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उत्‍तराखण्‍ड मामले पर केंद्र के पास 6 मई तक का समय

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उत्‍तराखण्‍ड मामला, सर्वोच्‍च न्यायालय, उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण, छह मई तक का समय, फ्लोर टेस्ट

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नई दिल्ली। सर्वोच्‍च न्यायालय ने उत्तराखंड विधानसभा में शक्ति परीक्षण आयोजित करवाने के बारे में उसे सूचित करने के लिए केंद्र को छह मई तक का समय दिया। महान्‍यायवादी मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को सुझाव दे दिए हैं और उन्हें सरकार से अभी तक कोई निर्देश नहीं मिला है। शीर्षस्‍थ न्‍यायालय में केंद्र ने जवाब दाखिल करके कहा है कि वह फ्लोर टेस्ट पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस मामले पर शुक्रवार को अगली सुनवाई होगी। दूसरी तरफ पूर्व सीएम हरीश रावत के वकील ने कहा कि यदि सरकार उच्चतम न्यायालय के सुझाव स्वीकार करती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। वहीं उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यदि महान्‍यायवादी (एजी) सुझाव पर केंद्र के रूख के बारे में अवगत नहीं कराते तो भी सुनवाई छह मई को ही शुरू होगी। साथ ही, कोर्ट ने कहा कि हम छह मई को इस मामले को संविधान पीठ के पास भेजने पर विचार कर सकते हैं। मामला खारिज करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के निर्णय पर अगला आदेश आने तक अंतरिम रोक जारी रहेगी।

कल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या केंद्र सरकार शक्ति परीक्षण कराना चाहती है। नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने का फ़ैसला दिया था जिसके ख़िलाफ़ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है। मंगलवार को कोर्ट ने केंद्र से पूछा था कि क्यों न पहले कोर्ट की निगरानी में फ्लोर टेस्ट कराया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रामेश्वर जजमेंट का हवाला भी दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल को फ्लोर टेस्ट के मसले पर सरकार से निर्देश लाने को भी कहा था। इसके लिए कोर्ट ने एजी को 24 घंटे का समय दिया गया था। बता दें कि फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है।

हाईकोर्ट के आदेश पर रोक

इससे पहले उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया था। हाई कोर्ट के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और राज्य में राष्ट्रपति शासन फिर लागू हो गया है।

उत्तराखंड विधानसभा का हाई वोल्टेज ड्रामा

गौरतलब है कि 18 मार्च को विधानसभा में विनियोग विधेयक पर मत विभाजन की भाजपा की मांग का कांग्रेस के नौ विधायकों ने समर्थन किया था, जिसके बाद प्रदेश में सियासी तूफान पैदा हो गया और उसकी परिणिति 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन के रूप में हुई।

 

प्रादेशिक

IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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