उत्तर प्रदेश
गुरु गोरक्षनाथ की तपस्थली पर मां आदिशक्ति की पूजा का शुभारंभ गुरुवार से
गोरखपुर । नाथपंथ के अधिष्ठाता, शिवावतार गुरु गोरखनाथ की तपस्थली गोरक्षपीठ, “मां आदिशक्ति” की पूजा के लिए तैयार है। शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा गुरुवार, 3 अक्टूबर को गोरखनाथ मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शाम 5 बजे शक्ति मंदिर में कलश स्थापना करेंगे। इसके साथ ही दस दिवसीय विशेष अनुष्ठान का शुभारंभ हो जाएगा।
गोरक्षपीठ में शिवावतार महायोगी गुरु गोरखनाथ के साथ ही शक्ति की आराधना की अद्भुत परंपरा है। मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में पूरे नवरात्र (वासंतिक और शारदीय दोनों) अनवरत साधना चलती है। नवरात्र की पूर्णाहुति पर राघव अर्थात भगवान राम का राजतिलक करने की परंपरा अन्यत्र नहीं दिखती। विजयादशमी (दशहरा) पर राघव का राजतिलक करने के लिए गोरक्षपीठाधीश्वर खुद मौजूद रहते हैं।
इस शारदीय नवरात्र गोरखनाथ मंदिर में होने वाले पारंपरिक अनुष्ठान के बारे में मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ ने बताया कि शारदीय नवरात्र की प्रतिपदा पर गुरुवार (3 अक्टूबर) की शाम 5 बजे गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत कलश शोभायात्रा निकलेगी। यह यात्रा मंदिर के परम्परागत सैनिकों की सुरक्षा में निकलेगी जिसमें सभी साधु-संत, पुजारी, योगी, वेदपाठी बालक, पुरोहित एवं श्रद्धालु शामिल होंगे। कलश यात्रा में शिव, शक्ति और महायोगी गोरखनाथ के अस्त्र त्रिशूल को मंदिर के मुख्य पुजारी लेकर चलेंगे। परंपरा के अनुसार त्रिशूल लेकर चलने वाले को 9 दिन मंदिर में ही रहना होता है। कलश शोभायात्रा के समापन पर भीम सरोवर के पवित्र जल पूरित कलश की स्थापना मठ के प्रथम तल पर स्थित शक्ति मंदिर में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री कलश योगी आदित्यनाथ द्वारा करने के साथ मां भगवती की विशेष उपासना का शुभारंभ हो जाएगा। योगी कमलनाथ ने बताया कि आदिशक्ति मां भगवती दुर्गा के अनुष्ठान शारदीय नवरात्र तथा सत्य, न्याय एवं धर्म की विजय का पावन पर्व विजयादशमी गोरखनाथ मंदिर में परंपरागत तरीके एवं हर्षोल्लास के साथ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आश्विन शुक्ल दशमी तक विविध अनुष्ठानों के बीच मनाया जाएगा।
प्रतिदिन होगी श्रीमददेवीभागवत की कथा, अष्टमी की शाम महानिशा पूजन करेंगे पीठाधीश्वर
मंदिर के प्रधान पुजारी ने बताया कि मठ में शारदीय नवरात्र में श्रीमददेवीभागवत की कथा एवं दुर्गा सप्तशती का पाठ, प्रतिपदा 3 अक्टूबर से पूरे नवरात्र प्रतिदिन सुबह एवं शाम 4 बजे 6 बजे तक चलेगा। देवी-देवताओं के आह्वान के साथ पूजन-आरती होती रहेगी। 10 अक्टूबर, गुरुवार, अष्टमी की शाम 7 बजे से गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ महानिशा पूजन एवं हवन करेंगे।
महानवमी को कन्या पूजन करेंगे गोरक्षपीठाधीश्वर
11 अक्टूबर, शुक्रवार को शारदीय नवरात्र की महानवमी तिथि के व्रत के साथ पूर्वाह्न 11 बजे से गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुमारी कन्याओं का पांव पखारकर पूजन करेंगे। इस अवसर पर मातृ स्वरूपा कन्याओं के लिए भोज का भी आयोजन होगा और गोरक्षपीठाधीश्वर उन्हें दक्षिणा तथा उपहार भेंट करेंगे। बटुक भैरव के रूप में कुछ बालक भी इस पूजन अनुष्ठान में सम्मिलित होंगे।
विजयादशमी को विविध अनुष्ठान के बाद निकलेगी गोरक्षपीठाधीश्वर की शोभायात्रा, होगा प्रभु श्रीराम का राजतिलक
विजयादशमी के दिन 12 अक्टूबर, शनिवार को सुबह 9:15 बजे गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ, श्रीनाथ जी (गुरु गोरखनाथ) का विशिष्ट पूजन करेंगे। उसके बाद सभी देव विग्रह एवं समाधि पर पूजन होगा। अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक गोरक्षपीठाधीश्वर के तिलकोत्सव का कार्यक्रम चलेगा। उसके बाद 4 बजे से सीएम एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ रथ पर सवार होकर मानसरोवर मंदिर में देव विग्रहों का पूजन एवं अभिषेक करेंगे। इसके उपरांत शाम 5 बजे मानसरोवर रामलीला मैदान में गोरक्षपीठाधीश्वर, श्रीराम दरबार का पूजन करके प्रभु श्रीराम का राजतिलक करेंगे। इस अवसर पर शाम 7 बजे से गोरखनाथ मंदिर में भंडारा का आयोजन होगा।
प्रमुख आयोजनों का होगा सजीव प्रसारण
गोरखनाथ मंदिर में शारदीय नवरात्र के अवसर पर प्रमुख आयोजनों का गोरखनाथ मंदिर के सोशल मीडिया प्लेटफार्म से सजीव प्रसारण भी किया जाएगा। इसे श्रद्धालु मंदिर के फेसबुक पेज http://www.facebook.com/ShriGorakhnathMandir, एक्स हैंडल http://x.com/GorakhnathMndr और यूट्यूब http://youtube.com/ShriGorakhnathMandir पर देख सकेंगे।
गोरखनाथ मंदिर में शारदीय नवरात्र के अनुष्ठान : एक नजर में
– 3 अक्टूबर, गुरुवार : नवरात्र प्रारंभ एवं कलश स्थापना, सायंकाल 5 बजे
– 10 अक्टूबर, गुरुवार : निशा पूजा एवं हवन, सायंकाल 7 बजे
– 11 अक्टूबर, शुक्रवार : महानवमी व्रत, कुमारी कन्याओं का पूजन एवं भोज, प्रातः 11 बजे
– 12 अक्टूबर, शनिवार (विजयादशमी) : श्रीनाथ जी का विशिष्ट पूजन एवं मंदिर परिसर स्थित देव विग्रहों का पूजन प्रातः 9:15 बजे। तिलकोत्सव कार्यक्रम अपराह्न 1 बजे से 3 बजे तक। शोभायात्रा अपराह्न 4 बजे से गोरखनाथ मंदिर से मानसरोवर मंदिर, अंधियारी बाग में देव विग्रहों का पूजन। श्रीराम दरबार का पूजन एवं राजतिलक, रामलीला मैदान में सायंकाल 5 बजे। भंडारा (प्रसाद) सायंकाल 7 बजे से गोरखनाथ मंदिर में।
उत्तर प्रदेश
अपने इष्ट गणपति और नागा संन्यासियों को लेकर महाकुम्भ क्षेत्र पहुंचा श्री शंभू पंच दशनाम अटल अखाड़ा
महाकुंभ नगर। प्रयागराज के संगम तट पर आयोजित होने जा रहे महाकुम्भ में जन आस्था के केंद्र सनातन धर्म के 13 अखाड़ो का अखाड़ा सेक्टर में प्रवेश जारी है। इसी क्रम में बुधवार को श्री शंभू पंचदशनाम अटल अखाड़े ने छावनी प्रवेश किया। छावनी प्रवेश को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।
इष्ट देव भगवान गजानन को लेकर कुंभ क्षेत्र में हुआ प्रवेश
आदि गुरु शंकराचार्य के प्रयास से छठी शताब्दी में संगठित रूप में अस्तित्व में आये अखाड़ो की स्थापना शस्त्र और शास्त्र दोनों को आगे बढाने के लिए की गई। शास्त्र ने अगर शंकर के धार्मिक चिंतन को जन जन तक पहुचाया तो वही शस्त्र ने दूसरे धर्मो से हो रहे हमलो से इसकी रक्षा की। इन्ही अखाड़ो में शैव सन्यासी के अखाड़े श्री शंभू पञ्च दशनाम अटल अखाड़ा ने कुम्भ क्षेत्र में प्रवेश के लिए अपनी भव्य छावनी प्रवेश यात्रा निकाली। अलोपी बाग स्थिति अखाड़े के स्थानीय मुख्यालय से यह प्रवेश यात्रा निकाली गई। प्रवेश यात्रा में परम्परा, उत्साह और अनुशासन का खूबसूरत मेल देखने को मिला। आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती की अगुवाई में यह प्रवेश यात्रा निकली। सबसे आगे अखाड़े के ईष्ट देवता भगवान गजानन की सवारी और उसके पीछे अखाड़े के परंपरागत देवता रहे।
नागा संन्यासियों की फौज बनी आकर्षण और आस्था का केंद्र
स्थानीय मुख्यालय से शुरू हुए अटल अखाड़े के छावनी प्रवेश में नागा संन्यासियों की फौज को देखने के लिए शहर में स्थानीय लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। इष्ट देवता गणपति के पीछे चल रहे अखाड़े के पूज्य देवता भालो के बाद कतार में नागा सन्यासी चल रहे थे। यह पहला अखाड़ा था जिसमें नागा संन्यासिनियों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज की। छावनी प्रवेश में एक बाल नागा भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती का कहना है कि छावनी में दो दर्जन से अधिक महा मंडलेश्वर और दो सौ से अधिक नागा संन्यासी शामिल थे। रथों में सवार अखाड़े के संतों का आशीर्वाद लेने के लिए लोग सड़कों के दोनो तरफ दिखे।
“सूर्य प्रकाश” भाला रहा आकर्षण का केंद्र
अटल अखाड़े के जुलुस में एक बात अलग से देखी गई और वह है अखाड़े की प्रवेश यात्रा में सबसे आगे फूलों से सजे धजे वह भाले जिन्हें अखाड़ो के इष्ट से कम सम्मान नहीं मिलता। अखाड़े की पेशवाई में अखाड़े के जुलूस में भी आगे था “सूर्य प्रकाश” नाम का वह भाला जो केवल प्रयागराज के महाकुम्भ में ही अखाड़े के आश्रम से महाकुम्भ क्षेत्र में निकलता है।
जगह जगह अखाड़े के संतों का प्रशासन ने किया स्वागत
पांच किमी का रास्ता तय कर अखाड़े की प्रवेश यात्रा महाकुंभ के सेक्टर 20 पहुंची। रास्ते में कई जगह महा कुम्भ प्रशासन की तरफ से संतों का पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया।
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