अन्तर्राष्ट्रीय
इस देश में नहीं मिलेगा किसी को मृत्युदंड, जानें क्या है वजह
नई दिल्ली। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपराधियों को मौत की सजा देने को लेकर बहस का दौर जारी है। एक ओर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मृत्युदंड की सजा को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाने की बात कही है। तो वहीं, अब एक ऐसा देश सामने आया है जिसने अपने यहां मौत की सजा के प्रावधान को खत्म ही कर दिया है। यानी कि अब इस देश में किसी भी शख्स को मृत्युदंड नहीं मिलेगा। आपको बता दें किमौत की सजा खत्म करने वाले इस देश का नाम जिम्बाब्वे है।
कानून को राष्ट्रपति से मिली मंजूरी
अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे में मृत्युदंड की सजा के प्रावधान को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन मनंगाग्वा ने इस सप्ताह मृत्युदंड को खत्म करने के कानून के प्रावधान को मंजूरी दे दी है। जिम्बाब्वे में आखिरी बार किसी कैदी को लगभग दो दशक पहले मौत की सजा दी गई थी। इस कारण से ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिम्बाब्वे मौत की सजा खत्म करने का कदम उठा सकता है।कभी
राष्ट्रपति एमर्सन को भी सुनाई गई थी मौत की सजा
आपको एक खास बात बता दें कि जिम्बाब्वे के वर्तमान राष्ट्रपति एमर्सन मनांगाग्वा को भी कभी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान साल 1960 के दशक में उन्हें ये सजा दी गई थी। एमर्सन मनांगाग्वा का जन्म साल 1942 में हुआ था। उन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया था जिस कारण उन्हें दस साल जेल में भी रहना पड़ा था। वर्तमान में वह 2017 से जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं।
जिम्बाब्वे में ऐसे कितने कैदी हैं?
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान 1960 के दशक में मनंगाग्वा को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिम्बाब्वे में करीब 60 कैदी ऐसे हैं, जिन्हें मौत की सजा सुनाई जा चुकी है। हालांकि, अब इस नए कानून के आने के बाद सभी की सजा को माफ कर दिया जाएगा। बता दें कि जिम्बाब्वे में अंतिम बार किसी को साल 2005 में मौत की सजा दी गई थी।
अन्तर्राष्ट्रीय
इजरायल का गाजा पर जोरदार हवाई हमला, डीजीपी समेत 70 फिलिस्तीनियों की मौत
नई दिल्ली। इजरायल ने गुरुवार को गाजा में एक शरणार्थी क्षेत्र समेत कई जगहों पर हवाई हमले किए। इसमें गाजा पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) और उनके सहायक समेत 70 फलस्तीनी मारे गए। अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक गाजा के सरकारी मीडिया कार्यालय ने बताया कि इजरायली सेना ने गुरुवार को 30 से अधिक हमले किए। इनमें अल-मवासी के तथाकथित मानवीय क्षेत्र और उत्तरी गाजा के जबालिया शरणार्थी शिविर पर भी अटैक हुआ।
मीडिया कार्यालय ने एक बयान में कहा, “इजरायली एयर स्ट्राइक में नागरिकों और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया।” रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सा सूत्रों ने बताया कि गाजा के पुलिस बल के प्रमुख महमूद सलाह और उनके डिप्टी हुसाम शाहवान उन 12 लोगों में शामिल थे, जो अल-मवासी में एक टेंट शिविर पर हुए हमले में मारे गए। सलाह एक अनुभवी अधिकारी थे। उन्होंने पुलिस में 30 साल बिताए थे और करीबी छह साल तक इसके प्रमुख रहे।
गाजा के आंतरिक मंत्रालय ने हत्याओं की निंदा करते हुए कहा कि दोनों पुलिस अधिकारी ‘हमारे लोगों की सेवा करके अपना मानवीय और राष्ट्रीय कर्तव्य निभा रहे थे।’ मंत्रालय ने इजरायल पर घातक हमले के जरिए गाजा में ‘अराजकता’ फैलाने और ‘मानव पीड़ा’ को बढ़ाने का आरोप लगाया। इस बीच, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि उन्होंने वार्ताकारों को कतर की राजधानी दोहा में बातचीत जारी रखने के लिए कहा है ताकि बंधकों की रिहाई के लिए डील फाइनल की जा सके। हाल ही में इजरायल और हमास ने समझौते में देरी को लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे।
कतर, मिस्र और संयुक्त राज्य अमेरिका कई महीनों से अप्रत्यक्ष वार्ता के माध्यम से दोनों पक्षों के बीच एक फाइनल डील करवाने का प्रयास कर रहे हैं। इजरायली हमलों में 2025 के पहले दो दिनों में जान गंवाने वालों की संख्या के साथ गाजा में मृतकों की संख्या 46,000 से अधिक हो गई है।
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