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राज्य से बाहर स्थानांतरित किए जा सकते हैं जम्मू-कश्मीर के केसः सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट, जम्मू-कश्मीर के केस, बाहर स्थानांतरित, दीवानी प्रक्रिया संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता

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सुप्रीम कोर्ट, जम्मू-कश्मीर के केस, बाहर स्थानांतरित, दीवानी प्रक्रिया संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता

supreme court of india

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में यह व्यवस्था दी कि वादियों को न्याय सुनिश्चित कराने के लिए उसके द्वारा वैवाहिक मतभेदों से जुड़े मामलों को अब जम्मू-कश्मीर से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला इस तथ्य के मद्देनजर दिया है कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय कानून वादी के अनुरोध पर मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की इजाजत नहीं देते हैं।

दीवानी प्रक्रिया संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता के मामलों के स्थानांतरण से संबंधित नियम जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होते हैं। पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, एके सिकरी, एसए बोबडे और आर भानुमति भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि न्याय पाना सभी वादियों का अधिकार है और इसे सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल कर मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित कर सकती है।

यह फैसला कुछ याचिकाओं के आधार पर आया है। इन्हीं में से एक मामला अनिता कुशवाहा का था, जिसमें उन्होंने अपने मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की थी।

आध्यात्म

नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की आराधना, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं मां

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नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां कूष्मांडा की उपासना की जाती है।  मां कूष्मांडा यानी कुम्हड़ा। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कद्दू, पेठा। धार्मिक मान्यता है कि मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत प्रिय है। इसलिए मां दुर्गा के इस स्वरुप का नाम कूष्मांडा पड़ा।

मां को प्रिय है ये भोग

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा को मालपुआ का प्रसाद अर्पित कर भोद लगाएं। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आएगी। साथ ही इस दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन या वस्त्र भेट करने से धन में वृद्धि होगी।

यूं करें मां कूष्मांडा की पूजा

मां कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करें। मन को अनहत चक्र में स्थापित करें और मां का आशीर्वाद लें। कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करने के बाद मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लें और मां का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

माता कूष्मांडा हरेंगी सारी समस्याएं

जीवन में चल रही परेशानियों और समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप 108 बार अवश्य करें। ऐसा करने से सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जाएगा।

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दारिद्रादि विनाशिनीम्।
जयंदा धनदां कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

मां कूष्मांडा की पूजा के बाद इस मंत्र का 21 बार जप करें

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्त पद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

शास्त्रों में उल्लेख है कि इस मंत्र के जप से सूर्य संबंधी लाभ तो मिलेगा ही,साथ ही, परिवार में खुशहाली आएगी। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और आय में बढ़ोतरी होगी।

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