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आध्यात्म

अघोरी साधुओं के ऐसे भयानक सत्य, जिन्हें सुनकर के रूह कांप उठेगी आपकी

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अघोरी की कल्पना की जाए तो श्मशान में तंत्र क्रिया करने वाले किसी ऐसे साधु की तस्वीर जेहन में उभरती है जिसकी वेशभूषा डरावनी होती है। लेकिन क्या आपको इन के रहन-सहन खान-पान और इनके जीवन जीने के अंदाज के बारे में पता है। शायद नहीं आज हम आपको अघोरी साधुओं के उन पांच भयानक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद आपने पहले कभी सोचा भी नहीं होगा।

साभार – इंटरनेट

अघोरियों को डरावना या खतरनाक साधु समझा जाता है लेकिन अघोर का अर्थ है अ+घोर यानी जो घोर नहीं हो, डरावना नहीं हो, जो सरल हो, जिसमें कोई भेदभाव नहीं हो। कहते हैं कि सरल बनना बड़ा ही कठिन होता है। सरल बनने के लिए ही अघोरी कठिन रास्ता अपनाते हैं। साधना पूर्ण होने के बाद अघोरी हमेशा- हमेशा के लिए हिमालय में लीन हो जाता है।

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अघोरी साधु शांत स्वभाव के होते हैं भले ही इनका जीवन हमें कठोर प्रतीत होता है।

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इनकी साधना भक्ति में बहुत ताकत होती है और इनके पास हर मर्ज का कोई न कोई इलाज निश्चित होता है।

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अघोरी साधु श्मशान जैसे स्थान में कुटिया बनाकर के रहते हैं और इनकी कुटिया में एक छोटी सी धूनी हमेशा दहकती रहती है।

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एक अघोरी साधु की उम्र लगभग 150 साल होती है आपको बता दें कि राम बाबा नामक अघोरी 150 साल तक जीवित रहे थे।

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गाय के मांस को छोड़कर के अघोरी साधु सभी प्राणियों के मांस को आहार के रूप में प्रयोग में लाते हैं।

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अघोरी साधु मृत शरीर के साथ संबंध बनाना सर्वश्रेष्ठ मानता है और माना जाता है कि इससे उन्हें आलौकिक शक्तियों की प्राप्ति होती है।

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अघोरी साधु जानवर और कुत्तों को पालना पसंद करते हैं और यह अपने जीवन में कभी भी अपने बालों को नहीं कटवाते हैं।

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आध्यात्म

महाशिवरात्रि 2025 : जानें क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व, क्या है पूजा विधि

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नई दिल्ली। हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन शाम को विशेष पूजा का महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव की रात्रि 4 पहर पूजा करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में इस अवसर आप भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा, व्रत और मंत्र आदि जप पर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि महादेव अन्य देवों की तुलना बहुत दयालु हैं, उन्हें महज बेलपत्र चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है।

क्या है पूजा विधि?

सबसे पहले सुबह स्नान आदि करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद दूध-दही,शहद, घी और गंगाजल आदि से भोलेनाथ का अभिषेक करें। याद रहे कि जलाभिषेक करते समय आपका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। फिर शिवलिंग पर भस्म लगाएं और बेलपत्र, मोली,साबुत अक्षत, फल, पान-सुपारी अर्पित करें। फिर महादेव की आरती करें और शिवलिंग के सामने शिव गायत्री मंत्र “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” या फिर श‍िव नामावली मंत्र- श्री शिवाय नम:” का जप करें।

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