उत्तराखंड
रावत के देहरादून लौटते ही ताबड़तोड़ फैसले लेने की उम्मीद
कल होगी कैबिनेट की बैठक
देहरादून। सीएम हरीश रावत गुरुवार से दिल्ली में हैं और शुक्रवार शाम तक उनके राजधानी देहरादून पहुंचने की उम्मीद है। बताया गया है कि दिल्ली से लौटते ही हरीश रावत ताबड़तोड़ लोक लुभावन फैसले लेने की तैयारी में हैं। इसी लिए सीएम ने शनिवार सुबह कैबिनेट की बैठक बुलाई है। उत्तराखंड के सीएम की कुर्सी पर बहाल होने के बाद रावत ने शनिवार को दूसरी बार मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है। कैबिनेट की पहले बैठक गुरुवार को बुलाई गई थी। इसी बैठक में देहरादून में रिस्पना चौक का नाम शक्तिमान घोड़े के नाम पर शक्तिमान चौक रखा गया था। इसके अलावा इसमें 24 घंटे की सरकार के 15 फैसलों पर मुहर लगाई गई थी।
जिसमें डिग्री कालेजों को उच्चीकरण, समाज कल्याण विभाग की पेंशन में 200 रूपये का इजाफा, मलिन बस्तियों को नियमितीकरण और चिन्हित आंदोलनकारियों के आश्रितों को सरकारी नौकरी देने जैसे फैसलों पर शासनादेश जारी कराया गया। वित्त मंत्री डॉ. इंदिरा हृदयेश का कहना है कि कमोबेश दो महीने से सुस्त पडा विकास का पहिया चलना शुरू हो गया है। वहीं मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि गांव, गरीब और बेरोजगारों के सुनहरे भविष्य सुधारने के मिशन का आगाज हो चुका है। सूत्रों के मुताबिक आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए हरीश रावत के पास वक्त बेहद कम है। दिल्ली में आगे की रणनीति तय हो रही है। इस रणनीति को उन्हें धरातल पर उतारना है।
बताया गया है कि हरीश रावत अब जल्दी से जल्दी लोक लुभावन फैसले लेकर काम करते हुए दिखना चाहते हैं। साथ ही पिछले दो महीनों में जो वक्त बर्बाद हुआ उसके लिए वे सीधे-सीधे बीजेपी को जिम्मेदार ठहराने की योजना पर भी काम करते दिखेंगे। हरीश रावत कल से दिल्ली में हैं। आज शाम उनके देहरादून पहुंचने का कार्यक्रम है। शनिवार सुबह उन्होंने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में कई लोक लुभावन फैसलों की झड़ी लगाई जा सकती है, ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका फायदा मिल सके।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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