श्रीकृपालु जी महाराज द्वारा समाजसेवा के लिए स्थापित की गई संस्था जगद्गुरू कृपालु परिषत् (जेकेपी) व अभिसेल्फ प्रोटेक्शन ट्रस्ट को लड़कियों के सेल्फ डिफेंस ट्रेनिग प्रोग्राम...
अर्थात् एक गोपी श्यामसुन्दर के अनन्त सौन्दर्य रसपान में इतनी मुग्ध हो गई कि आँखों में आनन्द के अश्रु आ गये। वह गोपी अपने आनन्द के...
वस्तुतस्तु भक्ति ही वास्तविक मुक्ति है। यथा- निश् चला त्वयि भक्तिर्या सैव मुक्तिर्जनार्दन (स्कन्द पुराण) अर्थात् श्रीकृष्ण भक्ति ही मुक्ति है। या मुक्तिदायिनी है। अस्तु भक्ति...
किंतु यह भ्रम नहीं होना चाहिये कि भगवान् ही हमारे कर्मों का कर्ता है। भगवान् कर्म करने की शक्ति मात्र देता है किंतु कर्म करने का...
देश काल नहिँ नियम कछु, नहिँ कछु शिष्टाचार। सरल हृदय नहिँ छल कपट, प्रेमपंथ बलिहार।। 41।। भावार्थ- मैं ऐसे प्रेममार्ग पर बलिहार जाता हूँ जिसमें न...
जहाँ भी संसारी स्वार्थ पूर्ति होती है वहीं प्यार करता है। स्वार्थ समाप्त, तो प्यार भी समाप्त। अतः धनादि वैभव की प्राप्ति द्वारा आनन्द प्राप्ति मानने...
सब साधन संपन्न कहँ, पूछत सब संसार। साधहीन प्रपन्न कहँ, पूछत नंदकुमार।। 39।। भावार्थ- संसारी लोग उसी से प्यार करते हैं, जिसके पास संसारी वैभव होता...
काम क्रोध मद लोभ कहं, मन मूरख! मत छोड़। रसिक शिरोमणि श्याम ढिग, दे इन को मुख मोड़।। 38।। भावार्थ- हे मूर्ख मन! तू काम क्रोधादि...
अर्थात् मन का वेग वायु से भी तीव्र है। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने भी माना यथा- असंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलम् । (गीता 6-35) इस मन...
अतः जीवात्मा भी परमात्मा का नित्य दास है। यह बात और है कि माया के कारण जीव अपना वास्तविक स्वरूप भूल गया है एवं स्वयं को...