उत्तराखंड
अब शूरवीरों का नाम स्कैन कर जानिए उनकी बहादुरी की गौरवगाथा
उत्तराखंड सरकार राज्य के शूरवीरों की जानकारी हासिल करने के लिए एक खास सुविधा की शुरूआत करने जा रही है। प्रधानमंत्री की डिजिटल इंडिया मुहिम में शामिल की गई इस सुविधा में लोग मोबाइल ऐप्लीकेशन के ज़रिए राज्य के किसी भी शहीद जवान के बारे में जानकारी ले सकेंगे।
देहरादून के चीड़ बाग में बनने वाले इस शौर्य स्थल का काम लगभग पूरा होने वाला है। इस जुलाई से लोग इस जगह को देख पाएंगे। देशभर के शहीद स्थलों की तुलना में इस जगह की बनावट बिलकुल अगल है। इस शौर्य स्थल में आपको आज़ादी के क्रांतिकारियों की डिजिटल झलक देख सकेंगे।
चीड़ बाग में बनने वाले इस शौर्य स्थल को डिजिटल माध्यम से लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने एक निजी कंपनी के साथ करार किया गया है। इसके तहत एक मोबाइल ऐप्लीकेशन तैयार किया जा रहा है। शौर्य स्थल पर आने वाले व्यक्ति को ये मोबाइल ऐप्लीएशन अपने फोन में डाउनलोड करनी होगी। इसके बाद शहीद स्थल पर दर्ज किसी भी शहीद के नाम को आप मोबाइल कैमरा से स्कैन करेंगे, तो शहीद के बारे में हर जानकारी आपके मोबाइल पर मिल जाएगी।
मोबाइल पर भेजी गई शहीद की जानकारी में शहीद के जन्म से लेकर शहादत तक की पूरी कहानी होगी। इस शौर्य स्थल में परमवीर चक्र विजेताओं की याद में शौर्य की दीवार भी तैयार की जा रही है।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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