Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

उत्तर प्रदेश

महाकुंभ की परंपराओं और महत्व की जानकारी देगा ‘महाकुंभ मेला एप’

Published

on

Loading

प्रयागराज।  प्रयागराज में 12 वर्षों के बाद महाकुंभ 2025 का महाआयोजन होने जा रहा है। प्रदेश ही नहीं, देश और विदेश सभी जगह लोगों में महाकुंभ को जानने और इसे समझने के लिए लोगों में एक जिज्ञासा देखने को मिल रही है। विभिन्न सर्च इंजन पर लोग महाकुंभ 2025 की तारीखों और इसके महत्व के बारे में जानने के लिए अलग-अलग की वर्ड्स को सर्च कर रहे हैं। हालांकि, महाकुंभ की जानकारी के लिए लोगों को अब और अधिक परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि महाकुंभ 2025 की आधिकारिक एप पर उन्हें समस्त जानकारियां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इस एप पर लोगों को न सिर्फ महाकुंभ के विषय में विभिन्न जानकारियां मिलेंगी, बल्कि महाकुंभ और कुंभ पर लिखी गई किताबों और ब्लॉग्स के माध्यम से वो महाकुंभ की परंपराओं और इसके महत्व के विषय में अधिक जानकारी हासिल कर सकेंगे। मेला प्राधिकरण की ओर से इस एप को लाइव किया जा चुका है और लोग इसे गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड भी कर सकते हैं।

आईआईएम समेत विभिन्न संस्थानों की रिसर्च रिपोर्ट

प्रयागराज भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है। इसे प्राचीन शास्त्रों में ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से भी सुशोभित किया गया है और इसे भारत के पवित्रतम तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यह शहर वार्षिक माघ मेला, प्रत्येक छह वर्षों में कुंभ मेला और हर 12 वर्ष में महाकुंभ मेला के लिए भी प्रसिद्ध है। प्रयागराज में होने वाले इन सम्मेलनों को धरती पर मानवता के सबसे बड़े सामूहिक आयोजन के रूप में जाना जाता है। यूनेस्को ने कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सूचीबद्ध किया है। इस बार महाकुंभ मेला के लिए शहर में तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। तैयारियों के बीच लोग अधिक से अधिक महाकुंभ के विषय में जान सकें, इसको लेकर महाकुंभ मेला 2025 एप को भी लाइव कर दिया गया है। इस एप पर महाकुंभ 2025 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों के साथ-साथ कुंभ और महाकुंभ पर लिखी गईं प्रमुख किताबों की भी जानकारी है। साथ ही इसमें महत्वपूर्ण ब्लॉग्स का भी सेक्शन है, जिसमें आईआईएम समेत कई बड़े संस्थानों की महाकुंभ को लेकर की गई रिपोर्ट भी सम्मिलित की गई है। इसके माध्यम से वो लोग जो महाकुंभ पर रिसर्च करना चाहते हैं, उन्हें बड़ी राहत मिलेगी।

प्रयागराज के बारे में भी जान सकेंगे लोग

महाकुंभ के ब्लॉग सेक्शन में यूपी टूरिज्म की एक्सप्लोर प्रयागराज को भी स्थान दिया गया है जिसमें संगमनगरी की आध्यात्मिकता और आधुनिकता को बताने का प्रयास किया गया है। इसमें प्रयागराज का इंट्रोडक्शन देने के साथ-साथ प्रयागराज में आकर्षण के केंद्रों के साथ ही प्रयागराज की प्रमुख हस्तियों का जिक्र किया गया है। इसके अतिरिक्त भारतीय प्रबंध संस्थान बेंगलुरू की ‘प्रयागराज महाकुंभ 2019’ को भी इसमें रखा गया है जो महाकुंभ का एकीकृत मूल्यांकन करती है। इसके अतिरिक्त पेंट माय सिटी, स्वच्छ कुंभ, प्रयागराज स्मार्ट सिटी, स्मार्ट फ्यूचर और द मैग्नीफिसेंस ऑफ कुंभ जैसे स्टडी रिपोर्ट को भी रखा गया है जो प्रयागराज और महाकुंभ को समझने में महत्वपूर्ण साबित होगी। इसके अलावा, एप में कुंभ पर विभिन्न लोगों द्वारा की गई स्टडी और उनकी बुक के बारे में भी जानकारी दी गई है जो रिसर्चर्स के लिए बहुत खास हो सकती है।

Continue Reading

उत्तर प्रदेश

अपने इष्ट गणपति और नागा संन्यासियों को लेकर महाकुम्भ क्षेत्र पहुंचा श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़ा

Published

on

Loading

महाकुंभ नगर। प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के केंद्र सनातन धर्म के 13 अखाड़ो का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। इसी क्रम में बुधवार को श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया। छावनी प्रवेश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

इष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में हुआ प्रवेश

आदि गुरु शंकराचार्य के प्रयास से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आये अखाड़ो की स्थापना शस्त्र और शास्त्र दोनों को आगे बढाने के लिए की गई। शास्त्र ने अगर शंकर के धार्मिक चिंतन को जन जन तक पहुचाया तो वही शस्त्र ने दूसरे धर्मो से हो रहे हमलो से इसकी रक्षा की। इन्ही अखाड़ो में शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पञ्च दशनाम अटल अखाड़ा ने कुम्भ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। अलोपी बाग स्थिति अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से यह प्रवेश यात्रा निकाली गई। प्रवेश यात्रा में परम्परा, उत्साह और अनुशासन का खूबसूरत मेल देखने को मिला। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।

नागा संन्यासियों की फौज बनी आकर्षण और आस्था का केंद्र

स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालो के बाद कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में दो दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनो तरफ दिखे।

“सूर्य प्रकाश” भाला रहा आकर्षण का केंद्र

अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे धजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था “सूर्य प्रकाश” नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है।

जगह जगह अखाड़े के संतों का प्रशासन ने किया स्वागत

पांच किमी का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महा कुम्भ प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।

Continue Reading

Trending