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सुप्रीम कोर्ट ने SSC 2017 परीक्षा परिणाम पर लगाई रोक

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसएससी परीक्षा परिणाम को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने ने कहा कि एसएससी परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी नजर आ रही है। आपको बता दें कि फरवरी में आयोजित हुई एसएसएसी सीजीएल 2017  की परीक्षा में धांधली की खबर आई थी जिसके बाद सैकड़ो परीक्षार्थी सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन करने लगे।

इस मामले में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा 2017 के प्रश्नपत्र लीक मामले के संबंध में सीबीआई ने मई महीने में सिफी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के 10 कर्मचारियों समेत 17 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। इस एफआईआर में 7 छात्रों के नाम भी शामिल हैं जो परीक्षा में शामिल हुए थे।

बता दें कि वॉट्सएप पर स्क्रीनशॉट लीक हो जाने के बाद से यह पूरा मामला खुला था। बाद में इसी आधार पर केस भी दर्ज किया गया था। सीबीआई के मुताबिक प्रश्न पत्र इस तरह से तैयार किये गए थे कि परीक्षार्थियों को पत्र एक तय क्रम में मिलें जो एक परीक्षा केंद्र के लिये खास हो।

नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 रुपये के बदले देना पड़ेगा 35,453 रुपये, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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