उत्तराखंड
VIDEO : देखिए कैसे बनाया गया दुनिया का सबसे बड़ा मानव अक्षर
उत्तराखंड के चंबा और जुंडासू (नई टिहरी) क्षेत्रों के स्थानीय स्कूलों से आए बच्चों ने स्वीडन की गैर सरकारी संस्था एबीसी चैरिटी (ABC Charity) के साथ मिलकर छह अप्रैल 2018 को पर्यावरण की खूबसूरती व बच्चों की एकजुटता का एक अनूठा नज़ारा पेश किया।
एबीसी चैरिटी संस्था कई वर्षों से गरीब बच्चों के विकास व उनकी शिक्षा पर बड़े स्तर पर काम कर रही है। यह संस्था ‘Kids helping Kids’ यानि की बच्चों की मदद करते बच्चे के उद्देश्य के अलग-अलग देशों में ‘ Human alphabet ‘ मानव वर्णमाला तैयार करते हैं, जिसमें मुख्यरूप से स्कूली छात्र शामिल होते हैं।
ये हंसते-खिलखिलाते बच्चे दिखने में एक जैसे ही लग रहे थे, क्योंकि इन सभी बच्चों ने मिलती-जुलती पोशाक पहनी हुई थी, जो उन्हें खासतौर से एबीसी चैरिटी संस्था की तरफ से दी गई थी। इस टी-शर्ट में लिखा हुआ था ‘ KIND IS THE NEW COOL!’। लगभग 432 बच्चों ने इकट्ठा होकर उस दिन जुंडासू की ऊंची पहाड़ी पर सिर्फ उत्तराखंड की ही नहीं बल्कि भारत का सबसे बड़ा मानव अक्षर ‘I’ बनाया। इस अक्षर को बनाने का मुख्य उद्देश्य था, स्थानीय बच्चों की शिक्षा व विकास के लिए ज़रूरी धन इकट्ठा करना।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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