAir द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शनिवार को पाकिस्तान-भारत सीमा के पास अब तक का सबसे अधिक प्रदूषण दर्ज किया गया। इसी के साथ लाहौर रविवार को दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रियल टाइम सूची में पहले नंबर पर पहुंच गया।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए लाहौर में आपातकाल जैसा माहौल है। वायु की खतरनाक गुणवत्ता को देखते हुए लाहौर प्रशासन ने वर्क फ्रॉम होम करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही विभिन्न शहरों में प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की घोषणा की गई है। वहीं पंजाब की वरिष्ठ मंत्री मरियम औरंगजेब ने कहा है कि, सरकार ने माता-पिता को यह सुनिश्चित करने की सलाह देते हुए प्राथमिक विद्यालयों को एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया है कि बच्चे मास्क पहनें, क्योंकि शहर में धुंध की मोटी चादर छाई हुई है। उन्होंने कहा कि वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए 50 प्रतिशत कार्यालय कर्मचारी घर से काम करेंगे।

मरियम औरंगजेब ने आगे कहा है कि पिछले एक सप्ताह से भारत से हवा की दिशा लाहौर की ओर हो गई है और इस वजह से धुंध बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की हवाएं अमृतसर और चंडीगढ़ से आ रही हैं और इस वजह से लाहौर में AQI लगातार बिगड़ता जा रहा है।
मरियम ने कहा है कि अगर हालत और खराब हुए तो शहर में उद्योगों को बंद कर दिया जाएगा। यहां तक कि पराली जलाने वाले किसानों को गिरफ्तार किया जाएगा। कुछ इसी तरह की कार्रवाई भारत की हरियाणा और पंजाब सरकार भी कर रही है, जहां पराली जलाने को लेकर बड़ी संख्या में किसानों पर मुकदमे दर्ज हुए हैं।

 

 

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