हेल्थ
अनिंद्रा बढ़ाती है दिल की बीमारी का खतरा : विशेषज्ञ
नई दिल्ली| अनिद्रा (स्लीप एपनिया) की बीमारी से गंभीर दिल के रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। लम्बे समय तक अनियमित और खराब नींद दिल के रोगों का खतरा बढ़ा सकती है। ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, ज्यादा ट्रिग्लिसेराइड और उच्च रक्तचाप अनिद्रा का मुख्य कारण है। स्लीप एपनिया के कारण रात में बार बार लोगों की सांस कुछ समय के लिए रूक जाती है। जिन्हें दिल के रोग होते हैं उनमें से 83 प्रतिशत लोगों को स्लीप एपनिया होता है। अनिंद्रा से पीड़ित लोगों का पाचन तंत्र धीमा होता है और उन्हें वजन कम करने में भी ज्यादा मुश्किल आती है। व्यायाम करने या सेहतमंद आदतें अपनाने की अनिच्छा भी इस पर असर डालती है।
खराब नींद की वजह से सी-रिएक्टिव प्रोटीन बढ़ जाता है। इस वजह से चोट लगने, संक्रमण या रोग होने पर सूजन आ जाती है, इसी वजह से अनिद्रा दिल की प्रणाली पर प्रभाव डालती है। इसकी वजह से ही तनाव के हार्मोन ज्यादा उत्पन्न होते हैं, जो दिल के रोगों का कारण बन सकते हैं।
दूसरी ओर दिल के रोगों के लक्षण खराब नींद का कारण बन सकते हैं। एनजायना और हार्ट फेल होने से फेफड़ों में तरल जमा होने से भी निद्रा में रूकावट पैदा हो सकती है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ के के अग्रवाल ने कहा कि सेहतमंद दिल के लिए नींद बेहद जरूरी है। जो लोग नींद पूरी नहीं करते हैं उन्हें उम्र, वजन, धूम्रपान और व्यायाम करने के बावजूद दिल के रोग होने का गंभीर खतरा है। जो लोग सात से आठ घंटे नींद लेते हैं वह ज्यादा सजग रहते हैं और ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। उन्हें तनाव और बेचैनी कम होती है। अच्छी नींद लेने से पाचन तंत्र और वजन कम करने में मदद मिलती है।
उन्होंने कहा, “अनिंद्रा से बचने के लिए व्यायाम करें और सप्ताह में 30 से 40 मिनट हल्की से सख्त एयरोबिक एक्सरसाईज तीन या चार बार करें। कैफीन से बचें खास कर रात को सोने से पहले। सोने के वक्त की एक रूटीन बनाएं। योग, गहरी सांस की क्रियाएं, ध्यान और अन्य आराम देने वाली तकनीकें बेहतर निद्रा लेने में मदद कर सकती है।”
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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