प्रादेशिक
दिल्ली में दिखी केरल की झलक
नई दिल्ली| ‘ईश्वर की भूमि’ के रूप में मशहूर केरल, भारत के सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य, राज्य की संपन्न संस्कृति एवं विरासत मनोहर है। केरल पर्यटन को बढ़ावा देने और नए अभियानों द्वारा और अधिक सैलानियों को आकर्षित करने के उद्देश्य से नई दिल्ली स्थित पांच सितारा होटल ‘द ललित’ में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में का आयोजन किया गया, जहां ‘केरल टूरिज्म’ के उप निदेशक नन्दा कुमार संवाददाताओं से मुखातिब हुए।
कार्यक्रम के दौरान केरल की संस्कृति को प्रदर्शित करता सांस्कृतिक कार्यक्रम विशिष्ट आकर्षण का केंद्र रहा।
कुमार ने बताया कि 2015 में करीब 7,75,390 विदेशी पर्यटक केरल आए, जबकि घरेलू पर्यटकों की संख्या 76,71,277 रही।
उन्होंने बताया कि ‘केरल टूरिज्म’ ने अप्रैल 2015 से अप्रैल 2016 की अवधि को ‘विजिट केरल वर्ष’ घोषित किया है।
कुमार से पूछा गया कि वह केरल में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किस प्रकार की पहल शुरू कर रहे हैं, तो उन्होंने आईएएनएस को बताया, “हम विपणन क्षेत्र में अधिक सक्रिय हैं लेकिन दिल्ली एक व्यस्त शहर है, जहां लोगों को छुट्टी की काफी जरूरत है, तो हम उन्हें केरल आने का सुझाव दे रहे हैं।”
केरल के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए चीन, श्रीलंका जैसे नए बाजार तलाशना, अमेरिका, फ्रांस और जर्मनी जैसे बाजारों में व्यापार मेले और रोड शो के जरिए परंपरागत बाजारों के यात्रियों को भी आकर्षित करना लक्ष्य शामिल हैं।
कुमार से जब पूछा गया कि विभिन्न राज्यों के विपरीत केरल पर्यटन क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए क्या नया कर रहा है? उन्होंने आईएएनएस को बताया, “पर्यटन के प्रचार के लिए जो हम करेंगे, वह अनूठा होगा। हम अन्य राज्यों से विपरीत पर्यटकों को अधिक छूट देने के लिए तैयार हैं।”
उत्तर प्रदेश
निराश्रित बच्चों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील वातावरण बनाने में जुटी योगी सरकार
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महिला कल्याण विभाग ने बच्चों के सर्वांगीण विकास और सुरक्षा के लिए एक नई और महत्वपूर्ण पहल की है। इस पहल के तहत राज्य के विभिन्न जनपदों में 10 नए बाल संरक्षण गृहों का निर्माण और संचालन किया जाएगा। इन संरक्षण गृहों का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना है, जहाँ वे अच्छे नागरिक के रूप में विकसित हो सकें।
वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या समेत 10 जिलों में बनेंगे नए बाल संरक्षण गृह
महिला कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तावित इस योजना के अनुसार, प्रदेश के मथुरा, प्रयागराज, कानपुर नगर, आजमगढ़, झांसी, अमेठी, फिजाबाद, देवरिया, सुल्तानपुर, तथा ललितपुर में इन संरक्षण गृहों की स्थापना की जाएगी। हर संरक्षण गृह में 100-100 बच्चों को रखने की क्षमता होगी, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को लाभान्वित किया जा सके। इनमें 1 राजकीय बाल गृह(बालिका) 1 राजकीय बाल गृह (बालक), 7 राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर), किशोर न्याय बोर्ड सहित 1 प्लेस ऑफ सेफ्टी गृह शामिल है। इन संरक्षण गृहों में बच्चों को न केवल रहने की सुविधाएं दी जाएंगी, बल्कि उनके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास का भी ध्यान रखा जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशानुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग इन संरक्षण गृहों की स्थापना से असहाय और संवेदनशील बच्चों को एक नया जीवन देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। इन गृहों में बच्चों को एक संरक्षित वातावरण में शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, मानसिक स्वास्थ्य सहायता और जीवन कौशल जैसी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम
इस योजना के तहत राज्य सरकार ने बाल संरक्षण गृहों के निर्माण के लिए आवश्यक फंड भी निर्धारित किए हैं। सभी गृहों का निर्माण योगी सरकार अपने बजट से करेगी। वहीं इन गृहों के संचालन में केंद्र सरकार द्वारा मिशन वात्सल्य योजना के प्राविधानों के केंद्रांश-60 प्रतिशत और राज्यांश-40 प्रतिशत के अनुसार राज्य सरकार पर 7.96 करोड़ रुपये का व्ययभार आएगा। इसके साथ ही मुख्यमंत्री बाल आश्रय योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 100 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है। योजना के सफल संचालन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इन गृहों का निर्माण और प्रबंधन गुणवत्ता मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से कंसल्टेंट्स का चयन भी किया है, ताकि इन बाल संरक्षण गृहों में दी जाने वाली सेवाओं का उच्चतम स्तर सुनिश्चित किया जा सके।
बाल अधिकारों की रक्षा में सीएम योगी का सशक्त प्रयास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है कि राज्य का कोई भी बच्चा असुरक्षित या उपेक्षित महसूस न करे। सीएम योगी ने कहा कि बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि वे समाज के भविष्य हैं। इस योजना के तहत बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विशेष प्रशिक्षित कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएगी, जो उनकी सुरक्षा और कल्याण के प्रति संजीदा होंगे। इन बाल संरक्षण गृहों में बच्चों को उनकी उम्र और जरूरतों के हिसाब से सेवाएं दी जाएंगी, ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकें।
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