आध्यात्म
क्रेन की मदद से गर्भगृह के अंदर लाई गई रामलला की मूर्ति; तीर्थ पूजन, जल यात्रा सहित जानें आज का कार्यक्रम
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अयोध्या। अयोध्या नगरी अपने आराध्य के स्वागत के लिए तैयार है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अनुष्ठान शुरू हो गए हैं। सात दिनों तक होने वाले इस अनुष्ठान का तीसरा दिन है। गुरुवार को तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास का कार्यक्रम होना है।
भगवान राम की मूर्ति को अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह के अंदर लाया गया। मूर्ति को क्रेन की मदद से अंदर लाने से पहले गर्भगृह में विशेष पूजा की गई थी।
आज PMO से आएगा प्रतिनिधि मंडल
रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियों को परखने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को रामनगरी में रहेगा। इस दल में पीएमओ के अधिकारियों के साथ एसपीजी के उच्चाधिकारी भी शामिल होंगे। यह दल प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था व उनके दौरे से जुड़ी अन्य तैयारियों की समीक्षा करेगा।
आज का कार्यक्रम
गुरुवार को मध्याह्न 1:20 बजे संकल्प होगा। उसके बाद गणेशाम्बिकापूजन, वरुणपूजन, चतुर्वेदोक्त पुण्याहवाचन, मातृकापूजन, वसोर्धारापूजन (सप्त घृत मातृका पूजन), आयुष्यमन्त्रजप, नान्दीश्राद्ध, आचार्यादिचऋत्विग्वरण, मधुपर्कपूजन, मण्डपप्रवेश,
पृथ्वी- कूर्म- अनन्त- वराह-यज्ञभूमि-पूजन, दिग्ररक्षण, पञ्चगव्य – प्रोक्षण, मण्डपाङ्ग वास्तुपूजन, वास्तु बलिदान, मण्डप सूत्रवेष्टन, दुग्ध- धारा, जलधाराकरण, षोडशस्तम्भपूजनादि मण्डपपूजा (तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपालादिपूजा), मूर्ति का जलाधि वास, गन्धादिवास, सायंकालिक पूजन एवं आरती होगी।
चार दिन पालकी से मंदिर परिसर भ्रमण करेंगे रामलला
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा वैदिक संस्कारों के बीच मंगलवार को प्रारंभ हो गई। मंदिर के नवनिर्मित गर्भगृह में प्रतिष्ठित किए जाने के पहले नित्य चार दिन तक रामलला का अधिवास होगा, प्रत्येक अधिवास के बाद रामलला को पालकी से मंदिर परिसर का भ्रमण कराया जाएगा।
सितारों की प्रस्तुति से भी सज रही रामनगरी
रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा का महोत्सव बॉलीवुड के सितारों की प्रस्तुति से भी सज्जित हो रहा है। धर्मपथ के बगल विशाल मैदान में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने दूसरे दिन की प्रस्तुति का उद्घाटन किया।
इसके बाद मंच पर रावण की भूमिका में प्रस्तुत मनीष शर्मा ने आकर्षण चुराया। रामकथा के आविर्भाव के प्रसंग में शिव-पार्वती की कैलाश पर उपस्थिति का मंचन भी मनोहारी रहा। शिव की भूमिका में बिंदु दारा सिंह ने प्रभावित किया।
आध्यात्म
महाशिवरात्रि 2025 : जानें क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व, क्या है पूजा विधि
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नई दिल्ली। हर साल फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस दिन शाम को विशेष पूजा का महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव की रात्रि 4 पहर पूजा करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में इस अवसर आप भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा, व्रत और मंत्र आदि जप पर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि महादेव अन्य देवों की तुलना बहुत दयालु हैं, उन्हें महज बेलपत्र चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है।
क्या है पूजा विधि?
सबसे पहले सुबह स्नान आदि करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद दूध-दही,शहद, घी और गंगाजल आदि से भोलेनाथ का अभिषेक करें। याद रहे कि जलाभिषेक करते समय आपका मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। फिर शिवलिंग पर भस्म लगाएं और बेलपत्र, मोली,साबुत अक्षत, फल, पान-सुपारी अर्पित करें। फिर महादेव की आरती करें और शिवलिंग के सामने शिव गायत्री मंत्र “ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्।” या फिर शिव नामावली मंत्र- श्री शिवाय नम:” का जप करें।
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