प्रादेशिक
मानसून में करंट से होने वाली मौत टल सकती है सावधानी से
नई दिल्ली| भारत जैसे देश में घरों में दो पिन वाले बिजली उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल होता है। मानसूनी मौसम के दौरान हवा में नमी के कारण करंट लगने की आशंका ज्यादा रहती है। करंट से लोगों की मौत हो जाती है। लेकिन ज्यादातर मौतों को टाला जा सकता है।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि अगर करंट लगने से मौत हो भी जाए तो पीड़ित को कार्डियोप्लमनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की पारंपरिक तकनीक का 10 का फार्मूला प्रयोग करके 10 मिनट में होश में लाया जा सकता है। इसमें पीड़ित का दिल प्रति मिनट 100 बार दबाया जाता है।
सबसे पहले तो बिजली के स्रोत को बंद करना जरूरी है। भारत में ज्यादातर मौतें अर्थ के अनुचित प्रयोग की वजह से होती हैं। भारत में अर्थिग या तो स्थानीय स्रोत से प्राप्त की जा सकती है या घर पर ही गहरा गड्ढा खोदकर खुद बनाई जा सकती है।
अर्थिग के बारे में इन बातों पर गौर करें :
1. तीन पिन के सॉकेट के ऊपर वाले छेद में लगी मोटी तार अर्थिग की होती है।
2. किसी बिजली सर्किट में हरी तार अर्थिग की, काली तार न्यूट्रल और लाल तार करंट वाली तार होती है। आसानी से पहचान हो सके इसलिए अर्थ की तार शुरू से ही हरी रखी गई है।
3. आम तौर पर करंट वाले तार को जब न्यूट्रल तार से जोड़ा जाता है, तब बिजली प्रवाहित होती है। करंट वाले तार को अर्थिग मिल जाने से बिजली प्रवाहित होती है। जब अर्थिग का तार न्यूट्रल से जुड़ा होगा, तब बिजली प्रवाहित नहीं होती है।
4. अर्थिग सुरक्षा के लिए की जाती है जो लीक होने वाली बिजली को बिना नुकसान पहुंचाए शरीर के बजाय सीधी जमीन में भेज देती है।
5. अर्थिग की जांच हर छह महीने बाद करते रहना चाहिए, क्योंकि समय व मौसम के साथ यह घिसती रहती है, खासकर बारिश के दिनों में।
6. टेस्ट लैंप से भी अर्थिग की जांच हो सकती है। करंट और अर्थिग वाले तार से बल्ब जलाकर देखा जा सकता है। अगर इन दो तारों के जोड़ने से बल्ब न जले तो समझिए, अर्थिग में खराबी है।
7. लोग आमतौर पर अर्थिग को हलके में लेते हैं और इसका गलत प्रयोग करते हैं।
8. करंट वाले और अर्थिग के तार को अक्सर अस्थायी तौर पर एक साथ जोड़ दिया जाता है, जो खतरनाक हो सकता है।
बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें :
1. घर में अर्थिग की उचित व्यवस्था का ध्यान रखें।
2. हरे तार को हमेशा याद रखें, इसके बिना कभी बिजली उपकरण का प्रयोग न करें, खास कर जब यह पानी के स्रोत को छू रहा हो। पानी करंट के प्रवाह की गति को बढ़ा देता है, इसलिए नमी वाले माहौल में अतिरिक्त सावधानी रखें।
3. दो पिन वाले बिना अर्थिग के उपकरणों का प्रयोग न करें, इन पर पाबंदी होनी चाहिए।
4. तीन पिन वाले प्लग का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि तीनों तार जुड़े हों और पिनें खराब न हों।
5. तारों को सॉकेट में लगाने के लिए माचिस की तीलियों का प्रयोग न करें।
6. किसी भी तार को तब तक न छुएं, जब तक बिजली बंद न कर दी गई हो।
7. अर्थिग के तार को न्यूट्रल के विकल्प के तौर पर ना प्रयोग करें।
8. सभी जोड़ों पर बिजली वाली टेप लगाएं, न कि सेलोटेप या बेंडेड।
9. गीजर के पानी का प्रयोग करने से पहले गीजर बंद कर दें।
10. हीटर प्लेट का प्रयोग नंगी तार के साथ न करें।
11. घर पर सूखी रबड़ की चप्पलें पहनें।
12. घर पर मिनी सर्कट ब्रेकर और अर्थ लीक सर्कट ब्रेकर का प्रयोग करें।
13. मैटेलिक बिजली उपकरण पानी के नल के पास मत रखें।
14. रबड़ के मैट और रबड़ की टांगों वाले कूलर स्टैंड बिजली उपकरणों को सुरक्षित बना सकते हैं।
15. केवल सुरक्षित तारें और फ्यूज का ही प्रयोग करें।
16. अर्थिग की जांच हर छह महीने में करते रहें।
17. किसी भी आम टैस्टर से करंट के लीक होने का पता लगाया जा सकता है।
18. फ्रिज के हैंडल पर कपड़ा बांध कर रखें।
19. प्रत्येक बिजली उपकरण के साथ बताए गए निर्देश पढ़ें।
20. यूएस में प्रयोग होते 110 वोल्ट की तुलना में भारत में 220 वोल्ट का प्रयोग होने से करंट से मौत की दुर्घटनाएं ज्यादा होती हैं।
21. डीसी की तुलना में एसी करंट ज्यादा खतरनाक होता है। 10 एमए से ज्यादा का एसी करंट इतनी मजबूती से हाथ पकड़ लेता है कि इसे करंट वाली चीज से हटा पाना असंभव हो जाता है।
करंट लगने की हालत में उचित तरीके से इलाज करना बेहद जरूरी होता है। मेन स्विच बंद कर दें या तारें लकड़ी के साथ हटा दें कार्डियो प्लमनरी सांस लेने की प्रक्रिया तुरंत शुरू कर दें। क्लीनिक तौर पर मृत व्यक्ति की छाती में एक फुट की दूरी से एक जोरदार धक्के से ही होश में लाया जा सकता है। डॉ. अग्रवाल ने बताया कि तीव्र करंट लगने से क्लिनिकल मौत 4 से 5 मिनट में हो जाती है, इसलिए कदम उठाने का समय बहुत कम होता है। मरीज को अस्पताल ले जाने का इंतजार मत करें। वहीं पर उसी वक्त कदम उठाएं।
उत्तर प्रदेश
महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी
प्रयागराज | महाकुंभ 2025 के वृहद आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार हर आपात स्थिति से निपटने की तैयारी कर रही है। दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम में परिंदा भी पर न मार सके, इसके लिहाज से स्वास्थ्य कर्मियों के साथ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की कई टीमें मिलकर काम कर रही हैं। महाकुंभ से पहले केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर प्रॉब्लम से निपटने के लिए भी टीम को तैयार कर लिए जाने की योजना है। इसके लिए बाकायदा कर्मचारियों को हर आपदा से निपटने की विधिवत ट्रेनिंग दी जाएगी। यही नहीं योगी सरकार के निर्देश पर श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए भी प्रयागराज के अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपग्रेड करने में लगे हैं।
श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट की भी व्यवस्था
संयुक्त निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य) प्रयागराज वीके मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर महाकुंभ के दौरान स्वास्थ्य विभाग सभी इंतजाम पुख्ता करने में जुटा है। इसके तहत कर्मचारियों को महाकुंभ में हर आपात स्थिति से निपटने की ट्रेनिंग दी जाएगी। महाकुंभ में देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के मेडिकल टेस्ट के लिए टीबी सप्रू और स्वरूपरानी अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। इसके अलावा एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम के साथ स्वास्थ्य कर्मियों के मिलकर काम करने की योजना बनाई गई है। सनातन धर्म के सबसे बड़े आयोजन के दौरान हर एक श्रद्धालु को केमिकल, बायलॉजिकल, रेडिएशनल और न्यूक्लियर संबंधी हर प्रॉब्लम से सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं।
अनुभवी चिकित्सकों की ही तैनाती
महाकुंभ के दौरान देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की देखरेख के लिए 291 एमबीबीएस व स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती रहेगी। इसके अलावा 90 आयुर्वेदिक और यूनानी विशेषज्ञ भी इस अभियान में सहयोग के लिए मौजूद रहेंगे। साथ ही 182 स्टॉफ नर्स इन चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर जरूरतमंदों के स्वास्थ्य की देखभाल करेंगी। इस प्रक्रिया में ज्यादातर अनुभवी चिकित्सकों को ही महाकुंभ के दौरान तैनाती दी जा रही है।
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